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शुक्रवार, 18 अप्रैल, 2025
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18 घंटे कराते हैं तेजस में ड्यूटी, छेड़खानी और दुर्व्यवहार की शिकायत की तो नौकरी से निकाला

एक दर्जन से अधिक फीमेल क्रू मेंबर्स को छेड़खानी व लंबी ड्यूटी की शिकायत पर नौकरी से हटा दिया गया है.

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लखनऊ : भारतीय रेलवे की पहली प्राइवेट रेलगाड़ी ‘तेजस’ अपनी स्पीड, लुक और सुविधाओं को लेकर चर्चा में है लेकिन इसमें काम करने वाले केबिन क्रू और अटैंडेंट बेहद परेशान हैं. 18 घंटे की नौकरी, पैसेंजर्स व स्टाफ द्वारा की जा रही छेड़खानी और देर से मिल रही सैलरी से वे बेहद परेशान हैं. इस बीच एक दर्जन से अधिक केबिन क्रू व अटैंडेंट को बिना नोटिस के नौकरी से निकाल दिया गया है. अब ये युवा परेशान हैं और ट्वीट करके रेल मंत्री और आईआरसीटीसी से मदद मांग रहे हैं. लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा. वहीं जिस निजी फर्म द्वारा उन्हें नियुक्त किया था वो भी नौकरी से निकालने का कारण नहीं बता रही है.

बिना नोटिस के हटाया नौकरी से

बीते चार अक्टूबर से तेजस ट्रेन लखनऊ से दिल्ली के बीच चलना शुरू हुई. इसका परिचालन आईआरसीटीसी कर रहा है. लेकिन हाॅस्पिटैलिटी की जिम्मेदारी ब्नंदावन फूड प्रोडक्ट्स (आरके एसोसिएस)’ की है . ये प्राइवेट कॉन्ट्रेक्टर के तौर पर आईआरसीटीसी के साथ जुड़ा है. इस फर्म ने केबिन क्रू व अटैंडेंट के तौर पर 40 से अधिक लड़के-लड़कियों की हायरिंग की. लेकिन, एक महीने के भीतर 20 को हटा दिया जिनमें लगभग एक दर्जन लड़कियां हैं. वहीं कई दिनों तक इंतजार कराने के बाद इन्हें सैलरी तो दी लेकिन दोबारा काम पर नहीं रखा. तेजस के जरिए हाॅस्पिटैलिटी की फील्ड में सुनहरा भविष्य का इनका सपना महज़ कुछ दिनों में ही चकनाचूर हो गया.

ब्रंदावन फूड के एचआर प्रदीप सिंह का कहना है कि किसी को नौकरी से हटाया नहीं गया है. जैसे ही दूसरी तेजस ट्रेन चलती है या इसी ट्रेन में बोगियां बढ़ाई जाती हैं, तो हम इन बच्चों को शामिल कर लेंगे. वहीं, किसी के साथ दुर्व्यवहार की शिकायत उन तक नहीं पहुंची है. अगर पहुंचती है तो वे मैनेजमेंट को जानकारी देकर इसकी जांच कराएंगे.
’18 घंटे कराते थे ड्यूटी, खराब तबीयत में भी करना पड़ता था काम’

तेजस के स्टाफ ने दिप्रिंट से बातचीत में बताया कि उनसे हर रोज 18 घंटे काम कराया जाता था और अगर इस बीच रेस्ट रूम में उन्हें आराम भी नहीं करने दिया जाता था. तेजस में मैनेजर के तौर पर रहीं अवंतिका वाजपेयी ने बताया कि तेजस की शुरुआत से ही वह वहां काम कर रही थीं, उनके अंतर्गत एक दर्जन से ज्यादा केबिन क्रू मेंबर्स काम कर रही थीं. अधिकतर को उनके साथ दिवाली के बाद हटा दिया गया. जब उन्होंने हटाए जाने का कारण पूछा तो ख़राब परफॉरमेंस बताया गया. अवंतिका का कहना है वे सब प्रोबेशन पीरियड पर थे, लेकिन जो ऑफर लेटर उन्हें वृंदावन फूड्स से मिला था उसमें एक महीने के नोटिस की बात कही गई थी.

