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Saturday, 20 April, 2024
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तेजस के पीपीपी मॉडल के सहारे निजीकरण की ओर कदम बढ़ाता रेलवे

लखनऊ से नई दिल्ली के बीच शुरू हुई पहली तेजस एक्सप्रेस प्राइवेट ट्रेन के बजाए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी मॉडल) के तहत चलाई गई पहली यात्री ट्रेन है.

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नई दिल्ली: लखनऊ से नई दिल्ली के बीच शुरू की गई तेजस एक्सप्रेस से रेलवे ने निजीकरण की तरफ एक कदम बढ़ा दिया है. इस ट्रेन की शुरुआत से देश में प्राइवेट ट्रेनों की शुरुआत माना जा रहा है. अगर पीपीपी मॉडल के तहत चलाई गई ये ट्रेन पूरी तरह से सफल होती है, तो रेलवे जल्द ही ट्रेन का संचालन पूरी तरह से निजी हाथों में सौंप सकता है.

तेजस देश की पहली प्राइवेट ट्रेन

देश की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस का लखनऊ से दिल्ली का सफर चार अक्टूबर से शुरु हो गया. इस ट्रेन को उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. यह ट्रेन हफ्ते में 6 दिन चलेगी. इस ट्रेन का ऑपेशन रेलवे (ड्राइवर और गार्ड) के पास रहेगा. जबकि टिकटिंग, पार्सल और अन्य व्यावसायिक कामकाज के अलावा यात्री सुविधाओं का जिम्मा आईआरसीटीसी के पास होगा. आइआरसीटीसी हर साल रेलवे को बोगियों के एवज में हॉलेज शुल्क (ट्रांसपोर्टेशन चार्ज) देगा. फ्लाइट की एयर होस्टेस की तर्ज पर तेजस के यात्रियों का स्वागत ट्रेन होस्टेस द्वारा किया जा रहा है.

आईआरसीटीसी कर्मचारियों को यात्रियों के साथ अच्छा व्यवहार करने और सहयोगी की तरह पेश आने की विशेष ट्रेनिंग दी गई है. पहली प्राइवेट ट्रेन की खास बात यह है कि अगर यह एक घंटे से ज्यादा लेट होती है तो पैसेंजर्स को उनके पैसे रिफंड मिलेंगे. एक घंटे से अधिक लेट होने पर 100 रुपए और दो घंटे से अधिक देरी पर 250 रूपए रिफंड दिया जाएगा. यह रिफंड टीडीआर से नहीं होगा. यह सीधे आईआरसीटीसी करेगा. आईआरसीटीसी की ओर से संचालित इस ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों को 25 लाख़ का बीमा होगा. वहीं, यात्रा के दौरान लूटपाट होने या सामान चोरी होने पर एक लाख रुपए का मुआवजा भी दिया जाएगा.

आईआरसीटीसी और प्राइवेट सेक्टर में हुआ एग्रीमेंट

आईआरसीटीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘लखनऊ से नई दिल्ली के बीच शुरू हुई पहली तेजस एक्सप्रेस प्राइवेट ट्रेन के बजाए सार्वजनिक निजी भागीदारी पीपीपी मॉडल के तहत चलाई गई पहली यात्री ट्रेन है. इस ट्रेन का संचालन रेलवे का ही एक पीएसयू आइआरसीटीसी निजी कंपनी के साथ भागीदारी के साथ कर रहा है. इसमें आईआरसीटीसी और प्राइवेट ऑपरेटर के बीच एक कंसेशन एग्रीमेंट है. उसी के अनुसार यह सब काम करेंगे. इसमें आईआरसीटीसी को प्राइवेट ऑपरेटर से लाभ में हिस्सा मिलेगा. उसमें से वह रेलवे को हॉलेज शुल्क (ट्रांसपोर्टेशन चार्ज) देगा.’

रेलवे का यह पहला यह प्रयोग अगर पूरी तरह से सफल होता है तो भविष्य में ट्रेन संचालन पूरी तरह से प्राइवेट सेक्टर हवाले हो सकता है. इसे लेकर रेलवे बोर्ड ने कई रूटों पर ट्रेन को चलाने के लिए तैयारियां भी शुरु कर दी है. इनमें तेजस और वंदे भारत जैसी ट्रेन शामिल है.

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आख़िर प्राइवेट ट्रेन का मतलब क्या है?

