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Friday, 31 October, 2025
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‘ऑडिशन’ के बहाने 17 बच्चों को बुलाकर बनाया बंधक — महाराष्ट्र सरकार से रोहित आर्य की क्या है दुश्मनी

रोहित आर्य के बारे में महाराष्ट्र के मंत्री ने कहा, ‘वो कॉन्ट्रैक्टर नहीं, आतंकवादी था.’ बचाव अभियान में पुलिस ने उसे मार गिराया.

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मुंबई: रोहित आर्य एक प्रोजेक्ट कंसल्टेंट और ‘सोशल एंटरप्रेन्योर’ था, जिसने कभी महाराष्ट्र सरकार के सरकारी स्कूलों के लिए चलाए जा रहे स्वच्छता अभियानों में काम किया था, लेकिन गुरुवार को 50 साल के आर्य की मौत मुंबई पुलिस की गोली से हुई—जब उसने पवई के एक स्टूडियो में 17 बच्चों और दो लोगों को बंधक बना लिया था.

स्टूडियो में घुसने के बाद आर्य ने एक वीडियो जारी किया था. इसके अलावा कई शिकायतें और पत्रकारों को लिखे उसके पत्र बताते हैं कि वह महाराष्ट्र सरकार से “धोखा” खाने के गुस्से में था. दिप्रिंट को मिले पत्रों से पता चलता है कि आर्य मानसिक रूप से बेहद परेशान था और वह राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर और शिक्षा विभाग के कुछ अफसरों को अपनी स्थिति के लिए जिम्मेदार मानता था.

आर्य पहले भी केसरकर के घर के बाहर अपने बकाए की मांग को लेकर प्रदर्शन कर चुका था. गुरुवार दोपहर जारी वीडियो में उसने कहा कि उसका बच्चों को नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है—वह सिर्फ उन लोगों से बात करना चाहता है जो उसे महाराष्ट्र शिक्षा विभाग से मिलने वाले 2 करोड़ रुपये दिलाने में मदद कर सकें.

वीडियो में वह कहता है— “आत्महत्या करने के बजाय मैंने कुछ प्लान बनाए हैं और बच्चों को यहां बंधक बनाया है. मेरी मांगें ज़्यादा नहीं हैं…ये मांगें सीधी, नैतिक और उचित हैं…मैं आतंकवादी नहीं हूं.”

करीब तीन घंटे तक चले इस प्रकरण का अंत तब हुआ जब पुलिस ने बाथरूम के रास्ते अंदर घुसकर कार्रवाई की और आर्य को गोली मारी. उसके पास कथित तौर पर एक एयर गन थी और वह धमकी दे रहा था. आर्य को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई.

पुलिस गुरुवार को पवई स्टूडियो के बाहर तैनात थी, जहां बंधक बनाने की गंभीर स्थिति बनी हुई थी | ANI
पुलिस गुरुवार को पवई स्टूडियो के बाहर तैनात थी, जहां बंधक बनाने की गंभीर स्थिति बनी हुई थी | ANI

राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने शुक्रवार को कहा, “वो (आर्य) 19 लोगों को बंधक बनाकर जलाने की धमकी दे रहा था. मुझे नहीं लगता कि वह कोई कॉन्ट्रैक्टर था, बल्कि एक आतंकवादी था.”

उन्होंने मुंबई पुलिस को इस रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बधाई दी.

लेकिन विपक्षी दलों ने आर्य के महाराष्ट्र सरकार से पुराने संबंधों की ओर इशारा किया है.

कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा, “रोहित आर्य ने जो किया, वो निंदनीय है, इसे किसी भी तरह सही नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन महायुति सरकार ने ही उसे इस रास्ते पर धकेला, उसे मानसिक रूप से बीमार किया और ऐसी स्थिति में पहुंचा दिया.”