 

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वहीं, हटाई गईं क्रू मेंबर प्राची पटेल ने कहा कि शुरुआत में उन्हें नहीं बताया गया था कि उनसे 18 घंटे की नौकरी कराई जाएगी. उनकी ड्यूटी सुबह 5 बजे शुरू होती थी और रात दस बजे के बाद वह अपने घर पहुंचती थीं. उनसे कहा गया कि शुरुआत में काम ज्यादा होता है, बाद में कम हो जाएगा. प्राची ने बताया कि एक बार वह इतना थक गईं कि चक्कर खाकर ट्रेन में ही गिर गईं. उन्हें कानपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जब उन्हें होश आया तो छुट्टी देने के बजाए अगले दिन वापस ड्यूटी पर बुला लिया गया. वह ऐसा अमानवीय व्यवहार देखकर हैरान रह गईं. वहीं हटाए गए अटैंडेंट विशाल कुमार ने बताया कि उन्हें ड्यूटी के दौरान पैर में छाले निकल आए थे और जब उन्होंने इसकी जानकारी सीनियर मैनेजमेंट को दी तो उन्हें अगले दिन से नौकरी पर न आने को बोल दिया गया.

पैसेंजर लेते थे सेल्फी, स्टाफ करता था छेड़छाड़

तेजस में फीमेल केबिन क्रू को ट्रेन हाॅस्टेस भी कहा जा रहा है. इनका ड्रेस अप एयर हाॅस्टेस की तरह है. तेजस चलने के शुरुआती दिनों से ही लगातार पैसेंजर्स द्वारा जबरन सेल्फी लेने और कमेंट करने की खबरे आने लगी थीं, जिसके बाद आईआरसीटीसी की ओर से कहा गया था कि अधिकारी होस्टेस से यात्रियों के व्यवहार का फीडबैक लेंगे. इसके आधार पर नियमों बदलाव कर शरारती यात्रियों से निपटने के प्रबंधन किए जाएंगे. लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हुआ है.

मेकअप ठीक न होने पर भी जुर्माना

हटाई गईं एक अन्य क्रू मेंबर नम्रता मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया कि नए अटैंडेंट्स को शुरुआत में ट्रेनिंग देने के लिए दूसरी ट्रेन के सीनियर अटैंडेंट बुलाए गए. इन अटैंडेंट्स ने कई बार शराब पीकर फीमेल केबिन क्रू के साथ छेड़खानी भी की. जब इसका उन्होंने विरोध किया तो कार्रवाई की बात कहकर मामले को टाल दिया गया. इसके अलावा मेकअप ठीक से न करने जैसी छोटी-छोटी बातों पर केबिन क्रू से सीनियर मैनेजर जुर्माना वसूलते थे. ये मैनेजर भी वृंदावन फूड की ओर से रखे गए थे.

आईआरसीटीसी को दी थी जानकारी

केबिन क्रू वैष्णवी सिंह ने बताया कि लगातार हो रही छेड़खानी व लंबे ड्यूटी आर्स की शिकायत उन्होंने आईआरसीटीसी के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक अश्विनी श्रीवास्तव को बताई तो उन्होंने कहा कि वे इस मामले का समाधान जल्द से जल्द करेंगे लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. बल्कि कुछ दिनों के भीतर उनको नौकरी से हटा दिया गया. ट्रेन में वृंदावन फूड व आरके मील्स की ओर से भी स्टाफ रहता था जिससे सभी क्रू मेंबर्स ने शिकायत की लेकिन कोई असर नहीं हुआ.

