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Sunday, 22 December, 2024
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चेन्नई फर्टिलाइज़र यूनिट में अमोनिया गैस लीक के बाद 12 लोग अस्पताल में भर्ती, पुलिस ने कहा- स्थिति बेहतर है

पानी के नीचे पाइपलाइन टूटने के कारण हुए लीक का मंगलवार को पता चला, जिसके बाद कई निवासियों ने बेचैनी महसूस होने की शिकायत की. निवासियों ने मुफ्त चिकित्सा शिविर और कानूनी कार्रवाई की भी मांग की हैं.

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चेन्नई: मंगलवार रात एन्नोर में पेरियाकुप्पम के पास एक फर्टिलाइज़र मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से जुड़ी पानी के नीचे की पाइपलाइन से अमोनिया गैस लीक होने के बाद कम से कम 12 लोगों को चेन्नई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया.

खबरें आईं कि लीक का पता चलने के बाद सुविधा बंद कर दी गई है.

पेरियाकुप्पम, चिन्नाकुप्पम, एरानावुर और नेत्तुकुप्पम के निवासियों ने तेज गंध, बेचैनी, आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत की थी. यह गैस लीकचेन्नई में तेल रिसाव के तुरंत बाद हुआ है जो समुद्र में कम से कम 20 वर्ग किमी तक फैल गया है.

एक प्रेस बयान में, अतिरिक्त मुख्य सचिव, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन, सुप्रिया साहू ने कहा कि सरकार को फर्टिलाइज़र विनिर्माण सुविधा कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड से “रात 12.45 बजे पाइपलाइन के प्री-कूलिंग ऑपरेशन के दौरान हुए अमोनिया गैस लीक के संबंध में” जानकारी मिली है.

कोरोमंडल इंटरनेशनल अमोनियम फॉस्फेट पोटाश सल्फेट (एपीपीएस) का निर्माण करता है जिसके लिए कच्चे माल के रूप में अमोनिया की आवश्यकता होती है.

साहू ने कहा कि फर्टिलाइज़र मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी, जो ईरान या सऊदी अरब से अमोनिया का आयात करती है, जहाजों के माध्यम से एन्नोर बंदरगाह के माध्यम से प्राप्त की जाती है. फिर इसे “समुद्र तल के नीचे बिछाई गई 2.5 किमी लंबी 8′ लचीली एचडीपीई पाइपलाइन का उपयोग करके वहां से स्थानांतरित किया जाता है. समुद्र की सतह से पाइपलाइन की गहराई तट के पास 1′ से लेकर बंदरगाह पर बांध बिंदु पर 18′ तक भिन्न होती है.”

साहू ने कहा, 26 दिसंबर को, यूनिट ने रात लगभग 11.45 बजे पाइपलाइन में दबाव में गिरावट देखी और स्टोरेज टर्मिनल के आसपास और सामग्री गेट के पास तीखी गंध देखी. “यूनिट ने तुरंत सड़क के पार पाइपलाइन स्थान का भी दौरा किया और किनारे से लगभग 2′ की दूरी पर पाइपलाइन से गैस के बुलबुले निकलते हुए देखा. यूनिट ने तुरंत अमोनिया वाष्प को फ्लेयर की ओर मोड़कर पाइपलाइन का दबाव कम करना शुरू कर दिया और 20 मिनट के भीतर ऑपरेशन पूरा कर लिया.”

उन्होंने बताया कि औद्योगिक सुरक्षा निदेशालय के संयुक्त निदेशक और चेन्नई, अंबत्तूर और मनाली के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे.

पेरियाकुप्पम, चिन्नाकुप्पम और थालनकुप्पम के कई निवासियों ने कोरोमंडल फैक्ट्री के बाहर मुफ्त चिकित्सा शिविर, सुविधा के कामकाज में कोई अनियमितता होने पर कानूनी कार्रवाई और क्षेत्र के लोगों का चिकित्सा खर्च कंपनी द्वारा वहन करने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने उपाय के रूप में निवासियों के लिए बीमा की भी मांग की.