‘वो अपने गुनाह मुझ पर थोप रहे हैं’

रोहित आर्य ने अपसरा मीडिया नाम की कंपनी चलाई. वह ‘प्रोजेक्ट लेट्स चेंज (PLC)’ का प्रोजेक्ट डायरेक्टर था — यह पहल कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) फंड से चल रही थी और 2022 में राज्य सरकार ने इसे मंजूरी दी थी.

पिछले साल की शुरुआत में, महाराष्ट्र सरकार के ‘स्वच्छता मॉनिटर’ अभियान के दूसरे चरण को लागू करने का जिम्मा अपसरा समेत कुछ समूहों को सौंपा गया था. यह अभियान PLC के अंतर्गत चलाया जा रहा था.

‘स्वच्छता मॉनिटर’ मुख्यमंत्री की फ्लैगशिप योजना मुख्यमंत्री माझी शाळा सुंदर शाळा (माय स्कूल, ब्यूटीफुल स्कूल) का अहम हिस्सा था, जिसका उद्देश्य राज्य के सरकारी स्कूलों में साफ-सफाई, स्वच्छता और सौंदर्यीकरण को बढ़ावा देना था.

इसी उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने जनवरी 2024 में एक शासन निर्णय (GR) जारी किया, जिसमें अधिकारियों को PLC के प्रतिनिधियों, जिनमें आर्य भी शामिल था, के साथ मिलकर जिला स्तर पर कार्यशालाएं आयोजित करने का निर्देश दिया गया.

उस निर्णय में लिखा है — “20.63 करोड़ रुपये की प्रावधान राशि में से 2 करोड़ रुपये ‘स्वच्छता मॉनिटर फेज-2’ अभियान के क्रियान्वयन के लिए स्वीकृत किए गए हैं.” इसमें आर्य की भूमिका का भी उल्लेख है.

आर्य द्वारा लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मंत्री दीपक केसरकर ने मीडिया से कहा, “रोहित आर्य का ‘स्वच्छता मॉनिटर’ कॉन्सेप्ट सरकार की ‘मेरा स्कूल स्वच्छ स्कूल’ योजना के तहत था. इस पहल के तहत कुछ स्कूलों से संपर्क कर फंड इकट्ठा किया गया, ऐसा स्कूल शिक्षा विभाग का कहना है.”

उन्होंने आगे कहा, “अगर बिल या भुगतान को लेकर कोई समस्या थी, तो उन्हें संबंधित विभाग से संपर्क करना चाहिए था और प्रक्रिया के तहत हल निकालना चाहिए था. सरकार की अपनी तय प्रक्रिया है और वह उसी के अनुसार काम करती है. जो अभी हुआ है, वह गलत है.”

स्कूल शिक्षा विभाग ने भी एक प्रेस नोट जारी कर सफाई दी. उसमें कहा गया — “अपसरा मीडिया एंटरटेनमेंट नेटवर्क ने स्कूल विभाग की जानकारी के बिना, 2024-25 में अपने निजी वेबसाइट के जरिए स्कूलों से फंड इकट्ठा करना शुरू कर दिया था. जब यह पता चला, तो 23 अगस्त 2024 को पुणे विभाग को बताया गया कि फंड सरकारी विभाग के जरिए ही लिया जाए और कंपनी को इस परियोजना के नाम पर आगे कोई धन न लेने दिया जाए, लेकिन आर्य ने इसके बाद कोई जानकारी नहीं दी, इसलिए विभाग ने आगे कोई कार्रवाई नहीं की.”

फॉरेंसिक वैन पवई स्टूडियो के बाहर, जहां आर्य ने 17 बच्चों और दो अन्य लोगों को बंधक बनाया था | एएनआई
फॉरेंसिक वैन पवई स्टूडियो के बाहर, जहां आर्य ने 17 बच्चों और दो अन्य लोगों को बंधक बनाया था | एएनआई

2024 में लिखे गए कई पत्रों में आर्य ने अधिकारियों पर नज़रअंदाज़ करने, फंड रोकने और उनके आइडिया का उपयोग बिना क्रेडिट या पैसे दिए करने का आरोप लगाया था. रोहित ने यह भी कहा था कि कॉन्सेप्ट का ड्यू क्रेडिट नहीं दिया जा रहा है.