मौजूदा क्रू मेंबर भी परेशान, चाहते हैं समाधान

तेजस में लगभग 30 क्रू मेंबर व अटैंडेंट अभी भी काम रहे हैं. नाम न छापने की शर्त पर एक क्रू मेंबर ने बताया कि स्टाफ कम करने के बाद काम का प्रेशर बढ़ गया है और जब इसकी शिकायत मैनेजमेंट से करो तो कहा जाता है कि जैसे तमाम लोगों को हटाया गया है वैसे तुम लोगों को भी हटा दिया जाएगा. नौकरी बचाने के चक्कर में बाकि क्रू मेंबर्स विरोध नहीं कर पा रही हैं. वह चाहती हैं कि उनके ड्यूटी के घंटे कम किए जाएं और टाइम पर सैलरी मिले.

पानी और फूड क्वालिटी में होता है गोलमाल

नाम न छापने की शर्त पर एक क्रू मेंबर ने ये भी बताया कि तेजस में पानी व फूड की क्वालिटी से भी समझौता किया जाता है. फिल्टर वाॅटर के बजाए सादा पानी ही कई बार यात्रियों को बोतल में दे दिया जाता है. ये सब मैनेजमेंट के लोगों के सामने होता है.


यह भी पढ़ें : तेजस के पीपीपी मॉडल के सहारे निजीकरण की ओर कदम बढ़ाता रेलवे


अब मामले से पलड़ा झाड़ रहा आईआरसीटीसी

दिप्रिंट से बातचीत में आईआरसीटीसी के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक अश्विनी श्रीवास्तव ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि आखिर क्यों एक दर्जन से अधिक केबिन क्रू को हटाया गया. उन्होंने आईआरसीटीसी के पीआरओ सिद्धार्थ सिंह से संपर्क करने को कहा. जब दिप्रिंट ने सिद्धार्थ सिंह से बात कि तो उन्होंने बताया कि क्रू मेंबर व अटैंडेंट को हटाने का फैसला निजी फर्म (वृंदावन फूड प्रोडक्ट्स) का है न कि आईआरसीटीसी का. जहां तक उनकी जानकारी है तो संस्था ने शुरुआत में जरूरत से अधिक क्रू मेंबर व अटैंडेंट को हायर कर लिया था. जबकि दिवाली के बाद से तेजस में कुछ कोच भी कम कर दिए हैं, शायद इस कारण अब संस्था को स्टाफ ज्यादा लगने लगा हो. वहीं, दिप्रिंट ने वृंदावन फूड प्रोडक्ट्स से संपर्क करने का कोशिश की लेकिन फिलहाल कोई जवाब नहीं मिला.

पहले भी ये फर्म रही है विवाद में

‘आईआरसीटीसी के साथ जुड़े प्राइवेट कॉन्ट्रेक्टर वृंदावन फूड पहले भी विवादों में घिरा रहा है. दरअसल, पिछले दिनों इस फर्म ने 100 पुरुष उम्मीदवारों की भर्ती के लिए एक विज्ञापन निकाला था . विज्ञापन की सबसे हैरान करने वाली बात ये थी कि इस विज्ञापन में सिर्फ अग्रवाल और वैश्य समुदाय के उम्मीदवारों की भर्ती करने की बात कही गई है. हालांकि, सोशल मीडिया पर विरोध के बाद फर्म ने विज्ञापन वापस ले लिया.

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जानिए तेजस ट्रेन के बारे में

तेजस एक्सप्रेस देश की पहली काॅरपोरेट ट्रेन है. यह ट्रेन लखनऊ से सुबह 6.05 पर चलकर 12.35 पर नई दिल्ली पहुंचती है. वहीं, नई दिल्ली से शाम 3.35 बजे खुलकर उसी दिन 10.05 बजे रात को लखनऊ पहुंचती है. ये ट्रेन हफ्ते में छह दिन चलाई जाती है. ट्रेन में विमान की तरह व्यक्तिगत एलसीडी एंटरटेनमेंट-कम-इंफोर्मेशन स्क्रीन, ऑन बोर्ड वाई-फाई सेवा, आरामदायक सीटें, मोबाइल चार्जिंग, व्यक्तिगत रीडिंग लाइट्स, मोड्यूलर बायो-टॉयलेट जैसी सुविधाएं हैं.

