नयी दिल्ली, 13 सितंबर (भाषा) भारत में 15 ‘रेंज’-राज्यों में फैले 150 हाथी गलियारों की पहचान की गई है और पश्चिम बंगाल ऐसे 26 गलियारों के साथ सूची में शीर्ष स्थान पर है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की एक नयी रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।
केंद्र सरकार की 2010 की हाथी कार्य बल रिपोर्ट (गज: रिपोर्ट) में देश में ऐसे 88 गलियारे सूचीबद्ध किए गए ।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट ‘भारत के हाथी गलियारे’ शीर्षक से सामने आई है। इसमें उल्लेख किया गया है कि इनमें 59 गलियारों में हाथियों की गतिविधियां बढ़ी हैं, 29 गलियारों में स्थिर रही और 29 अन्य गलियारों में हाथियों की गतिविधियों में कमी आई है।
कुल गलियारों में से 15 को क्षति पहुंची है और उनकी कार्यक्षमता बहाल करने के लिए पुनर्स्थापन प्रयासों की आवश्यकता है। हाथियों द्वारा 18 गलियारों के वर्तमान में उपयोग के संबंध में जानकारी उपलब्ध नहीं थी।
हाथी गलियारा वह भू क्षेत्र है जो दो या दो से अधिक व्यवहार्य प्राकृतिक वास वाले क्षेत्रों के बीच हाथियों द्वारा आवाजाही के लिए प्रयुक्त किया जाता है। व्यवहार्य प्राकृतिक वास वाले क्षेत्रों से जुड़े बिना जानवरों को वनीय प्राकृतिक वास से दूर मानव क्षेत्र में ले जाने वाले गलियारे वास्तविक हाथी गलियारे नहीं माने जाते हैं।
जनसांख्यिकीय अलगाव और आनुवंशिक व्यवहार्यता संबंधी चिंताएं हाथियों की आबादी के विलुप्त होने का खतरा पैदा करती हैं। इसलिए, रिपोर्ट में कहा गया है कि हाथी गलियारों की सुरक्षा एक प्रमुख संरक्षण रणनीति है।
वर्ष 2017 में की गयी अंतिम गणना के अनुसार, भारत में लगभग 30,000 हाथी हैं, जो हाथियों की वैश्विक आबादी का 60 प्रतिशत है।
नवीनतम रिपोर्ट भारतीय वन्यजीव संस्थान के तकनीकी सहयोग से केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की हाथी परियोजना और राज्य वन विभागों के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास का परिणाम है।
भाषा रवि कांत पवनेश
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