एक पत्र में उसने लिखा, “स्कूल शिक्षा विभाग मेरे साथ और मेरे PLC क्लीनलिनेस मॉनिटर के साथ अन्याय कर रहा है. इसके विरोध में मैं 24 जुलाई से भूख हड़ताल पर था. 3 अगस्त की रात मंत्री दीपक केसरकर घर आए और कहा कि मेरी मांगे जायज़ हैं और 5 अगस्त तक हल कर दी जाएंगी. मैंने उन पर भरोसा किया और हड़ताल खत्म की.”

उसी पत्र में विभाग के अधिकारियों पर साजिश का आरोप लगाया गया है— “वो मुझे शासन निर्णय के अनुसार योजना लागू नहीं करने देना चाहते थे. कई तरीके से रोका गया, मुख्य रूप से बजट न देकर. यानी मुझे फिर से पैसा नहीं मिलेगा. मेरा कॉन्सेप्ट भी समझौते की भेंट चढ़ेगा.”

रोहित ने लिखा कि वे 2013 से ऐसे कॉन्सेप्ट विकसित कर रहे हैं और अक्सर अपनी जेब से खर्च करते रहे हैं, लेकिन सरकारी अधिकारी उन्हें नज़रअंदाज़ कर उनका फायदा उठाते रहे.

उसने कहा, “2013 से अब तक मैंने कई कॉन्सेप्ट तैयार किए, समय और पैसा लगाया, लेकिन जैसे-जैसे मैं आगे बढ़ा, लोगों ने मुझे किनारे कर पैसे बनाए. धोखाधड़ी हुई. अब भी कई केस अदालतों में चल रहे हैं. अब बहुत हो गया. इसका कोई अंत नहीं दिख रहा, सिवाय मेरे अंत के.”

उसने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने भले ही उनके अभियान मॉडल को अपना लिया, लेकिन अब उस पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि उसने स्कूलों से रजिस्ट्रेशन फीस ली. पहली प्रस्तावित राशि के अनुसार पैसे नहीं किया गया, लेकिन ‘स्वच्छता मॉनिटर’ को दूसरे ‘माय स्कूल, ब्यूटीफुल स्कूल’ अभियान में शामिल कर लिया गया.

रोहित ने कहा, “मैंने दो साल तक कड़ी मेहनत की और कई स्कूलों को यह समझाया कि स्वच्छता मॉनिटर कोई आम सफाई अभियान नहीं है. मैंने इसे लोकप्रिय बनाया और अचानक मुझे बाहर कर दिया गया. सभी जानते हैं कि स्वच्छता मॉनिटर मेरा कॉन्सेप्ट है. मेरे अभियान की वेबसाइट पर स्कूल रजिस्टर करते हैं. सरकार मेरा अभियान गलत तरीके से इस्तेमाल कर रही है, लेकिन उल्टा मुझ पर ही आरोप लगाया जा रहा है ताकि वे अपनी गलती छिपा सकें.”

अपने कथित आखिरी पत्र में उसने लिखा, “मुझ पर जो भी बीते, मेरा कोई इलाज न किया जाए. अगर कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना होती है, तो मंत्री दीपक केसरकर, उनके पीएस मंगेश शिंदे, स्कूल शिक्षा विभाग के आयुक्त सूरज मांधरे, समीर सावंत और तुषार महाजन पूरी तरह जिम्मेदार होंगे. मैं चाहता हूं कि 2022 से अब तक स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा लिए गए सभी फैसलों की पूरी जांच हो, ताकि यह पता चले कि वे दिशानिर्देशों के अनुसार थे या नहीं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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