नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता का 16वां दौर रविवार सुबह लगभग 9.30 बजे शुरू हुआ, जिसमें दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में मई 2020 से जारी सैन्य गतिरोध को दूर करने की कोशिश की. इससे पहले, 15वें दौर की बातचीत 11 मार्च को हुई थी.
यद्यपि भारतीय पक्ष पेट्रोल प्वाइंट (पीपी) 15—हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र—में सैन्य वापसी को एक आसान कदम मानता है लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन की तरफ से बड़ी संख्या में सैनिकों और सैन्य उपकरणों की लामबंदी चिंता का एक विषय बनी हुई है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि देपसांग मैदानों के पेचीदा मुद्दे के साथ-साथ यह भी भारत के लिए बड़ी चुनौती है.
एक और मुद्दा जिसे हल करने की जरूरत है, वह डेमचोक क्षेत्र से जुड़ा है, जहां चीनियों ने चारडिंग निलुंग नाले के पास अतिरिक्त तंबू गाड़ रखे है. हालांकि, सूत्रों ने बताया कि पीपी-15 की तरह यह भी एक ऐसा मुद्दा है जिसे आसानी से सुलझाया जा सकता है.
जहां तक पीपी-15 की बात है तो भारत यथास्थिति बहाल करने की मांग कर रहा है, जिसका मतलब है कि चीनियों को अप्रैल 2020 की अपनी स्थिति पर लौटना होगा.
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16वें दौर की वार्ता चुशुल मोल्दो मीटिंग प्वाइंट के भारतीय इलाके में हो रही है, जिसमें भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व फायर एंड फ्यूरी कोर कही जाने वाली 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल ए. सेन गुप्ता कर रहे हैं.
गौरतलब है कि 2020 में पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर भारतीय सेना के जवानों और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद से सैन्य गतिरोध जारी है.
15 जून 2020 को गलवान घाटी में एक खूनी संघर्ष के बाद तनाव चरम पर पहुंच गया था, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और कई पीएलए जवान भी मारे गए थे.
गलवान संघर्ष के बाद भारतीय सैनिकों ने 29-30 अगस्त की मध्यरात्रि एक साहसिक अभियान चलाते हुए चीन के मोल्दो गैरीसन को नजरअंदाज कर पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर स्थित पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था.
यद्यपि तबसे दोनों पक्षों ने गलवान घाटी, उत्तरी और दक्षिणी पैंगोंग त्सो और गोगरा क्षेत्र में तनाव घटाने के उपाय किए हैं, हालांकि, हॉट स्प्रिंग्स में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है.
सूत्रों ने कहा कि यद्यिप चीन ने क्षेत्र से बड़ी संख्या में सैनिकों को वापस बुला लिया है लेकिन फिर भी हॉट स्प्रिंग्स में हर एक तरफ करीब 35-50 सैनिक बने हैं, जहां पहली बार जुलाई 2020 में गलवान संघर्ष के तुरंत बाद ही सैन्य वापसी पर सहमति बनी थी.
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने इस साल मई में कहा था कि नई दिल्ली और बीजिंग के बीच मुख्य टकराव सीमा को लेकर है और चीन ‘सीमा मुद्दे’ को जीवित रखना चाहता है.
यद्यपि भारतीय पक्ष को लगता है कि हॉट स्प्रिंग्स मुद्दे का समाधान निकल आएगा लेकिन देपसांग के मैदानों के मुद्दे पर सहमति के आसार कम हैं, जो कि मौजूदा गतिरोध से अलग का मुद्दा है.
जैसा पहले बताया जा चुका है, चीनी सैनिक ‘बॉटलनेक एरिया’ से आगे निकलने वाले भारतीयों की गश्त को रोक रहे हैं, जिससे पीपी 10, 11, 12, 13 तक भारत की पहुंच सीमित हो गई है. इसके जवाब में भारतीय सेना भी ‘बॉटलनेक एरिया’ से आगे चीनी गश्त को बाधित कर रही है.
यहां चीनी दावे वाली सीमा रेखा बर्त्से नामक क्षेत्र में एक भारतीय सैन्य शिविर से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर है.
दौलत बेग ओल्डी, जहां भारत ने एक लैंडिंग हवाईपट्टी बना रखी है, से इसकी निकटता के अलावा यह क्षेत्र रणनीतिक तौर से महत्वपूर्ण होने की एक और वजह यह भी है कि यदि चीनी एलएसी के भारतीय हिस्से की तरफ आगे बढ़ते हैं, तो बेहद अहम मानी जाने वाली दरबुक श्योक-दौलत बेग ओल्डी (डीएस-डीबीओ) रोड पर नियंत्रण हासिल कर सकते हैं और सियाचिन ग्लेशियर से भारत का संपर्क काटने के प्रयास में सासेर ला दर्रे पर भी कब्जे का प्रयास कर सकते हैं.
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