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Sunday, 28 April, 2024
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कर्नाटक के उडुपी में वीडियो बनाने के आरोप में 3 छात्राएं निलंबित, पुलिस ने दर्ज की दो FIR

पुलिस ने आरोप लगाया है कि वीडियो का इस्तेमाल सोशल मीडिया पर फर्जी खबर और सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए किया गया था. सौहार्द को नुकसान पहुंचाने की कोशिश के आरोप में मालपे थाने में मामला दर्ज किया गया है और पुलिस ने कहा है कि जांच की जाएगी.

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नई दिल्ली: कर्नाटक के उडुपी जिले के एक कॉलेज में 20 जुलाई को तीन छात्राओं को इस कथित खबर के बाद निलंबित किया गया कि वे वाशरूम में एक साथी छात्रा का कथित तौर पर वीडियो बना रही थीं. तीनों छात्राएं उडुपी में नेत्र ज्योति कॉलेज में ऑप्टोमेट्री की पढ़ाई कर रही थीं.

घटना सामने आने के कुछ दिनों बाद उडुपी पुलिस ने मामले में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं. पुलिस द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, पुलिस ने खुद संज्ञान लिया और घटना के संबंध में दो अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं और जांच शुरू कर दी है.

तीन छात्रों शबनाज़, अल्फिया और अलीमा को एफआईआर में नामित किया गया है. कॉलेज अधिकारियों के अनुसार, अब निलंबित तीन छात्राओं ने पीड़िता को बताया था कि उनका निशाना कुछ अन्य लड़कियां थीं और गलती से उसका वीडियो बना लिया गया था. उन्होंने कथित तौर पर पीड़िता के सामने ही वीडियो डिलीट कर दिया.

दूसरा मामला यूट्यूब चैनलों पर एक संपादित वीडियो अपलोड करने और एक व्यक्ति द्वारा अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट करने से जुड़ा है.

पुलिस ने आरोप लगाया है कि इसका इस्तेमाल सोशल मीडिया पर फर्जी खबर और सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए किया गया था. सौहार्द को नुकसान पहुंचाने की कोशिश के आरोप में मालपे थाने में मामला दर्ज किया गया है और पुलिस ने कहा है कि जांच की जाएगी.

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कर्नाटक पुलिस ने कॉलेज अधिकारियों पर घटना से संबंधित जानकारी और सबूत पेश करने में विफलता का आरोप लगाया है, जिससे पीड़िता की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है. घटना का एक रूपांतरित वीडियो कथित तौर पर वन इंडिया कन्नड़ यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था.

इस बीच आल्ट न्यूज़ के संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने समाचार एजेंसी एएनआई के एक ट्वीट जिसमें उसने कन्नड भाषा में लिखे बयान को साझा कर लिखा था कि मामले के संबंध में दो एफआईआर दर्ज की गई है, को खारिज करते हुए कहा कि दूसरी एफआईआर तमिलनाडु के किसी पुराने मामले के संबंध में दर्ज की गई है.

बता दें कि मामला उस समय सुर्खियों में आया जब उडुपी के पैरामैडिकल कॉलेज की पीड़िता ने अपने दोस्तों को तीन छात्राओं की सहमति के बिना फिल्म बनाने की जानकारी दी और दोस्तों ने मैनेजमेंट को इस बारे में सूचित किया.

मैनेजमेंट का कहना है कि छात्राओं को दो मामलों में निलंबित किया गया – पहला, वे मोबाइल फोन लेकर आईं जो कॉलेज में प्रतिबंधित है और फिर वीडियो बनाने के लिए.

मैनेजमेंट ने कहा, “हमने तीनों लड़कियों को तुरंत निलंबित कर दिया. हालांकि, पीड़िता किसी कारण से पुलिस में शिकायत दर्ज कराने में अनिच्छुक थी, हमने पुलिस को याचिका देकर घटना की जानकारी दी. हमने फॉरेंसिक जांच के लिए वीडियोग्राफी में इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन भी सौंप दिए.”


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इस बीच, उडुपी जिला पुलिस ने लोगों से सोशल मीडिया पर चल रही खबरों के संबंध में उन अफवाहों पर विश्वास नहीं करने का आग्रह किया है.