एक बयान में, कोरोमंडल ने कहा कि नियमित संचालन के दौरान, यूनिट ने संयंत्र परिसर के बाहर, तट के पास अमोनिया उतारने वाली उप-समुद्र पाइपलाइन में असामान्यता देखी. उन्होंने कहा, “हमारा SOP तुरंत सक्रिय हो गया, और हमने अमोनिया प्रणाली सुविधा को अलग कर दिया और कम से कम समय में स्थिति को सामान्य किया. इस प्रक्रिया के दौरान, स्थानीय समुदाय के कुछ सदस्यों ने असुविधा व्यक्त की और उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता दी गई. सभी सुरक्षित हैं और सामान्य स्थिति बहाल हो गई है. हमने संबंधित अधिकारियों को घटना के बारे में सूचित कर दिया है. कोरोमंडल ने हमेशा उच्चतम सुरक्षा मानकों और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली का पालन किया है.”


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‘घबराने की जरूरत नहीं’

गैस लीक के तुरंत बाद, पेरियाकुप्पम, चिन्नाकुप्पम और पड़ोसी इलाकों के कई निवासी अपने घरों से सड़कों पर निकल आए.

संयुक्त पुलिस आयुक्त, अवाडी, विजयकुमार ने सुबह लगभग 3:30 बजे एक्स पर पोस्ट किया, “घबराने की जरूरत नहीं. एन्नोर में अब गैस (अमोनिया) का लीक नहीं होगा. लोग आश्वस्त हैं और घर वापस आ गए हैं. मेडिकल और पुलिस की टीमें मौजूद हैं.”

एन्नोर की रहने वाली अमुधा ने कहा कि उन्हें और उनके परिवार को रात करीब 11:30 बजे बेचैनी महसूस होने लगी. उसके पड़ोसियों ने भी यही शिकायत की और कुछ देर में ज्यादातर लोग सड़क पर आ गए.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “हमने कई मास्क पहने हुए थे, जिससे सांस लेना और भी मुश्किल हो गया था. हम सभी सड़क पर और पास के मंदिरों में रुके रहे.” अमुधा ने कहा कि उनके कुछ पड़ोसियों को आश्रय गृहों में ले जाया गया जहां उन्हें सांस लेने में तकलीफ और आंखों की जलन के लिए उनका इलाज किया गया.

पुलिस और जिला प्रशासन ने उन निवासियों को राहत केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया, जो स्थानांतरित होने के इच्छुक थे.

साहू ने कहा कि अमोनिया का स्तर सुबह 3:30 बजे तक गिर गया था. बयान में कहा गया, “तमिलनाडु प्रदूषण बोर्ड नियंत्रण टीम द्वारा निरीक्षण के दौरान, परिवेशी वायु में अमोनिया के स्तर की निगरानी की गई और सामग्री गेट के पास सुबह 3.30 बजे 3 पीपीएम (24 घंटे के औसत पर 400 माइक्रोग्राम/एम3 के मुकाबले 2,090 माइक्रोग्राम/एम3) पाया गया.”

उन्होंने बताया कि घटना के समय, उर्वरक इकाई ने हाथ से पकड़े जाने वाले मॉनिटर का उपयोग करके पाया था कि सामग्री गेट के पास अमोनिया का स्तर 28 पीपीएम था.

पर्यावरणविद् नित्यानंद जयरमन ने दिप्रिंट को बताया कि समुद्र के 500 मीटर अंदर एक पाइपलाइन टूट गई. उन्होंने कहा, “मछुआरों ने कल बुलबुले देखे जाने की सूचना दी.”

उन्होंने कहा, “प्रेस विज्ञप्ति में बताए गए अमोनिया के स्तर घटना के तीन घंटे बाद लिए गए हैं. हवा पूर्वोत्तर से दक्षिण-पश्चिम की ओर बह रही थीं और तट से बर्मा नगर और अर्नावुर की ओर प्रदूषक कण ले जा रही थीं. हवा की गति के आधार पर स्तर 2 से 3 किमी दक्षिण पश्चिम में मापा जाना चाहिए था.”

जयरमन ने कहा कि यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि लोगों को इस तथ्य से अस्वीकार्य स्तर का जोखिम उठाना पड़ा है कि उन्हें रात 1 बजे अर्नावुर और बर्मा नगर में तेज गंध का अनुभव होता रहा. उन्होंने कहा, “तथ्य यह है कि यह जहाज से फैक्ट्री तक अमोनिया उतारने के दौरान हुआ, न कि वास्तविक उतराई के दौरान, जो कि एक अच्छी खबर है वरना हालात और भी बदतर हो सकते थे.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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