गुवाहाटी: असम में बाढ़ ने 14 लोगों की जान ले ली है, रविवार को नागांव और कछार जिलों में तीन और मौतें हुईं. पिछले पांच दिनों में, उफनती ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी सहायक नदियों के बाढ़ के पानी ने 13 जिलों में 5,35,000 से ज़्यादा लोगों को प्रभावित किया है.
हालांकि, स्थिति की जांच की जा रही है क्योंकि यह संकट लोकसभा चुनावों के साथ मेल खाता है, जिसके नतीजे मंगलवार को घोषित किए जाएंगे. राज्य में बाढ़ की वजह भारी बारिश और पूर्वोत्तर में चक्रवाती गतिविधि है.
इस पर ध्यान देते हुए, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) ने सरकारी प्रतिनिधियों से चुनाव संबंधी गतिविधियों को रोकने और बाढ़ पीड़ितों की जरूरतों को प्राथमिकता देते हुए पर्याप्त राहत प्रदान करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है.
AASU के अध्यक्ष उत्पल सरमा ने दिप्रिंट से बात करते हुए आरोप लगाया, “राज्य सरकार और प्रशासन दोनों ही चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं, इसलिए आपदा प्रबंधन के लिए व्यवस्थाएं अपर्याप्त हैं.”
उन्होंने कहा, “असम में हर साल बाढ़ आती है, लेकिन संकट से निपटने के लिए सरकार को पहले से व्यवस्थाएं करनी पड़ती हैं. राज्य के विभिन्न हिस्सों से इतनी मौतों की रिपोर्ट के साथ, यह स्पष्ट है कि अपेक्षित व्यवस्थाएं नहीं की गईं.”
क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (RMC) के अनुसार, 28 मई को इस क्षेत्र में आए चक्रवात रेमल के प्रभाव के कारण असम में भारी बारिश हो रही है. दक्षिण-पश्चिम मानसून के पूर्वोत्तर में आगे बढ़ने से स्थिति और भी खराब हो गई है. मौसम विभाग ने 4 जून तक लगातार बारिश की भविष्यवाणी की है.
इस बीच, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया, जिन्होंने उनसे फोन पर बात करके स्थिति के बारे में जानकारी ली.
मुख्यमंत्री ने एक्स पर लिखा, “उन्होंने हमें इस मुश्किल समय में भारत सरकार की ओर से पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया है. हम उनके सक्रिय प्रयासों के लिए आभारी हैं.”
पिछले दो महीनों में, सरमा ने पूरे देश में सक्रिय रूप से प्रचार किया है, रैलियों को संबोधित किया है और मीडिया को साक्षात्कार दिए हैं. उनके अपने हिसाब से, उन्होंने 60 दिनों की अवधि में नौ राज्यों में 171 सभाओं और रोड शो को संबोधित किया.
39,000 लोग राहत शिविरों में
पिछले कुछ दिनों में, बाढ़ ने असम के बड़े हिस्से में तबाही मचाई है. रविवार को संकलित राज्य की आपदा रिपोर्टिंग और सूचना प्रबंधन प्रणाली (डीआरआईएमएस) के आंकड़ों से पता चलता है कि बाढ़ से संबंधित पहली मौत 29 मई को हुई थी, उसके बाद शनिवार तक 10 अन्य मौतें हुईं. 26 राजस्व सर्किलों के कुल 564 गांव जलमग्न हो गए हैं, जिसमें सबसे अधिक नुकसान कछार जिले से हुआ है. कोपिली, बराक और कुशियारा नदियां अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.
कई जगहों पर सड़कें, पुल और पुलिया बह गए हैं. डिब्रूगढ़ जिले में स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र प्रभावित हुए हैं, और कार्बी आंगलोंग में कई बांध और नहरें क्षतिग्रस्त हो गई हैं. बाढ़ ने 8,143.75 हेक्टेयर से अधिक फसलों को भी नष्ट कर दिया है.
9,652 बच्चों और 284 गर्भवती या स्तनपान कराने वाली माताओं सहित 39,000 से अधिक लोग राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं. अधिकारियों ने प्रतिक्रिया में कम से कम 275 राहत शिविर और 82 सहायता वितरण केंद्र खोले हैं. प्रभावित क्षेत्रों से मवेशियों और अन्य पशुओं सहित एक लाख से अधिक जानवरों को भी बचाया गया. कुछ राहत शिविरों में इंसान और मवेशी एक ही छत के नीचे रहते हैं.
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), अग्निशमन और आपातकालीन सेवाएं (एफएंडईएस) जैसी बचाव एजेंसियां जलमग्न क्षेत्रों से लोगों और मवेशियों को निकालने का काम जारी रखे हुए हैं. बचाव कार्यों के लिए स्थानीय देशी नावों को भी तैनात किया गया है.
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