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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशअंबेडकर की प्रतिमा, समाज सेवा के लिए पुरस्कार- कैसे अपनी 'सामंती छवि' को खत्म करने में जुटे हैं KCR

अंबेडकर की प्रतिमा, समाज सेवा के लिए पुरस्कार- कैसे अपनी ‘सामंती छवि’ को खत्म करने में जुटे हैं KCR

वेलामा (जमींदार) समुदाय से ताल्लुक रखने वाले केसीआर ने अपने भाषण में कहा था कि सचिवालय आने वाले हर मंत्री को अंबेडकर की प्रतिमा देखनी चाहिए और उनके सिद्धांतों को लागू करने के बारे में सोचना चाहिए.

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हैदराबाद: इस साल के अंत में होने वाले राज्य चुनावों से पहले, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने शुक्रवार को डॉ. बी.आर. अंबेडकर की प्रतिमा का उद्घाटन राज्य की राजधानी में हुसैन सागर झील के तट पर किया.

अंबेडकर को ‘विश्वमांडवुडु’ (सार्वभौमिक पुरुष) करार देते हुए केसीआर ने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अंबेडकर के सिद्धांतों को आगे बढ़ाएं. उन्होंने इस बात का संकेत भी दिया कि पार्टी ने सामाजिक न्याय का रास्ता चुना है.

उन्होंने कहा, ‘अंबेडकर जयंती का अर्थ केवल यह नहीं है कि हम उस दिन गीत गाएं और नाचें, बल्कि उनके सिद्धांतों को लागू करने पर काम करें और उसी के अनुसार रूपरेखा तैयार करें. अंबेडकर की प्रासंगिकता अब भी है और उनके सपनों को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है. मैंने यह प्रतिमा इसलिए नहीं बनवाई क्योंकि किसी ने मुझसे कहा था या किसी ने मांग की थी. यहां एक कड़ा संदेश है.’

यह प्रतिमा राज्य के नव-निर्मित (अभी तक उद्घाटन किया जाना है) सचिवालय से कुछ फीट की दूरी पर स्थित है, जिसे केसीआर सरकार ने अंबेडकर के नाम पर रखा था. इसके कुछ ही दूर पर बुद्ध की प्रतिमा भी स्थित है, अंबेडकर जिनके अनुयायी थे.

केसीआर ने कहा, ‘सचिवालय आने वाले हर मंत्री को बाबासाहेब की प्रतिमा देखनी चाहिए और अपने सिद्धांतों को लागू करने के बारे में सोचना चाहिए.’

‘केसीआर की पहचान सामंती मानसिकता से’

गौरतलब है कि पिछले साल केसीआर ने अगले साल लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से मुकाबला करने के लिए अपनी पार्टी का नाम तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) से बदलकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) कर दिया था.

राजनीतिक विश्लेषक तेलकपल्ली रवि कहते हैं कि सीएम द्वारा प्रतिमा के अनावरण के पीछे एक राजनीतिक संदेश भी है.

रवि कहते हैं, ‘प्रतिमा की राजनीति हर जगह समान काम करती है. (पीएम नरेंद्र) मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (गुजरात के केवड़िया में सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति) के साथ क्या करने की कोशिश की, केसीआर अंबेडकर की मूर्ति के साथ कर रहे हैं. बीआरएस यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वे पिछड़े समुदायों के साथ पहचान बना रहे हैं. यह सोशल इंजीनियरिंग की कवायद है और वे सामाजिक न्याय की कहानी गढ़ रहे हैं. तेलंगाना में सबसे अधिक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग की आबादी है, इसलिए यह एक स्वागत योग्य कदम है.’

रवि ने दिप्रिंट से कहा कि हो सकता है कि प्रतिमा खुद सीधे वोटों में परिवर्तित न हो, लेकिन यह अभ्यास का सिर्फ एक हिस्सा है.


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2011 की जनगणना के अनुसार, अनुसूचित जाति राज्य की कुल जनसंख्या का 15.4 प्रतिशत है, और अनुसूचित जनजाति लगभग 9.5 प्रतिशत है.