बीते 4 अक्टूबर को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दिखाकर इसको रवाना किया था. अब केबिन क्रू को हटाए जाने और मौजूदा स्टाफ के साथ हो रही दिक्कतों ने इसे विवादों के घेरे में ला दिया है.

( इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

आईआरसीटीसी ने कहा रिपोर्ट बायस्ड है

दिप्रिंट की रिपोर्ट पर आईआरसीटीसी के जनसंपर्क अधिकारी सिद्धार्थ सिंह ने रिस्पांड किया और इसे ‘मिसलीडिंग’ और ‘बायस्ड’ बताया है. सिंह ने 28 नवंबर को लिखे पत्र में तीन आपत्तियां दर्ज कराई हैं.

1. रिपोर्ट में कहा गया है कि केबिन क्रू और अटेंडेंट का उत्पीड़न किया जा रहा है. इस कोट का मकसद सिर्फ खबर को सनसनीखेज बनाना है.

अभी तक किसी भी कर्मचारी के उत्पीड़न और शारीरिक उत्पीड़न किए जाने का मामला सामने नहीं आया है. न किसी यात्री द्वारा और न ही किसी स्टाफ द्वारा. न ही रिपोर्ट की गई है और न ही ऐसा देखा गया है.
आईआरसीटीसी की महिला अधिकारी द्वारा आतंरिक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है, यह ग्रुप इसलिए बनाया गया है ताकि ऐसे मामलों पर नजर रखी जा सके. महिला क्रू सदस्यों को यह भी सलाह दी गई है कि उत्पीड़न से जुड़े किसी मामले को इस समूह में डालें. हालांकि अभी तक ऐसी कोई रिपोर्ट रिसीव नहीं की गई है.

2. रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रू के सदस्य 18 घंटे लगातार काम करते हैं. लेकिन ड्यूटी के दौरान लगे ट्रेवल टाइम के अलावा, क्रू सदस्यों से किसी अतिरिक्त काम की उम्मीद नहीं की जाती है और उन्हें पर्याप्त आराम दिया जाता है.

3. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वेतन समय पर नहीं दिया जाता है और कर्मचारी बिना नोटिस के निकाल दिए जाते हैं. इस बारे में कॉट्रैंक्टर से पूछताछ की गई और पता किया गया, जिसमें उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग के लिए 40 महिला ट्रेंनिग कैंडिडेट का चयन किया गया जिसमें 25 नौकरी के लिए सक्षम पाई गईं.
इसीतरह, एसेसमेंट के बाद 10 पुरुष बैरे भी सक्षम पाए गए. बाकी बचे हुए स्टाफ को वापस ट्रेनिंग के लिए उनके इंस्टीट्यूट में भेज दिया गया. यह स्टाफ 10 कोच के काम को देखने के लिए काफी हैं.

आपकी चिंताओं पर हमारे जवाब

1. दि प्रिंट ने स्टाफ के सदस्यों की बातचीत को उद्धृत किया है जिसमें वे उत्पीड़न की शिकायत करते हैं और बताते हैं कि आईआरसीटीसी ने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है जोकि इन शिकायतों को सुलयझायेगा और कैसे ये प्रभावहीन रहा है.

2. कई स्टाफ के सदस्यों ने 17-18 घंटे की शिफ्टों में काम करने की शिकायत की है,जिसमें उन्हें कोई ब्रेक नहीं मिलता था. दि प्रिंट के पास कई ऐसे स्टाफ की लिखित और वीडियो पर बातचीत रिकार्ड पर है.

