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पहलगाम (जम्मू-कश्मीर), 22 अप्रैल (भाषा) कश्मीर के पहलगाम शहर के निकट ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से मशहूर पर्यटन स्थल पर मंगलवार अपराह्न में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में ज्यादातर पर्यटक थे। यह 2019 में पुलवामा में हमले के बाद घाटी में हुआ सबसे बड़ा हमला है।
एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि 26 मृतकों में दो विदेशी (यूएई और नेपाल से) और दो स्थानीय निवासी शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मृतकों की संख्या का अभी पता लगाया जा रहा है। उन्होंने इस आतंकी हमले को ‘‘हाल के वर्षों में आम लोगों पर सबसे बड़ा हमला’’ बताया।
यह हमला ऐसे समय हुआ है जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे डी वेंस भारत की यात्रा पर हैं और पर्यटन तथा ‘ट्रैकिंग’ का सीजन जोर पकड़ रहा है। हमला अपराह्न करीब तीन बजे हुआ।
पहलगाम शहर से लगभग छह किलोमीटर दूर बैसरन चीड़ के पेड़ों के घने जंगलों और पर्वतों से घिरा एक विशाल घास का मैदान है तथा देश व दुनिया के पर्यटकों के बीच पसंदीदा स्थान है।
अधिकारियों और प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हथियारबंद आतंकवादी ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से मशहूर इस पर्यटन स्थल पर पहुंचे और भोजनालयों के आसपास घूम रहे, खच्चर की सवारी कर रहे, पिकनिक मना रहे पर्यटकों पर गोलीबारी शुरू कर दी। कश्मीर घाटी में हुए इस हमले में कम से कम 20 लोग घायल हो गए।
पाकिस्तान में स्थित प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के छद्म संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है।
अधिकारियों ने कहा कि यह संभव है कि आतंकवादी समूह जम्मू के किश्तवाड़ से दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग के रास्ते बैसरन तक पहुंचा हो।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सऊदी अरब की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्थिति की जानकारी दी और सभी एजेंसियों के साथ तत्काल सुरक्षा समीक्षा बैठक के लिए शाम को श्रीनगर पहुंचे।
अधिकारियों ने बताया कि शाह के बुधवार को पहलगाम जाने की संभावना है।
मोदी ने आतंकी हमले की निंदा की और कहा कि आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा। प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर कहा, “मैं जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करता हूं। जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है, उनके प्रति मैं संवेदना व्यक्त करता हूं। मैं घायल लोगों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है।”
उन्होंने कहा, “इस जघन्य कृत्य के पीछे जो लोग हैं, उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाएगा…उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। उनका नापाक एजेंडा कभी सफल नहीं होगा। आतंकवाद से लड़ने का हमारा संकल्प अडिग है और यह और भी मजबूत होगा।’’
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हमले के बाद मदद के लिए चीख-पुकार मच गई, जबकि शव खून से लथपथ पड़े थे।
कुछ लोगों का कहना है कि हमलावरों की संख्या पांच थी।
हमले के समय घटनास्थल पर मौजूद एक महिला ने ‘पीटीआई-भाषा’ को फोन पर बताया, “मेरे पति के सिर में गोली लगी, जबकि सात अन्य लोग भी हमले में घायल हुए हैं।”
महिला ने अपनी पहचान नहीं बताई, लेकिन घायलों को अस्पताल पहुंचाने में मदद की गुहार लगाई।
आतंकवादियों ने 54 वर्षीय संतोष जगदाले को तंबू से बाहर आने और इस्लाम की एक आयत पढ़ने के लिए कहा। जब वह आयत नहीं पढ़ पाए तो आतंकवादियो ने जगदाले को गोलियों से छलनी कर दिया। उन्होंने जगदाले को तीन गोली मारी, एक बार उनके सिर में, फिर कान के पीछे और फिर पीठ में।
संतोष जगदाले पुणे के एक व्यवसायी थे। उनकी 26 वर्षीय बेटी असावरी जगदाले ने ‘पीटीआई-भाषा’ को आपबीती सुनाई।
जगदाले की बेटी ने कहा, ‘‘पिता के जमीन पर गिर जाने के बाद, बंदूकधारियों ने मेरे बगल में चाचा पर हमला किया और उनकी पीठ में कई गोलियां बरसाईं।’’
असावरी को नहीं पता कि उनके पिता और चाचा जिंदा हैं भी या उनकी मौत हो चुकी है।
असावरी, उनकी मां और एक अन्य महिला रिश्तेदार किसी तरह बच गईं तथा स्थानीय लोगों और सुरक्षाबलों ने उन्हें पहलगाम क्लब पहुंचाया।
एक अन्य महिला पर्यटक ने बताया कि जैसे ही गोलियां चलीं, वहां अफरातफरी मच गई और पर्यटक छिपने के लिए भागे, लेकिन खुले स्थान पर छिपने के लिए कोई जगह नहीं थी। एक महिला ने बताया कि आतंकवादियों ने गोली मारने से पहले पीड़ितों का नाम पूछा।
बैसरन में आए पर्यटक कई राज्यों से थे। मृतकों में कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के पर्यटक शामिल थे। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, घायलों में गुजरात का कम से कम एक व्यक्ति, तमिलनाडु के तीन और महाराष्ट्र के दो लोग शामिल हैं।
