नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने तृणमूल कांग्रेस के नेताओं डेरेक ओ ब्रायन, सागरिका घोष, साकेत गोखले और अन्य पार्टी पदाधिकारियों को पिछले साल अप्रैल में निषेधाज्ञा के बावजूद भारत निर्वाचन आयोग के सामने विरोध प्रदर्शन करने से संबंधित मामले में बुधवार को व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने तृणमूल कांग्रेस के नेता शांतनु सेन, डोला सेन, नदीमुल हक, अर्पिता घोष, अबीर रंजन बिश्वास और सुदीप राहा सहित आठ नेताओं को उनके वकील द्वारा दायर आवेदन पर राहत प्रदान की।
न्यायाधीश ने उन्हें अगली सुनवाई की तारीख 13 मई को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।
इस बीच न्यायाधीश मित्तल ने तृणमूल नेता विवेक गुप्ता की मौजूदगी पर गौर किया और उन्हें सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत में पेश होकर जमानती बांड दाखिल करने का निर्देश दिया।
उन्होंने तृणमूल नेता शांतनु सेन को भी नया समन जारी किया और कहा कि उन्हें पहले जारी किया गया समन ‘‘बिना तामील के वापस आ गया था’’।
न्यायाधीश ने मामले में 10 आरोपियों को 21 अप्रैल को तलब किया था।
दिल्ली पुलिस के अनुसार पिछले साल आठ अप्रैल को मामले में आरोपी तृणमूल नेता भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के मुख्य द्वार के बाहर एकत्र हुए और बिना किसी अनुमति के और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 (एकत्रीकरण पर रोक) लागू होने के बावजूद तख्तियों और बैनरों के साथ विरोध प्रदर्शन किया।
पुलिस ने आरोप लगाया कि निषेधाज्ञा लागू होने के बारे में जानकारी दिए जाने के बावजूद उन्होंने विरोध प्रदर्शन जारी रखा, जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई।
पार्टी नेता केंद्रीय जांच एजेंसियों केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और इनके प्रमुखों को बदलने की मांग कर रहे थे।
भाषा शोभना मनीषा
मनीषा
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