दरअसल, कहा जा रहा है कि जिले के एक निजी कॉलेज के शौचालय में एक विशेष समुदाय की छात्राओं ने एक कैमरा छुपाकर रखा था.

उडुपी जिले के पुलिस अधीक्षक अक्षय मच्छिन्द्र ने संवाददाताओं से कहा कि जिले में कथित घटना के साथ अन्य स्थानों पर हुए कुछ मुद्दों को जोड़ने वाले लोगों के बारे में पुलिस की ओर से सोशल मीडिया के जरिए स्पष्टीकरण जारी किया गया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर असत्यापित जानकारी साझा कर भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है.

उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग को ऐसे किसी वीडियो के प्रसारित होने की कोई जानकारी नहीं है. पुलिस अधीक्षक ने कहा कि इसके अलावा, उन्हें कॉलेज में किसी छिपे हुए कैमरे के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है.

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि पुलिस ने कोई शिकायत दर्ज नहीं की है क्योंकि घटना के बारे में खुद संज्ञान का मामला दर्ज करने के लिए कोई सुराग नहीं है.

पुलिस अधिकारी ने कहा कि कॉलेज प्रबंधन ने अपने स्तर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की है और पीड़िता ने भी कॉलेज प्रबंधन को बताया है कि मनोरंजन के लिए यह वीडियो बनाया गया था और बाद में डिलीट कर दिया गया, उसे कहीं प्रसारित नहीं किया गया.

इस बीच, कॉलेज की निदेशक रश्मि कृष्ण प्रसाद ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे ही प्रबंधन को घटना के बारे में पता चला, जांच की गई थी.

जांच के आधार पर छात्राओं को कॉलेज में मोबाइल फोन लाने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत निलंबित कर दिया गया है.

राजनीतिक हलचल

इस मुद्दे ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, बीजेपी ने हिंदू लड़की के वीडियोग्राफी में शामिल तीन मुस्लिम छात्रों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर गुरुवार को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है.

कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि नैं पहले ही कह चुका हूं, अब बहुत हो गया.

विपक्षी भाजपा और कर्नाटक सरकार के बीच वाकयुद्ध शुरू हो गया है. बीजेपी ने सिद्धारमैया सरकार पर समय पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है.

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, “पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. वे दोषियों के बजाय उस लड़की के खिलाफ कार्रवाई करना चाहते थे जिसने अलार्म बजाया था. हंगामे के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है.” राज्य सरकार कह रही है कि यह फर्जी खबर है. यदि ऐसा है, तो तीन लड़कियों को निलंबित क्यों किया गया और माफी पत्र क्यों है? पुलिस विफल रही है, वे जबरदस्त राजनीतिक दबाव में हैं. मैं उनसे बिना किसी राजनीतिक दबाव के काम करने का आग्रह करता हूं.”

कांग्रेस ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है.

कांग्रेस विधायक रिजवान अरशद ने कहा, “इस संबंध में पहले ही एक एफआईआर दर्ज की जा चुकी है. पुलिस मामले की जांच करेगी. बीजेपी इस मामले में न्याय नहीं, सिर्फ राजनीति चाहती है. राजनीति के लिए विरोध कर रहे हैं. अगर उनकी वाकई समाज के प्रति कोई जिम्मेदारी है तो उन्हें मणिपुर के मुद्दे पर विरोध करने दीजिए.”

इस बीच राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य और भाजपा नेता खुशबू सुंदर ने कहा कि वह इस मुद्दे पर जांच करने के लिए उडुपी जाएंगी.

सुंदर ने ट्वीट किया, “उस मुद्दे को देखने के लिए उडुपी जा रहा हूं, जहां लड़कियों को उनके कॉलेज के सहपाठियों द्वारा वॉशरूम में फिल्माया गया था। बच्चों को ऐसी गतिविधियों में लिप्त देखना बेहद दुखद है. आयोग के सदस्य के रूप में मैं इस मामले को देखूंगा, छात्रों से बात करूंगा, पुलिस से मिलूंगा और कॉलेज का दौरा भी करुंगा. महिलाओं की गरिमा के साथ कोई खिलवाड़ नहीं कर सकता.”


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