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Wednesday, 1 May, 2024
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कश्मीरी युवाओं को ढूंढ कर आतंकी बनाने में जुटा गिरोह, 20 कश्मीरी युवा हुए लापता

राज्य का विशेष दर्जा वापस लेने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि आतंकी घटनाएं बढ़ सकती हैं.

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नई दिल्ली: जब से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाया गया है तब से लगभग 20 कश्मीरी युवा घाटी से लापता हो चुके हैं. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक इन युवाओं ने शायद आतंकवादी संगठन ज्वाइन कर लिया है.

रक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक कई जांच एजेंसियों द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के माध्यम से इस तरह के युवाओं की संख्या के बारे में पता लगा रहे हैं.

सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस खबर की सच्चाई को जानने के लिए एक सर्वे कराया जा रहा है. अभी तक इस तरह के 20 मामले सामने आए हैं.’

एक अन्य सूत्र के मुताबिक, ‘जो संख्या इन मामलों की सामने आई है वो सतर्क करने वाली है. इसलिए सर्वे के माध्यम से इसके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है.’

आतंकी संगठन में भर्ती की प्रक्रिया

सूत्र के मुताबिक, लापता हुए युवा या तो कुछ दिनों में वापस लौट आएंगे या कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर इन लोगों की राइफल लिए हुए आतंकी कैंप से फोटो आएगी. ऐसा ट्रेंड बुरहान वानी की मौत के बाद से शुरू हुआ है.

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हालांकि कश्मीर में अभी इंटरनेट बंद है इसलिए इस तरह की कोई तस्वीर सामने नहीं आ रही है. एक सूत्र के अनुसार सूचना न मिल पाने के अनुसार हमें भी ठीक समय से जानकारी नहीं मिल पा रही है. हम भी ग्राउंड जीरो की जानकारी पाने में लगे हुए हैं.

‘सुरक्षा एजेंसियों ने अनुच्छेद-370 हटाए जाने से पहले ही अनुमान लगाया था कि राज्य के युवा आतंकवादी संगठन से जुड़ सकते हैं और इसमें तेजी आ सकती है. हाल में आई इंटेलीजेंस इनपुट के अनुसार आतंकवादी शुक्रवार की नमाज़ के दौरान गांवों में घूमते हैं और सरकार के खिलाफ भड़काते हैं.’

‘सूचना संपर्क के टूट जाने के बाद आतंकवादी गांव-गांव जाकर लोगों से मिल रहे हैं.’ सूत्रों का कहना है, ‘सबसे चिंताजनक बात यह है कि आतंकवादी 15-25 साल के युवाओं को निशाना बना रहे हैं.’

5 अगस्त के बाद हुए सिर्फ 2 इनकाउंटर 

5 अगस्त के बाद से कश्मीर में सिर्फ 2 इनकाउंटर हुए हैं. एक शोपियां में और एक बारामुला में जिसमें 3 आतंकियों को मार गिराया गया था.

2019 के पहले 5 महीनों में 100 आतंकियों को मार गिराया गया था जिसमें 23 विदेशी थे. सुरक्षाबलों ने 2018 में 247 आतंकियों को मारा था, 2017 में 213 आतंकियों को और 2016 में 141 आतंकियों को मारा गया था.

सूत्रों का कहना है कि सुरक्षाबलों को पूरा ध्यान कानून व्यवस्था पर है जिससे आतंकी घटना में कमी आई है. सूत्रों के अनुसार लोग नहीं चाहते कि उनके और सुरक्षाबलों के बीच तनाव बढ़े.

एक अन्य सूत्र के मुताबिक, ‘कोई भी छोटी सी चिंगारी हालात को बिगाड़ सकती है. इसलिए इससे निपटने के लिए कानून व्यवस्था पर ध्यान दिया जा रहा है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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