3. नौकरी से बर्खास्तगी के मामले में दि प्रिंट ने न केवल नौकरी से निकाले गए स्टाफ मेंबर्स बल्कि ब्रंदावन फूड प्रोडक्ट्स और आईआरसीटीसी से बात की है.

दि प्रिंट अपनी रिपोर्ट पर कायम है.

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24 टिप्पणी

  1. OUTSOURCING KE JARIYE KARYA KARANE WALI SANSTHAO AUR UPKARAMO KO UNKA TAYA SHUDA HISSA UNKE KHATE M DALA JAYE AUR LABOUR /KARAMCHARI / AGENTS KA HISSA SAMBANDHIT UPKARAM KHUD UNKE KHATE M DALE JISSE KI VITTIYA ANIYAMITTA VA DERY NA HO SAMAYA SE LEBOUR /KARMACHARI / AGENTS KO SAMAYA PAR BHUGTAN HO SAKE

  2. ये है प्रायवेट सेक्टर इसमें रिजर्वेशन नही है सोच लो ओर पढ़ लो एकबार वो लेबर लो जो बाबा साहब ने आपके लिए लिखा था वो किसी एक जाति के लिए नही था पूरे भारत के कामदारों के लिए था जिसका काम तमाम पहले कांग्रेस ने किया ओर उसमे उनको साथ दिया कम्युनिस्ट ने फिर बीजेपी ने भी

  3. ladkiyon ko insaaf milna hi chahiye. Ab toh band karo ladkiyon ka satana .Girls aap kyun nyay ka intezar kar rahey ho,naukri toh waise bhi gayi .ab apne joote sey unke ghar par ghus kar maaro taki unke ghar parivar ko sharm aaye ki apne ladkon ko thoda sa sanskriti detey.

  4. गाँव वसा नही, गिद्ध मडराने लगे । निजीकरण में दोष ही दोष हैं । देश के युवाओं के जीवन स्तर को सुधारने के वजाय उनका नैतिक पतन किया जा रहा है । विचारणीय है ।?

  5. रेल मंत्रालय को इस मामले को बड़ी गंभीरता से समाधान करना चाहिए क्योंकि यह मामला महिला ट्रेन हास्टेस की गरिमा व निजता से जुड़ा हुआ है , और नौकरी के नाम पर इनका उत्पीड़न व ब्लैकमैलिंग कतई बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए ।

  6. Ye ek normal complain hai kabhi PSU banks me aa k dekho waha employee kaise kam karte hai . 100% guaranteed apna gum bhul jaoge tume lagega ki tum kitne aache jagah kam karte ho. Aur ye pmo, narendra modi ko tweet karne se kuch bhi ukhdne wala nahi hai

  7. Kuch to pvt sector phela hi limit sa jayeda work leta ha, sath main salery bhi kam, wo bhi time sa nhi,koi bhi problem staff ko uski sunwai nhi , kyuki company ,pvt tourism factory unka standard kharab na ho, sath main passenger jo in ladkiyo crew ko chedta ha, sham on my country waise sabhi desh bhakt ha,kabhi tumera bhai bhen bhi naukri kare or unko koi prasean kare tab pata chalega kaise lagta ha, they choose hospitality service for public means caring and helping to needy, respect them , if u expect respect from one give respect other, irctc apne image kharab kar rahi , indian railway ki bhi,

  8. किसी का निजीकरण करने से यही परेशानी होती है।
    यही दुर्भाग्य है हमारे देश का की अपनी व्यवस्था को सुधारते नही है, बस निजीकरण कर देते है।

  9. सरकार देश की व्यवस्था को धीरे धीरे नीजी कंपनियों को बेच रही है और देश फिर से गुलामी की ओर जा रहा है । सरकारी रेल पटरी पर निजी रेल गाड़ी चलाने दिया है क्यों ?

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