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गुरूवार, 17 अप्रैल, 2025
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मणिपुर में एक बच्चे को बचाने के 27 साल बाद रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर ने सुनाई एक और अच्छी खबर

1994 की घटना के बाद, कर्नल पिल्लई ने 2010 में अपने एक कोर्समेट की मदद से पमेई के परिवार से मुलाकात की. वे तब से संपर्क में हैं.

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नई दिल्ली: ये बात साल 1994 की है. एक घायल भारतीय सेना के कप्तान डी.पी.के. पिल्लई ने मणिपुर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान दो युवा भाई-बहनों की जान बचाई थी. उनमें एक सात साल का लड़का था और एक 13 वर्षीय लड़की.

सोमवार को लगभग 27 साल बाद एक शौर्य चक्र पुरस्कार विजेता और सेवानिवृत्त कर्नल पिल्लई ने ट्विटर पर उस लड़के की तस्वीरें साझा की जिसकी उन्होंने जान बचाई थी. दिन्गामांग पमेई अब 33 साल के हो चुके हैं और 21 जनवरी को उनकी शादी हुई है.

मणिपाल विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी करने वाले पमेई अब इम्फाल में एक निजी बैंक में काम करते हैं. उनकी बहन मसलियु थईमी मणिपुर में रहती हैं.

1994 में 8वीं गार्ड के कमांडर पिल्लई को NSCN (IM) विद्रोहियों के एक समूह का शिकार करने का काम सौंपा गया, जो मणिपुर में भारतीय सेना के सैनिकों की आवाजाही में बाधा डालने के लिए एक पुल और एक संचार टॉवर को उड़ाने की योजना बना रहे थे.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मणिपुर के लौंगडी पबराम गांव में एक घर के अंदर चार आतंकवादी छिपे हुए थे. घर में घुसने की कोशिश करने पर मैं घायल हो गया. मुझ पर गोलियां बरसाई गयीं और एक ग्रेनेड फेंका गया था.’

लेकिन 26 वर्षीय कप्तान ने लड़ाई में एक छोटे लड़के और एक लड़की को घायल होते देखा. खून से सराबोर घायल कप्तान पिल्लई की सहायता के लिए भारतीय सेना का एक हेलीकॉप्टर उन्हें ले जाने के लिए तैयार था लेकिन उन्होंने उन दोनों बच्चों को पहले भेजने का निर्णय लिया.

‘हेलिकॉप्टर पायलट मेरा दोस्त था. उसने मुझसे पूछा कि मैं उस समय मदर टेरेसा बनने की कोशिश क्यों कर रहा था और अगर मुझे कुछ हुआ तो वह मेरी मां को क्या जवाब देगा. मैंने जवाब दिया कि मेरी मां को गर्व होगा कि मैंने दो बच्चों की जान बचाई.’

पिल्लई को दो घंटे बाद बचाया गया लेकिन वे आज भी इस पूरी घटना को ‘निकट-मृत्यु अनुभव’ के रूप में याद करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘सेना में, हम मानते हैं कि देश और उसके नागरिकों की सुरक्षा, कल्याण और सम्मान सबसे पहले आते हैं. उस पल में, मुझे एहसास हुआ कि उन बच्चों का जीवन मेरे लिए अधिक महत्वपूर्ण था.’


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एक ‘पिता जैसा व्यक्ति’ पाया

1994 की घटना के बाद, कर्नल पिल्लई ने 2010 में अपने एक कोर्समेट की मदद से पमेई के परिवार से मुलाकात की. वे तब से संपर्क में हैं.

‘जब भी मैं छोटे बच्चों को देखता था, तो मैं सोचता था कि उस गांव के उन दो बच्चों के साथ क्या हुआ होगा. मैं आखिरकार उनसे 10 साल पहले मिला.’

दिप्रिंट से बातचीत में पमेई ने कहा कि उन्हें कर्नल पिल्लई में एक दोस्त और एक ‘पिता जैसा व्यक्ति’ मिला है. ‘मैं उस घटना के कई विवरणों को विशेष रूप से याद नहीं करता, लेकिन मुझे याद है कि मैं घायल हो गया था और एक हेलिकॉप्टर द्वारा एयरलिफ्ट किया गया था. यह एक भयावह अनुभव था लेकिन हम बच गए और इसके लिए हमेशा के लिए कर्नल पिल्लई के आभारी हैं’.

Dingamang Pamei with his wife | By special arrangement

पमेई ने बताया, ‘हमारे बीच खून का रिश्ता नहीं होने के बावजूद, मैं उनके बहुत करीब हूं. उनके मार्गदर्शन और समर्थन से मुझे जीवन में बहुत मदद मिली है’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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