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Saturday, 21 December, 2024
होमदेश17 रिटायर्ड IPS ने IAS अधिकारियों को केंद्र भेजने के अनुरोध पर राज्य का वीटो हटाने का समर्थन किया

17 रिटायर्ड IPS ने IAS अधिकारियों को केंद्र भेजने के अनुरोध पर राज्य का वीटो हटाने का समर्थन किया

‘ट्रैक द ट्रुथ’ का ये खुला पत्र सामने आने से कुछ दिन पहले ही, रिटायर्ड सिविल सर्वेंट्स के एक और ग्रुप ने IAS (काडर) नियमों में सरकार के प्रस्तावित संशोधनों की आलोचना की थी.

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नई दिल्ली: 17 रिटायर्ड आईपीएस अधिकारियों के एक समूह ने एक बयान जारी करके मोदी सरकार की ओर से आईएएस (काडर) नियम, 1954, में प्रस्तावित संधोधनों का समर्थन किया है, जिनमें किसी अधिकारी के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने पर राज्य सरकार के वीटो करने की शक्ति को हटाने की बात कही गई है.

एक बयान में रिटायर्ड अधिकारियों ने- जो अपने ग्रुप की पहचान ‘ट्रैक द ट्रुथ’ बताते हैं- सेवारत आईपीएस अधिकारियों से अनुरोध किया है कि केंद्र सरकार की इस पहल को ‘अपना’ लें.

4 फरवरी का ये खुला पत्र ऐसे समय आया है, जब कुछ दिन पहले ही कॉन्सटीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप (सीसीजी) ने जो क़रीब 200 रिटायर्ड सिविल सर्विस अधिकारियों का एक मंच है, एक बयान जारी करके इस प्रस्तावित संशोधन की आलोचना की थी.

हालांकि, आईपीएस अधिकारियों के बयान में आईएएस (काडर) नियम,1954, में प्रस्तावित संशोधन का उल्लेख नहीं है, लेकिन उसमें कहा गया है कि वो ‘भारत सरकार की इस पहल का स्वागत करते हैं, कि आईपीएस अधिकारियों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाए कि वो ख़ुद को केंद्रीय डेपुटेशन के लिए पेश करें. चूंकि इसमें उन्हें ख़ुद को विकसित करने और मैक्रो तथा माइक्रो दोनों लेवल पर राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान करने के व्यापक अवसर मिलते हैं.’

उसमें कहा गया, ‘ऐसी प्रतिनियुक्तियां केंद्रीय और राज्य प्रशासन के बीच रिश्तों को मज़बूत करती हैं, चूंकि ऑल इंडिया सर्विसेज़ (अखिल भारतीय सेवाएं) सबसे महत्वपूर्ण सूत्र हैं, जो भारतीय संघ और प्रांतों को एक साथ जोड़ते हैं.’

सरकार ने अभी तक आईपीएस (काडर) नियमों में ऐसा संशोधन प्रस्तावित नहीं किया है. लेकिन, कहा जा रहा है कि इसके जल्द लाए जाने की संभावना है. खुले पत्र में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार, आईपीएस अधिकारियों की कमी का सामना कर रही है.

पत्र में कहा गया है, ‘आईपीएस जिसकी कुल काडर संख्या लगभग 5,000 है, उसमें क़रीब 2,700 सीनियर ड्यूटी पद हैं (एसपी से डीजी रैंक तक). प्रचलित नियमों के अनुसार, इनमें से 1,075 (40 प्रतिशत) पद सेंट्रल डेपुटेशन रिज़र्व के लिए हैं.’

‘लेकिन, फिलहाल केंद्र में स्वीकृत 645 पदों को भरने के लिए केवल 442 आईपीएस अधिकारी केंद्रीय डेपुटेशन पर हैं. पत्र में इस ज़रूरत पर भी बल दिया गया है कि ‘लेवल-14 (महानिरीक्षक और संयुक्त सचिव के लिए) पर आईपीएस अधिकारियों का पैनल बनाने की प्रक्रिया के दो चरणों का विलय करके एक चरण कर दिया जाए.’ अधिकारियों और आईपीएस एसोसिएशन (केंद्रीय) की ये मांग लंबे समय से चली आ रही है.

ट्रैक द ट्रुथ की सलाहकार परिषद में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह और जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद्य शामिल हैं. पत्र में इन दोनों को ‘संरक्षक’ बताया गया है.


