नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में आम आदमी पार्टी (आप) को झटका देते हुए 15 पार्षदों ने शनिवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया तथा विकास कार्य ठप होने और आंतरिक असंतोष बढ़ने का हवाला देते हुए एक नया संगठन ‘इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी’ बनाने की घोषणा की।
हालांकि, आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा इस दलबदल के पीछे है और उसके पार्षदों को ‘‘खरीद-फरोख्त अभियान’’ के तहत पांच-पांच करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आप छोड़ने वाले पार्षदों ने स्वयं ही स्पष्ट कर दिया है कि “वे पार्टी की नीतियों से तंग आ चुके थे, जिनसे विकास बाधित हुआ और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला।”
नयी पार्टी का नेतृत्व करने वाले वरिष्ठ पार्षद मुकेश गोयल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हमारे चुनाव के बाद से ढाई साल में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। पार्टी अंदरूनी कलह और आरोप-प्रत्यारोप में ही व्यस्त रही।’’
उन्होंने दावा किया कि पार्षदों को विकास कार्यों के लिए बजट नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि नये संगठन का उद्देश्य जन कल्याण और एमसीडी के सुचारू संचालन पर ध्यान केंद्रित करना है। उन्होंने कहा कि यह कदम नगर निकाय तक ही सीमित है और इसका उद्देश्य राज्य स्तरीय राजनीति नहीं है।
आप पार्षदों के इस्तीफे और एक नए राजनीतिक दल के गठन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दिल्ली के महापौर सरदार राजा इकबाल सिंह ने कहा कि इससे आम आदमी पार्टी के भीतर “भ्रष्टाचार और निरंकुश कार्यप्रणाली” उजागर हो गई है।
सिंह ने दावा किया कि आप के “आंतरिक भ्रष्टाचार, जिसमें पार्षदों पर पार्टी नेताओं के लिए धन एकत्र करने का दबाव भी शामिल है,” ने दिल्ली में सभी सार्थक विकास को रोक दिया है।
नये संगठन में हेमचंद गोयल के साथ ही दिनेश भारद्वाज, हिमानी जैन, उषा शर्मा, साहिब कुमार, राखी कुमार, अशोक पांडे, राजेश कुमार और अनिल राणा जैसे पार्षद शामिल हैं।
अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया में ‘आप’ ने आरोप लगाया, ‘‘महापौर चुनाव के समय से ही भाजपा हमारे पार्षदों को अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है। प्रत्येक पार्षद को पांच करोड़ रुपये की पेशकश की गई।’’
पार्टी ने दावा किया, ‘‘भाजपा के पास स्थायी समिति या वार्ड समितियां बनाने के लिए बहुमत नहीं है, इसलिए वह खरीद-फरोख्त का सहारा ले रही है।’’
आम आदमी पार्टी ने दावा किया, ‘‘चूंकि हमने महापौर चुनाव के दौरान ही भाजपा की खरीद-फरोख्त की कोशिशों को उजागर कर दिया था, इसलिए अब वे यह दिखावा कर रहे हैं कि ये दलबदलू दूसरी पार्टी से हैं। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह शुरू से अंत तक भाजपा का ही काम है।’’
इन 15 पार्षदों के (पार्टी से) इस्तीफे के साथ 250 सदस्यीय सदन में आप की संख्या 113 से घटकर 98 रह गई है। भाजपा के सबसे ज्यादा 117 पार्षद हैं, जबकि कांग्रेस के 8 पार्षद हैं।
दलबदल रोधी कानून एमसीडी सहित नगर निकायों पर लागू नहीं होता।
भाषा प्रशांत अविनाश
अविनाश
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