नई दिल्ली: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को चार मुस्लिम विधायकों को अपने मंत्रिपरिषद में शामिल किया, जिसके बाद महाराष्ट्र पश्चिम बंगाल के बाद सबसे बड़ा मुस्लिम मंत्रियों वाला राज्य बना गया है, बंगाल में सात मुस्लिम मंत्री हैं.
एनसीपी के हसन मुश्रीफ और नवाब मलिक, कांग्रेस के असलम शेख महाराष्ट्र में कैबिनेट मंत्री नामित किए गए, जबकि शिवसेना के अब्दुल सत्तार को विस्तार के बाद राज्य मंत्री बनाया गया.
भारत के 15 राज्यों- असम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड में कोई भी मुस्लिम मंत्री नहीं है.
दस अन्य राज्यों – आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश और दिल्ली में एक-एक मुस्लिम मंत्री है.
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस सरकार में सात मुस्लिम मंत्री हैं. जिसमें फ़रहाद हकीम, जावेद अहमद खान, अब्दुर रज़्ज़ाक मोल्ला, गियासुद्दीन मोल्ला, जाकिर हुसैन, गुलाम रब्बानी और सिद्दीकुल्लाह चौधरी शामिल हैं.
केरल में पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार में केटी जलील और एसी मोइदीन मुस्लिम मंत्री हैं.
भाजपा राज्यों में मुस्लिम मंत्री
सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के एक दशक बाद, जिसने सभी क्षेत्रों में कम मुस्लिम प्रतिनिधित्व को उजागर किया था. राज्य सरकारों में भी इस समुदाय का प्रतिनिधित्व कम हैं. 11 राज्यों में भाजपा के मुख्यमंत्री में से उत्तर प्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पर मंत्रिपरिषद में मुस्लिम मंत्री हैं.
2011 की जनगणना के अनुसार, यूपी में देश की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है. लगभग 20 प्रतिशत. हालांकि, राज्य के मंत्रिपरिषद में मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व मात्र 2 प्रतिशत है.
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राज्य में अकेले मुस्लिम मंत्री मोहसिन रजा हैं, वे विधान परिषद से आये हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा था.
जिन दो राज्यों में भाजपा के उपमुख्यमंत्री हैं, नागालैंड और बिहार में केवल एक मुस्लिम मंत्री हैं. अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का संचालन कर रहे फिरोज अहमद बिहार में अकेले मुस्लिम मंत्री हैं.
नए जनगणना के अनुसार पूर्वोत्तर राज्यों में मुस्लिम आबादी बहुत कम है. नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मिज़ोरम में मुसलमानों की संख्या कम है.
हालांकि, असम में मुस्लिम समुदाय के 34 प्रतिशत लोग हैं. मुसलमानों को अभी भी राज्य के मंत्रिपरिषद में कोई जगह नहीं मिली है. असम में शासन करने वाली भाजपा के पास अपने 61 चुने हुए नेताओं में से केवल दो मुस्लिम विधायक हैं- केवल 3 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व है.
द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार 2016 में नौ भाजपा शासित राज्यों में 151 मंत्रियों में एक मुस्लिम था.
सच्चर कमेटी की रिपोर्ट
2005 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को देखने के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया था. दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजिंदर सच्चर के नेतृत्व में 2006 की रिपोर्ट में कहा गया कि अल्पसंख्यक समुदाय के पास बेहतर आजीविका के साधन नहीं हैं.
पैनल ने स्थानीय और राज्य निकायों में बेहतर मुस्लिम प्रतिनिधित्व की आवश्यकता का वर्णन इस रिपोर्ट में किया था.
पिछले साठ वर्षों में अल्पसंख्यकों ने मुश्किल से सार्वजनिक स्थानों पर जगह बनाई है. लगभग सभी राजनीतिक हलकों में मुसलमानों की भागीदारी कम है, जो लंबे समय में भारतीय समाज और राजनीति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है. रिपोर्ट यहां पढ़ें.
नरेंद्र मोदी सरकार ने 2019 में एक अपडेट रिपोर्ट जारी की, जिसमें उन सुझावों का उल्लेख किया गया है, जिनमें इन सुझावों को ध्यान में रखा गया है और इसमें शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकायों में भी अल्पसंख्यक शामिल हों.
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आंध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और चंडीगढ़ उन राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में से हैं जिन्होंने इस सिफारिश को लागू की है.
असम, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर (पहले के), झारखंड, मध्य प्रदेश, मणिपुर, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने कोई भी जानकारी दी है.
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