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Wednesday, 24 April, 2024
होमदेशबॉम्बे हाईकोर्ट के 3 जजों ने खुद को जस्टिस लोया की मौत से जुड़े मामले की सुनवाई से अलग किया

बॉम्बे हाईकोर्ट के 3 जजों ने खुद को जस्टिस लोया की मौत से जुड़े मामले की सुनवाई से अलग किया

न्यायमूर्ति स्वप्ना जोशी, एस बी शुक्रे और एस एम मोदक ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर होने के बाद खुद को सुनवाई से अलग किया जिसमें लोया की मौत रेडियोएक्टिव आइसोटोप के ज़हर से होने का आरोप लगाया गया है.

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नई दिल्ली: तीन दिनों के भीतर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के तीन जजों ने विशेष सीबीआई जज बी एच लोया की मौत से जुड़े एक मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. मामला लोया की मौत से जुड़े दस्तावेज़ों को सुरक्षित रखे जाने के बारे में है.

बुधवार को जस्टिस स्वपना जोशी ने मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया. दो दिनों पूर्व जस्टिस एस बी शुक्रे और जस्टिस एस एम मोदक ने भी ऐसा ही किया था. जस्टिस जोशी ने सुनवाई से खुद को अलग करने का कोई कारण नहीं बताया है.

सोमवार को अपने आदेश में जस्टिस शुक्रे और मोदक की खंडपीठ ने भी सुनवाई नहीं करने का कोई कारण नहीं बताया था. उन्होंने कहा, ‘हमारे समक्ष नहीं.’

जस्टिस शुक्रे और मोदक के इनकार के बाद मामले की सुनवाई जस्टिस पी एन देशमुख और जस्टिस जोशी द्वारा की जानी थी.

तीन जजों का इनकार वकील सतीश ऊके की हाईकोर्ट में गत सप्ताह दायर याचिका के बाद आया है जिसमें लोया की मौत एक ज़हरीले रेडियोएक्टिव आइसोटोप से होने का आरोप लगाया गया है. ऊके ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट समेत जस्टिस लोया की मौत और इस मामले की जांच से जुड़े दस्तावेज़ी सबूतों से छेड़छाड़ की गई है.

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ऊके ने सोमवार को दिप्रिंट से कहा, ‘न्यायमूर्तियों ने कहा कि जज लोया की मौत से जुड़े विवाद में उनके नामों का उल्लेख हुआ है, इसलिए उनका सुनवाई करना उचित नहीं होगा.’

अपनी याचिका में ऊके ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने मार्च 2015 के नागपुर दौरे के समय परमाणु ऊर्जा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष रतन कुमार सिन्हा से मुलाक़ात की थी. ऊके का आरोप है कि उस मुलाक़ात के सारे आधिकारिक रिकॉर्ड नष्ट कर दिए गए हैं.

ऊके ने आरोप लगाया है कि उक्त कथित मुलाक़ात लोया की मौत रेडियोएक्टिव ज़हर से होने का सबूत है.

तीन जज

जस्टिस शुक्रे, मोदक और जोशी के नामों का उल्लेख नागपुर में 1 दिसंबर 2014 को हुई मौत से पहले के कथित घटनाक्रम में हुआ है.

लोया जस्टिस जोशी की बेटी की शादी के रिसेप्शन में शामिल होने नागपुर गए थे. जस्टिस शुक्रे उन दो जजों में से हैं जो नागपुर के अस्पताल में लोया की मौत के समय मौजूद थे. जस्टिस मोदक रिसेप्शन में शामिल होने के लिए लोया के साथ नागपुर गए थे.

इसी साल अप्रैल में भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने जस्टिस मोदक की गवाही के बाद लोया की मौत की स्वतंत्र जांच का आदेश देने से मना कर दिया था. जस्टिस मोदक ने कहा था कि लोया को ‘हृदयाघात होने’ के वक़्त वह वहां मौजूद थे. जस्टिस मोदक उन चार जजों में से एक थे जिनकी गवाही के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने जांच से मना किया.

अपनी मौत के समय जस्टिस लोया राजनीतिक रूप से संवेदनशील कथित सोहराबुद्दीन शेख फर्ज़ी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे. मामले में शाह, 22 अन्य लोगों के साथ एक प्रमुख आरोपी हैं.

ऊके की याचिका

अपनी याचिका में ऊके ने कहा कि उनके पूर्व सहकर्मी सेवानिवृत ज़िला जज प्रकाश थोम्बरे और वकील श्रीकांत खांडलकर ने उन्हें बताया था कि लोया की मौत एक रेडियोएक्टिव आइसोटोप ज़हर से हुई थी.

थोम्बरे और खांडलकर की कथित संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है.

ऊके ने कहा कि लोया की मौत नागपुर के रवि भवन में हुई थी, पर उनका पोस्टमार्टम वहां राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय में किया गया जो एक अलग अधिकार क्षेत्र में पड़ता है.

ऊके के अनुसार अपनी मौत से पहले थोम्बरे और खांडलकर ने उन्हें बताया था कि ‘असल अपराधियों को बचाने के लिए’ रवि भवन में घटना से जुड़े दस्तावेज़ों से छेड़छाड़ की गई है.

ऊके ने अपनी याचिका में कहा कि अक्तूबर 2014 के दूसरे सप्ताह में लोया ने थोम्बरे और खांडलकर के ज़रिए उनसे संपर्क कर बताया था कि सोहराबुद्दीन मामले में उन पर दबाव डाला जा रहा था.

हालांकि ऊके कभी भी लोया से नहीं मिले, पर अक्तूबर 2014 में उन्होंने लोया से वीडियो कॉलिंग पर बात की थी. उस घटना की चर्चा करते हुए ऊके ने कहा कि थोम्बरे और खांडलकर की उपस्थिति में उनकी एक अपरिचित व्यक्ति से मुलाक़ात हुई थी जिसने लोया को एक टैब-मोबाइल से कॉल किया था.

उस वीडियो कॉल में लोया ने कथित रूप से ऊके को बताया था कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस उन पर मामले में अनुकूल फैसले के लिए दबाव डाल रहे थे. लोया ने कथित रूप से ऊके से नागपुर के किसी शुभांशु जोशी का भी ज़िक्र किया था जोकि उनको रिश्वत देता.

लोया ने ऊके को बताया कि वह शाह को दोषमुक्त बताते हुए ड्राफ्ट जजमेंट दे भी चुके थे.

ड्राफ्ट जजमेंट हासिल करने के बाद, थोम्बरे और खांडलकर के साथ ऊके वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण से मिलने दिल्ली आए. उस समय भूषण को लगा था कि मामले को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त सबूत उपलब्ध नहीं थे.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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