नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने खाद्यान्न, दवाइयां और वित्तीय मदद नहीं मिलने की वजह से 12 साल की एक नेत्रहीन लड़की की मौत होने के मामले में एक जनहित याचिका पर मंगलवार को आप सरकार से जवाब मांगा. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस लड़की को इन चीजों से इसलिए वंचित किया गया क्योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं था जिसके लिए रेटिना स्कैन जरूरी होता है.
शाहदरा के स्वामी दयानंद अस्पताल में एक जुलाई को इस लड़की की मौत हो गयी जहां उसे ले जाया गया था.
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जलान की पीठ ने तथ्यों को संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया. आप सरकार को 14 जुलाई तक नोटिस का जवाब देना है.
पीठ ने दिल्ली सरकार को याचिकाकर्ता सौरभ सिंह याचिका में उठायी गयी समस्याओं के समाधान के सुझाव देने का भी निर्देश दिया है.
सिंह ने कहा कि लॉकडाउन और बाद में उसमें दी गयी ढीलों के दौरान दिव्यांग लोग खाद्य केंद्रों पर नहीं पहुंच पाये और न ही वे राशन या वित्तीय मदद के संदर्भ में कोई मदद हासिल कर पाये .
सिंह के वकील कबीर घोष ने कहा कि पहले 30 जून को इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की दरख्वास्त की गयी लेकिन यह अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया एवं अगले ही दिन एक जुलाई को दोपहर में लड़की की मौत हेा गयी.
याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में कई ऐसे दिव्यांग हैं जिन्हें कोई सहायता नहीं मिली क्योंकि उनके पास राशन कार्ड या दिव्यांगता प्रमाणपत्र नहीं हैं. जिनके पास दिव्यांगता प्रमाणपत्र है , उन्हें भी विकलांगता पेंशन से वंचित रखा गया.