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मंगलवार, 20 मई, 2025
होमदेशबिहार के छपरा में 25 साल के युवक की पीट-पीटकर हत्या के बाद टूटा परिवार, भाई जिंदगी के लिए जूझ रहा है

बिहार के छपरा में 25 साल के युवक की पीट-पीटकर हत्या के बाद टूटा परिवार, भाई जिंदगी के लिए जूझ रहा है

बिहार के छपरा गांव में 11 मई को भीड़ द्वारा हत्या की घटना हुई. जाकिर कुरैशी को बांधकर पीटा गया, जिससे उसकी मौत हो गई. उसके भाई की हालत गंभीर बनी हुई है.

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नई दिल्ली: एक भीड़ ने ज़ाकिर कुरैशी को रस्सियों से बांधा और बैट, रॉड और विकेट से तब तक पीटा जब तक कि 25 वर्षीय ज़ाकिर बेहोश नहीं हो गया. लेकिन इसके बाद भी भीड़ उसे मारती और लात-घूंसे मारती रही. जब उसका बड़ा भाई निहाल उसे बचाने पहुंचा, तो भीड़ ने उसे भी पीटा.

यह घटना 11 मई को बिहार के सारण जिले के छपरा के अहितोली इलाके के खनुआ मोहल्ला में हुई. आरोप है कि भीड़ ने कसाई टोला (कसाइयों का इलाका) से चोरी हुई मवेशी बरामद की और पास में खड़े ज़ाकिर को देखकर उस पर चोरी का आरोप लगा दिया.

हमले का एक वायरल वीडियो सामने आया है, जिसमें लोग ज़ाकिर के सीने और चेहरे पर वार कर रहे हैं, उसके पैरों में लात मार रहे हैं और बाल खींच रहे हैं.

गांव में ज़ाकिर पर हमले की खबर फैलते ही उसका भाई निहाल उसे बचाने के लिए दौड़ा. लेकिन जैसे ही वह मौके पर पहुंचा, भीड़ ने उसे भी पीटना शुरू कर दिया. ज़ाकिर, जो तब तक काफी खून बहा चुका था, बाद में एक स्थानीय अस्पताल में दम तोड़ बैठा. निहाल की हालत गंभीर है और वह पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती है.

“उसका (निहाल का) दाहिना हाथ टूट चुका है और किडनी को गंभीर चोट लगी है,” ज़ाकिर के बचपन के दोस्त और पड़ोसी ग़ुलाम सरवर ने दिप्रिंट से फोन पर कहा. उन्होंने बताया कि जब निहाल पहुंचा, तो उसने कम से कम 60 लोगों को ज़ाकिर को बारी-बारी से पीटते देखा, और जैसे ही वह बीच-बचाव करने की कोशिश करने लगा, उसे भी पीटा गया.

सरवर ने कहा, “वे सभी यादव समुदाय से थे.”

जब गांव के अन्य मुस्लिम समुदाय के लोग घटनास्थल पर पहुंचे, तब तक ज़ाकिर की रीढ़ की हड्डी और दोनों पैरों की हड्डी टूट चुकी थी, और उसके सीने और पेट में कई गंभीर चोटें थीं. भीड़ तब जाकर रुकी जब उसने सामने दूसरे समुदाय के लोगों को आते देखा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

सरवर ने कहा, “वह (ज़ाकिर) दर्द सहन नहीं कर सका, इसलिए उसकी मौत हो गई. वह पूरा खून से लथपथ था जब हमें मिला.”

सारण पुलिस ने आरोपियों की पहचान के लिए वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया है. पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष ने कहा कि ज़ाकिर कुरैशी की मौत गांव में दो समुदायों के बीच हिंसक झगड़े में हुई.

उन्होंने कहा, “उसके भाई के बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है. नगर थाना पुलिस ने रातभर छापेमारी की और दो लोगों को गिरफ्तार किया है. बाकी की तलाश जारी है.”

उन्होंने बताया कि इस हत्या के पीछे मवेशी चोरी की बात सामने आई है.