इस ट्रेन के भीतर सारी सेवाओं को संभालने का जिम्मा आईआरसीटीसी के पास है. आईआरसीटीसी यात्रियों को विश्व स्तरीय सेवाएं और अन्य अद्भुत सुविधाएं मुहैया कराएगी. ये ऐसी सेवाएं होती हैं जो आम तौर पर पैसेंजर, एक्सप्रेस से लेकर राजधानी और शताब्दी जैसे ट्रेनों में सफर कर रहे यात्रियों को भी नहीं मिलतीं है.


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वहीं, रेलवे द्वारा चलाई जा रही ट्रेनों को जिन नियमों का पालन करना पड़ रहा है. उनका पालन इन प्राइवेट ट्रेनों को चलाने वालों को नहीं करना पड़ेगा. जैसे प्राइवेट ट्रेनों में किसी को किसी तरह के छूट नहीं देंगे, यहां तक कि रेलवे कर्मचारियों को भी कोई छूट नहीं मिलेगी. रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘आईआरसीटीसी द्वारा ट्रेन के भीतर सेवाओं से लेकर इसके किराए को तय करने के मामले में रेलवे दखलंदाजी नहीं करेगा.’

प्राइवेट ऑपरेटर विदेश से भी खरीद सकेंगे अपनी ट्रेन

रेलवे मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, ‘वर्तमान में तेजस एक्सप्रेस पीपीपी मॉडल पर चलाई गई ट्रेन है. लेकिन भविष्य में जब पूरी तरह से रेलवे प्राइवेट ट्रेन का संचालन करेगा. तब भारतीय रेलवे और प्राइवेट आपरेटर के बीच कंसेशन एग्रीमेट होगा. प्राइवेट ऑपरेटर से प्रॉफिट में एक निश्चिम हिस्सेदारी भी हासिल करेगा. इस स्थिति में प्राइवेट ऑपरेटरों को रोलिंग स्टॉफ के चयन में छूट मिल सकेंगी. ऑपरेटर चाहे तो विदेशों से ट्रेन को खरीदकर उसे चला भी सकते है. इस दौरान पर भारत में तैयार हो रही ट्रेन को चलाने की शर्ते नहीं होगी.’

50 नए रूटों पर पैसेंजर ट्रेन जा सकती है निजी हाथों में

प्राइवेट ट्रेनों को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रेलवे ने देश के 50 प्रमुख रुटों की पहचान की है. इन रूटों पर प्राइवेट आपरेटरों को ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी देने पर रेलवे विचार कर रहा है. इसके लिए रेलवे ने अफसरों को इस संदर्भ में एक फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए भी कहा है. रेलवे बोर्ड की 27 सितंबर को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला भी लिया गया. इस बैठक में छह जोन के प्रिंसिपल चीफ ऑपरेशन मैनेजरों ने भी हिस्सा लिया.


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बैठक में शामिल रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी के मुताबिक, ‘इस बैठक का मुख्य एजेंडा ट्रेनों का प्राइवेट ऑपरेटर्स के हाथों में देने का रहा. इसमें तय हुआ कि प्राइवेट ऑपरेटर्स अत्याधुनिक पैसेंजर ट्रेन चलाएंगे. इसकी व्यवस्था पूरी तरह से पारदर्शी रखी जाएगी. इसमें निजी कंपनियों से ट्रेन चलाने के लिए प्रस्ताव मांगे जाएगे. इन प्रस्तावों के आधार पर रेलवे पैसेंजर ट्रेनों को चलाने के लिए रेट तय करेगी. यह सभी बेस प्राइस होंगे. इनकी आधार पर ही रेलवे टेंडर आमंत्रित करेगी.’

देबरॉय समिति की सिफारिश से निजीकरण

सितंबर 2014 में नीति आयोग के सदस्य और अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता में भारतीय रेल के निजीकरण के लिए एक सात सदस्यों की समिति की स्थापित की गई थी. इस कमेटी ने ड्राफ्ट रिपोर्ट में यह सुझाव दिया था कि भारतीय रेल के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए प्राइवेट सेक्टर को ट्रेन और मालगाड़ियां चलाने की अनुमति देना चाहिए. इसके अलावा जो काम रेलवे का मूलभूत नहीं है जैसे निर्माण कार्य, उत्पादन और रेल संबंधी आधारभूत सेवाएं है उन्हें निजी क्षेत्र को देना चाहिए.

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