नई दिल्ली: बाएं जूते के तलवों के अंदर एक जगह बनाई गई थी और उस जगह को सहारा देने के लिए अतिरिक्त रबर के तलवों को जोड़कर दोनों जूतों के तलवों को बढ़ा दिया गया था. दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई एक एफआईआर के अनुसार, संसद सुरक्षा उल्लंघन के आरोपी ने इसी तरह से अपना जूता बनवाया था, जिसमें वह बुधवार को संसद भवन के अंदर धुआं करने वाला वस्तु लेकर गया था.
बुधवार को दर्ज की गई एफआईआर, जिसका विवरण दिप्रिंट द्वारा प्राप्त किया गया है. उसमें बताया गया है कि कैसे आरोपी ने “जूतों को काटा”, अंदर “जगह” बनाईं, कैसे धुएं के कनस्तरों को फिट करने के लिए उनमें “अतिरिक्त रबर” के साथ “तलवों की मोटाई” बढ़ाई गई. आरोपियों पर सख्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 (केवल दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 120-बी (आपराधिक साजिश), 452 (अतिक्रमण), 186 (लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना), 353 (लोक सेवकों को उनके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
एफआईआर में लिखा है, “शर्मा के ग्रे रंग के स्पोर्ट्स जूतों की जोड़ी जिसमें बाएं पैर के जूते के अंदर के तलवे को काटने से एक छेद बना हुआ पाया गया. कैविटी को सहारा देने के लिए नीचे अतिरिक्त रबर सोल लगाने से जूतों के सोल की मोटाई भी बढ़ी हुई पाई गई है. दाहिने पैर के जूते का भीतरी तलवा भी आंशिक रूप से कटा हुआ मिला. (Sic).”
इसमें कहा गया है, “जूतों की जोड़ी, हल्के खाकी रंग के मोजे की एक जोड़ी के साथ, एक सीलबंद पारदर्शी प्लास्टिक बॉक्स में रखी गई थी. गहरे भूरे रंग के मनोरंजन डी के स्पोर्ट्स जूते की जोड़ी जिसमें बाएं पैर के जूते के अंदर के तलवे को काटने से एक कैविटी बना हुआ पाया गया.”
बुधवार को डी. मनोरंजन और सागर शर्मा नाम के दो व्यक्ति चलते संसद सत्र के दौरान दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूद गए और धुआं निकलने वाली कोई वस्तु अंदर फेंक दी. दो अन्य, नीलम आज़ाद और अमोल शिंदे ने संसद के बाहर “तानाशाही नहीं चलेगी” जैसे नारे लगाए और एक धुएं वाला कनस्तर अंदर छोड़ दिया.
ऐसा कहा जा रहा है कि ये चारों छह लोगों के समूह का हिस्सा थे, जिसमें अन्य दो ललित झा और विक्की उर्फ विशाल शर्मा शामिल हैं, जिन्होंने कथित तौर पर महीनों तक घटना की योजना बनाई थी. दिप्रिंट ने इस पर रिपोर्ट भी की है.
यह घटना 22 साल पहले 13 दिसंबर को पुराने संसद भवन पर हुए हमले की बरसी पर हुई, जिसमें आठ सुरक्षाकर्मी और एक माली मारे गए थे. पांचों आतंकी भी मारे गए. जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के पूर्व आतंकवादी, जिन्होंने 1994 में आत्मसमर्पण कर दिया था, अफजल गुरु को इस घटना में उनकी भूमिका के लिए 2013 में फांसी दे दी गई थी.
बुधवार के सुरक्षा उल्लंघन के बारे में और सवाल यह उठता है कि कुछ ही दिन पहले, यूएस-कनाडा स्थित सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नून ने 13 दिसंबर को या उससे पहले भारतीय “संसद” पर हमला करने की धमकी दी थी, खुफिया सूत्रों ने कहा कि जिसके बाद सुरक्षा बढ़ाकर तेज कर दी गई थी.
‘2 फटे हुए पर्चे, 4 धुएं के डिब्बे’
मामले के छह आरोपियों में से पांच – शिंदे, आज़ाद, झा, मनोरंजन और शर्मा को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है. कथित तौर पर अन्य आरोपियों को शरण देने वाले विक्की को पुलिस ने हिरासत में लिया है.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, चारों लोगों ने पूछताछ के दौरान दावा किया था कि उन्होंने “बेरोजगारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और नीति निर्माताओं को अपनी चिंताओं को स्वीकार करने के लिए मजबूर करने” के लिए इस उल्लंघन की योजना बनाई थी.
सूत्रों ने बताया कि आरोपियों ने गिरफ्तारी की आशंका से घटना के बाद अपने फोन और पहचान दस्तावेज झा को सौंपने की योजना बनाई थी.
झा ने कथित तौर पर संसद के बाहर के दृश्यों का एक वीडियो बनाया था और इसे कोलकाता में समयाबादी सुभाष सभा नामक एक एनजीओ चलाने वाले नीलाक्ष आइच को भेजा था और इसे प्रचारित करने के लिए कहा था. सूत्रों ने बताया कि वह पहले भी एनजीओ से जुड़े रहे थे.
सूत्रों के मुताबिक, घटना के बाद झा ने अपना फोन बंद कर दिया और भाग गया, लेकिन गुरुवार रात उसे गिरफ्तार कर लिया गया.
एफआईआर में दो फटे हुए पर्चों का विवरण भी है. एफआईआर में कहा गया है, “एक अंग्रेजी में छपे नारे ‘जय हिंद’ के साथ और तिरंगे में मुट्ठी की तस्वीर और हिंदी में एक नारा, जबकि पैम्फलेट नंबर 2 पर अंग्रेजी में मणिपुर मुद्दे आदि का नारा लिखा हुआ है.”
एफआईआर में कहा गया है कि कुल चार धुआं करने वाले कनस्तर बरामद किए गए हैं.
(संपादन: अलमिना खातून)
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