रवि कहते हैं, ‘केसीआर को हमेशा सामंती मानसिकता – ‘डोरा’ (सामंती प्रभुओं) संस्कृति के साथ पहचाना गया है. वह इसके साथ इसे खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.’

केसीआर वेलामा (जमींदार या जमींदार) समुदाय से आते हैं.

उन्होंने कहा, ‘इस बात की बहुत आलोचना होगी कि एक मूर्ति किसी समुदाय की सामाजिक स्थिति को कैसे बदल सकती है और जमीनी हकीकत अलग होने पर मूर्तियाँ कैसे मायने रखती हैं. लेकिन, यह तब हर प्रतिमा पर लागू होता है और फिर भी राजनेता ऐसा करते रहते हैं. 

केसीआर को ‘दलित द्रोही’ कहते हुए, तेलंगाना भाजपा प्रमुख बंदी संजय कुमार ने कहा कि सीएम वोट के लिए अंबेडकर का नाम जप रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘उन्होंने एक दलित को मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया और इसे पूरा नहीं किया, वह उन्हें तीन एकड़ जमीन देने में विफल रहे (जैसा कि तेलंगाना आंदोलन के दौरान वादा किया गया था). एक व्यक्ति, जिसने पिछले आठ वर्षों में कभी भी अंबेडकर जयंती कार्यक्रम में भाग नहीं लिया, अब वोट के लिए अपने नाम का उपयोग कर रहा है.’ करीमनगर से भाजपा सांसद ने आगे केसीआर पर विरोध प्रदर्शनों का विरोध करके और अंबेडकर के सिद्धांतों को लागू करने की बात करके ‘राज्य में लोकतांत्रिक माहौल’ की हत्या करने का आरोप लगाया.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी ने यह भी पूछा कि अगर केसीआर को दलित समुदाय की इतनी ही चिंता है, तो उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में इस समुदाय के एक मंत्री को क्यों नहीं रखा.

समाज सेवा में उत्कृष्टता के लिए ‘अंबेडकर पुरस्कार’

पिछले साल, केसीआर ने पात्र दलित परिवारों के लिए 10 लाख रुपये नकद सहायता प्रदान करने वाली दलित बंधु योजना के रूप में दलित समुदाय के लिए बड़े पैमाने पर सोप की घोषणा की थी.

सीएम ने शुक्रवार को कहा कि अब तक 50,000 दलित परिवारों को दलित बंधु योजना से सहायता मिली है और इस वित्तीय वर्ष में 1,50,000 परिवारों को सहायता दी जाएगी.

समारोह में शामिल होने के लिए करीमनगर जिले से हैदराबाद आए दलित बंधु के लाभार्थी डी. सैदुलु ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने पैसे से दो ऑटोरिक्शा खरीदे. हमारे स्थानीय विधायक ने हमें इस घटना के बारे में बताया और हम उनकी मदद से यहां आए. हम अपने सीएम से खुश हैं, वह हमारे समुदाय के लिए सोच रहे हैं.’

आयोजन को व्यापक रूप से सफल बनाने के लिए, बीआरएस नेताओं को दलित समुदाय के सदस्यों को इस आयोजन में शामिल करने की जिम्मेदारी भी दी गई थी.

अंबेडकर के पोते और पूर्व लोकसभा सांसद प्रकाश अंबेडकर ने भी सीएम के निमंत्रण पर उद्घाटन में भाग लिया और कहा कि हैदराबाद को देश की दूसरी राजधानी के रूप में उभरना चाहिए.

आयोजन के दौरान, केसीआर ने ‘अंबेडकर पुरस्कार’ की भी घोषणा की, जो सामाजिक सेवा में उत्कृष्टता प्राप्त करने वाले लोगों को सालाना वितरित किया जाएगा, इसके लिए 51 करोड़ रुपये की राशि अलग रखी जाएगी.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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