नई दिल्ली: राजधानी में ऐसे कुल 2,029 बच्चों का पता लगाया गया है, जिन्होंने कोविड में माता या पिता में से किसी एक को अथवा दोनों को गंवा दिया है, ये ख़ुलासा बुधवार को दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने किया.
कोविड महामारी ख़ासकर दूसरी लहर ने बहुत से बच्चों से उनके माता-पिता को छीन लिया है- जहां कुछ बच्चे अनाथ हो गए हैं वहीं कुछ के माता या पिता में से कोई एक ही जिंदा बचा है.
बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005, के तहत गठित वैधानिक निकाय डीसीपीसीआर के अनुसार, 2,029 में से 67 बच्चों ने अपने दोनों पेरेंट्स कोविड में खो दिए हैं. 651 बच्चों ने अपनी माताओं को कोविड में गंवाया है, जबकि 1311 ने पिता को खोया है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर)- जो देश में शीर्ष बाल अधिकार निकाय है- के अनुसार देश भर में महामारी के दौरान (मार्च 2020 से 29 मई 2021 तक) 1,742 बच्चों ने माता-पिता दोनों को खोया है.
1 जून को सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल हलफनामे के अनुसार, एनसीपीसीआर ने ये भी कहा कि कोविड की वजह से 7,464 बच्चे अब एक पेरेंट वाले परिवार में रह गए हैं, जबकि 140 को छोड़ दिया गया है. आयोग ने ये डेटा राज्यों तथा केंद्र-शासित क्षेत्रों से जमा किया है.
मई में, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान देश भर में 577 बच्चे अनाथ हुए हैं. मंत्रालय ने आगे कहा कि दिल्ली में ये संख्या केवल एक है.
डब्लूसीडी मंत्री स्मृति ईरानी ने एक ट्वीट में कहा कि ये संख्या 1 अप्रैल से 25 मई (दोपहर 2 बजे तक) की अवधि के लिए थी, जैसा कि राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों ने ख़बर दी थी.
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कोविड में माता-पिता को खोया
एक प्रेस विज्ञप्ति में डीसीपीसीआर ने कहा कि जिन बच्चों ने अपने मां-बाप को कोविड में खोया है, उन सभी का ब्योरा दिल्ली महिला एवं बाल विभाग के साथ साझा किया गया है, ताकि उनके कल्याण के लिए उठाए गए क़दमों का लाभ उठाया जा सके.
पिछले महीने, केजरीवाल सरकार ने ऐलान किया कि वो उन बच्चों की पढ़ाई और दूसरी आवश्यक चीज़ों का ख़र्च उठाएगी जिन्होंने कोविड में अपने दोनों पेरेंट्स को गंवा दिया है. कोविड अनाथों का मुद्दा मई में उस वक़्त चर्चा में आया, जब बहुत से लोगों ने सोशल मीडिया में पोस्ट करके ऐसे बच्चों को गोद लेने की पेशकश की, जिनके मां-बाप कथित रूप से कोविड में मारे गए थे. उस समय ऐसी सोशल मीडिया पोस्टों को लेकर डीसीपीसीआर सावधान हो गई थी, और उसने इसके तार संभावित रूप से मानव तस्करी से जुड़े होने की आशंका जताते हुए, दिल्ली पुलिस से दख़ल देने की मांग की थी.
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आफत में घिरे बच्चों के लिए हेल्पलाइन
अप्रैल में, डीसीपीसीआर ने एक हेल्पलाइन (9311551393) शुरू की, जिसका मक़सद ऐसे बच्चों की चिंताओं से निपटना था, जिन्होंने अपने दोनों पेरेंट्स को कोविड में गंवा दिए, या जिनके माता-पिता दोनों अस्पताल में भर्ती हैं.
डीसीपीसीआर ने कहा कि पिछले तीन महीने में हेल्पलाइन पर 4,500 शिकायतें प्राप्त हुईं. कमीशन ने कहा, ‘इनमें से 2,200 एससोएस शिकायतें थीं जिन्हें फौरी तवज्जो देने की ज़रूरत थी. ऐसी 85 प्रतिशत एससोएस शिकायतों पर 24 घंटे के अंदर और 15 प्रतिशत शिकायतों पर 72 घंटे में अमल किया गया.’
डीसीपीसीआर ने आगे कहा, कि एससोएस शिकायतों का ताल्लुक़ छोड़े गए बच्चों और केविड टेस्टिंग की ज़रूरतों की चिंताओं के अलावा, राशन और दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई आदि से था.
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