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संशोधन प्रस्ताव

आईएएस (काडर) नियमों में प्रस्तावित संशोधन 12 जनवरी को मुख्य सचिव को लिखे गए पत्रों के ज़रिए राज्यों को भेजे गए थे. विपक्ष की अगुवाई वाले कई राज्यों ने जिनमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, राजस्थान और तेलंगाना शामिल हैं, संशोधन का विरोध किया है और कहा है कि ये बहुत ‘कठोर’ हैं और संघीय ढांचे पर एक प्रहार हैं.

एक वरिष्ठ सेवारत आईपीएस अधिकारी ने कहा कि अखिल भारतीय सेवा नियमों में बदलाव करने के बाद सरकार आईपीएस अधिकारियों के लिए भी अधिसूचना या इसी तरह का आदेश जारी कर सकती है. आईएएस के लिए संशोधन प्रस्ताव कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की ओर से लाया गया जबकि आईपीएस के लिए गृह मंत्रालय (एमएचए) और भारतीय वन सेवा (आएफओएस) के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ये काम करेंगे.

अपने पत्र में रिटायर्ड आईपीएस अधिकारियों ने कहा ‘मानव संसाधनों का गतिशील विनिमय, नई दिल्ली से प्रदेश राजधानियों तक और इसके उलट बदलाव के प्रमुख तत्व, एक गतिशील एकजुट इकाई, एक राष्ट्र तैयार करते हैं जो समान उद्देश्य रखता है, एक ही दिशा की ओर बढ़ता है और नए विचार, तकनीक, और प्रणालियों का मूल्यांकन करके उन्हें आत्मसात करता है.’

आगे चलकर उन्होंने पैनल बनाने की प्रक्रिया के दो चरणों के विलय का भी सुझाव दिया. पत्र में कहा गया, ‘भारत में आंतरिक व बाहरी सुरक्षा और सुधार की दिशा की समझ, केंद्र तथा राज्यों में एक समान है और इसका प्रमुख कारण आईपीएस अधिकारियों का शासन की इन इकाइयों के बीच आसान आवागमन है. केंद्र के हालिया निर्देशों को अमलीजामा पहनाने के लिए गृह मंत्रालय पदों के क्रम को केंद्रीय और राज्य दोनों स्तर एक समान करने पर ग़ौर कर सकता है.’

पत्र में कहा गया, ‘ऐसा करने के लिए एडीजी और उससे ऊपर (केवल 8 प्रतिशत रिक्तियां) के वरिष्ठ स्तरों पर स्वीकृत सीडीआर पदों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है और डीआईजी लेवल (74 प्रतिशत रिक्तियां) पर उसे घटाया जा सकता है. चूंकि डीआईजी लेवल पर आईपीएस अधिकारी सबसे कम समय रुकते हैं (4 साल), इसलिए उपलब्धता हमेशा कम रहती है.’

‘नियमों का एक और एकत्रीकरण, जिससे आईपीएस अधिकारियों के सीएसएस पदों पर प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया आसान हो सकती है, ये हो सकता है कि लेवल-14 (आईजी और जेएस के लिए) पर आईपीएस अधिकारियों का पैनल बनाने की प्रक्रिया के दो चरणों का विलय करके एक चरण कर दिया जाए.’

दिप्रिंट से बात करते हुए, आईपीएस एसोसिएशन (केंद्रीय) के सचिव अश्वनी कुमार चंद ने कहा कि आईपीएस ‘सिविल सेवाओं का स्टील फ्रेम है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘भारतीय पुलिस सेवा एक अखिल भारतीय सेवा (एआईएस) सेवा है, और आईपीएस अधिकारियों को केंद्रीय डेपुटेशन पर आना चाहिए, क्योंकि सेवा की संवैधानिक स्कीम के अनुसार एआईएस के लिए ये एक मूल सिद्धांत है, जिसकी परिकल्पना सरदार वल्लभभाई पटेल ने की थी.’

उन्होंने ये भी कहा कि एसोसिएशन ‘आईजी और जेएस की रैंक में आईपीएस अधिकारियों के लिए, पैनल बनाने की दो चरणों की प्रक्रिया के विलय का स्वागत करती है’. उन्होंने आगे कहा, ‘आईपीएस अधिकारी लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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