नगर थाना प्रभारी संदीप शर्मा ने दिप्रिंट को बताया कि अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है और जांच जारी है.

उन्होंने कहा, “कुल नौ लोग इसमें शामिल थे, लेकिन अपराध के तुरंत बाद अधिकांश लोग गांव छोड़कर भाग गए. जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उन पर हत्या और मॉब लिंचिंग के आरोप लगाए गए हैं.”

निहाल के बयान के आधार पर पुलिस ने बीएनएस की धाराओं 126(2) (गलत तरीके से रोकने), 115(2) (जान-बूझकर चोट पहुंचाने), 125(B) (लापरवाही से जान को खतरे में डालने), 109 (हत्या का प्रयास), 103(1) (हत्या की सज़ा), 352 (जानबूझकर अपमान करना जिससे शांति भंग हो), 351(2) (आपराधिक धमकी), और 3(5) (सामूहिक आपराधिक ज़िम्मेदारी) के तहत केस दर्ज किया है.

‘अपने माता-पिता के करीब, मददगार’

समाज और धर्मनिरपेक्षता अध्ययन केंद्र (सीएसएसएस), जो मुंबई स्थित एक रिसर्च और एडवोकेसी संगठन है, जो धर्मनिरपेक्षता, सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने पर काम करता है, ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर एक रिपोर्ट तैयार की है. यह रिपोर्ट मुंबई संस्करणों के प्रमुख अखबारों जैसे दि टाइम्स ऑफ इंडिया, दि हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, सहाफत (उर्दू) और इंकलाब (उर्दू) के आधार पर बनाई गई है.

सीएसएसएस द्वारा इस साल जनवरी में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में साल 2024 में मॉब लिंचिंग की 13 घटनाएं हुईं, जिनमें 11 लोगों की मौत हुई—एक हिंदू, एक ईसाई और नौ मुस्लिम. रिपोर्ट में कहा गया, “हालांकि यह 2023 में दर्ज की गई 21 मॉब लिंचिंग की घटनाओं की तुलना में गिरावट को दर्शाता है, लेकिन इन हमलों की लगातार होना अब भी चिंता का विषय है.”

रिपोर्ट के अनुसार, मॉब लिंचिंग की घटनाओं में कमी का कारण सुप्रीम कोर्ट की सख्त गाइडलाइन्स हो सकता है, जिसमें राज्य सरकारों को ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई करने को कहा गया है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2024 में हुई 13 में से सात घटनाएं गो-रक्षा या गोवध के आरोपों से जुड़ी थीं.

ज़ाकिर की हत्या वाली शाम को गांव के मुस्लिम लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए.

अगले दिन, 12 मई को गांववालों ने ज़ाकिर को स्थानीय कब्रिस्तान में दफनाया. दिप्रिंट को साझा किए गए एक वीडियो में सैकड़ों मुस्लिमों को ज़ाकिर के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेते हुए देखा गया.

ज़ाकिर, जो चार भाइयों में सबसे छोटा था, अपने बूढ़े माता-पिता के सबसे करीब था और मजदूरी से जो थोड़ा बहुत कमाता था, उसी से उनका ख्याल रखता था. ज़ाकिर को फिटनेस का बहुत शौक था, सरवर ने बताया कि वह जिम जा रहा था जब भीड़ ने उस पर हमला किया.

ज़ाकिर के एक और दोस्त मोहम्मद अली ने दिप्रिंट को बताया कि उसकी मौत और उसके भाई की गंभीर हालत ने उसके माता-पिता को सदमे में डाल दिया है, वे कुछ बोलने की स्थिति में भी नहीं हैं.

ज़ाकिर की शख्सियत को याद करते हुए अली ने कहा कि वह बहुत सीधा, मददगार और किसी से झगड़ा न करने वाला लड़का था. “आप गांव में किसी से भी पूछ सकते हैं। सब उसे पसंद करते थे,” उन्होंने कहा और जोड़ा कि उसकी हत्या उसकी पहचान के कारण की गई.

“उसे सिर्फ इसलिए मारा गया क्योंकि वह मुसलमान था.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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