मनीष राजन अपनी पत्नी और बच्चों के साथ छुट्टियों पर आए थे, उनकी उनके परिवार के सदस्यों के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई। मनीष राजन एक केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी में कार्यरत थे और वर्तमान में हैदराबाद में तैनात थे।
मारे गए लोगों में कर्नाटक के व्यापारी मंजूनाथ राव भी शामिल हैं, जो शिवमोगा के रहने वाले थे।
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने उनकी मौत पर शोक जताया और अधिकारियों की बैठक बुलाई। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि कर्नाटक से अधिकारियों की एक टीम कश्मीर के लिए रवाना हो गई है।
बैसरन तक केवल पैदल या घोड़ों से ही पहुंचा जा सकता है, इसलिए घायलों को निकालने के लिए हेलीकॉप्टर की मदद ली गई। मारे गए और घायलों के परिवारों को कड़ी सुरक्षा के बीच सरकारी स्वामित्व वाले पहलगाम क्लब ले जाया गया।
सम्पूर्ण जिला प्रशासन और पुलिस बल को तैनात किया गया तथा एम्बुलेंस सेवाएं ली गईं। कुछ घायलों को स्थानीय लोग अपने खच्चरों पर लादकर घास के मैदान से नीचे लाए।
अधिकारियों ने बताया कि गोलीबारी की आवाजें आने की शुरुआती खबर मिलने के बाद सेना, सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस बैसरन पहुंची। बैसरन 1980 के दशक में फिल्म निर्माताओं का बेहद पसंदीदा स्थान था।
उन्होंने बताया कि हमलावरों की तलाश के लिए व्यापक आतंकवाद रोधी अभियान शुरू कर दिया गया है तथा सुरक्षा बल सभी दिशाओं में तैनात हैं। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अनंतनाग और श्रीनगर में 24 घंटे संचालित आपातकालीन नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घटना की निंदा की। अब्दुल्ला ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मृतकों की संख्या का पता लगाया जा रहा है, इसलिए मैं विस्तृत विवरण नहीं दे पाउंगा। स्थिति स्पष्ट होने पर आधिकारिक रूप से सूचित किया जाएगा। यह हाल के वर्षों में आम लोगों पर हुए किसी भी हमले से कहीं बड़ा हमला है।’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्तब्ध हूं। हमारे आगंतुकों पर यह हमला घृणित है। इस हमले को अंजाम देने वाले अपराधी जानवर हैं, अमानवीय हैं और नफरत के लायक हैं। इसकी निंदा के लिए कोई भी शब्द पर्याप्त नहीं है। मैं मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।’’
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के कार्यालय ने कहा कि आतंकवादियों को खत्म करने के लिए आतंकवाद रोधी अभियान शुरू कर दिया गया है।
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘पूरा देश आक्रोशित है और हमारे जवानों का खून खौल रहा है। मैं देश को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि पहलगाम हमले के दोषियों को उनके जघन्य कृत्य की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।’’
पीडीपी के एक विधायक ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने आतंकवादी हमले के विरोध में बुधवार को समूचे कश्मीर में बंद का आह्वान किया है।
पहलगाम शहर, जो आज सुबह पर्यटकों से भरा हुआ था, वहां पूरी तरह से सन्नाटा छा गया। पर्यटक बड़ी संख्या में लौटने लगे।
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब वर्षों तक आतंकवाद से जूझने के बाद कश्मीर में पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई है।
उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी, 2019 को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा इलाके में हुए आत्मघाती हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे। उसके बाद से कई और आतंकी हमले हुए हैं, लेकिन कोई भी इतना गंभीर नहीं था।
साल 2000 में पहलगाम में अमरनाथ आधार शिविर पर हुए हमले में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। एक वर्ष बाद शेषनाग में अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर हमले में 13 लोगों की मौत हुई, जबकि पहलगाम क्षेत्र में 2002 में एक अन्य हमले में 11 लोग मारे गये।
पिछले साल मई में पहलगाम के यन्नार में आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में राजस्थानी पर्यटक पति-पत्नी घायल हो गए थे।
मार्च 2000 में जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत के दौरे पर थे, तब आतंकवादियों ने दक्षिण कश्मीर के छत्तीसिंहपुरा में 35 सिखों की हत्या कर दी थी।
बैसरन पहलगाम में एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। पहलगाम से खच्चरों के माध्यम से इस क्षेत्र तक पहुंचा जा सकता है और रास्ते में पहलगाम शहर व लिद्दर घाटी का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। यह उन पर्वतारोहियों के लिए शिविर स्थल भी है जो तुलियन झील तक जाते हैं।
भाषा आशीष अमित
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