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Monday, 13 May, 2024
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मुम्बई में बदले जाएंगे अंग्रेज़ों के ज़माने के 12 पुल, प्रतिष्ठित तिलक ब्रिज से होगी शुरुआत

तिलक ब्रिज की जगह केबल से बने दो नए पुल ले लेंगे, जो मौजूदा ढांचे के दोनों ओर बनाए जाएंगे. इन पुलों के 2023 तक पूरा हो जाने की अपेक्षा है.

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मुम्बई: दादर में केंद्रीय मुम्बई के एक सबसे व्यस्त पूर्व-पश्चिम चौराहे पर, मज़दूरों का एक समूह ख़ामोशी के साथ फुटपाथ पर काम कर रहा है, और एक नए पुल के लिए भूमिगत सेवा लाइनों को हटा रहा है. दूसरी ओर, मध्य और पश्चिमी रेलवे की पटरियों पर, उपनगरीय ट्रेनें बिना किसी व्यवधान के चल रही हैं.

रेलवे लाइनों के ऊपर लोहे के गर्डर्स का एक चरमराता हुआ पुल, जो 1925 में बना था, आज भी शहर के वाहनों और पैदल यात्रियों का बोझ ढो रहा है. ये मुम्बई का ऐतिहासिक तिलक ब्रिज है- अंग्रेज़ों का बनाया हुआ- जो बीते सालों में शहर का सबसे प्रमुख, और सबसे भीड़-भाड़ वाला पूर्व-पश्चिम संपर्क केंद्र बन गया है.

लेकिन, पुराना पड़ चुका ये पुल, जो अब घिसकर असुरक्षित हो गया है, जल्दी ही गिराया जाएगा और केबल से बने दो नए पुल इसकी जगह ले लेंगे.

तिलक ब्रिज ब्रिटिश काल के उन 12 पुलों में से है, जिन्हें बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी), महाराष्ट्र रेल इनफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमआरआईडीसी) के साथ मिलकर, नए सिरे से बना रहा है.

एमआरआईडीसी के प्रबंध निदेश राजेश कुमार जयसवाल ने दिप्रिंट से कहा, ‘लोहे के गर्डर्स के पुलों का सामान्य जीवन 100 साल का होता है, उससे अधिक नहीं, और इनमें से बहुत सारे पुल 100 साल से अधिक पुराने हो चुके हैं’.

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जसवाल ने ये भी कहा कि निगम कोशिश करेगा, कि पुराने पुलों को तोड़ने से पहले नए पुल तैयार हो जाएं, ताकि ट्रैफिक में कम से कम व्यवधान हो.

जयसवाल ने कहा, ‘जहां-जहां संभव है वहां हम कोशिश कर रहे हैं, कि पहले नया पुल बना लें और उसके बाद ही पुराने पुल को गिराया जाए, ताकि ट्रैफिक प्रभावित न हो. तिलक ब्रिज के लिए हम यही करने का प्रयास कर रहे हैं. जगह की तंगी या ट्रैफिक की हलचल के कारण, जहां छोटे स्पैन्स मुमकिन नहीं हैं, वहां हम केबल के पुल बना रहे हैं’. जयसवाल ने आगे कहा, कि बदले जाने वाले 12 में से 5 पुल केबल से बने होंगे.

एमआरआईडीसी ने सेवा लाइनों को शिफ्ट करने का काम शुरू कर दिया है, लेकिन नए तिलक ब्रिज और रे रोड ब्रिज के निर्माण का काम नवंबर में शुरू होगा.

दस अन्य पुल जो घाटकोपर, बायखला (बायखला ओवरब्रिज और एस ब्रिज), मज़गांव, महालक्ष्मी, आर्थर रोड, लोअर परेल, बेलासिस रोड, करी रोड, और मटुंगा लेबर कैम्प में हैं, प्लानिंग और मंज़ूरी के अलग अलग चरणों में हैं.

एमआरआईडीसी को उम्मीद है कि इनमें से कम से कम तीन पुलों- तिलक ब्रिज, रे रोड ब्रिज, और बायखला ओवरब्रिज- का निर्माण कार्य 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा.


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एक सदी पुराने पुलों को फिर से बनाने की तैयारी

इनमें से ज़्यादातर पुल रेलवे लाइनों के ऊपर बने हैं, जो बहुत भीड़-भाड़ वाले इलाक़ों में हैं, और जिनपर हर दिन भारी ट्रैफिक रहता है. नया पुल बनाने से पहले ही इन्हें गिरा देने से, पहले से ही धीमी गति का मुम्बई ट्रैफिक, बुरी तरह प्रभावित हो सकता था.

इस कारण, नए पुलों की योजना बनाते समय एमआरआईडीसी ने निर्णय किया, कि वो ट्रैफिक की आवश्यकता के अनुसार पुल की लंबाई और चौड़ाई तय करने के, इनफ्रास्ट्रक्टर नियमों के विपरीत काम करेंगे.

उसकी बजाय निगम ने उस जगह की ज़मीनी वास्तविकता का सर्वेक्षण किया, ताकि पुराने पुल को तोड़ने से पहले, नए पुल के संभावित विकल्पों का पता लगा लिया जाए.

जयसवाल ने कहा, ‘सबसे पहले हमने पूरे इलाक़े का एक ड्रोन सर्वे किया, जिसमें समानांतर और खड़ी दूरियों को नापा गया, स्थल पर मौजूद हर चीज़ को दर्ज किया गया, जिससे कि पुल का साइज़ और लंबाई तय की जा सके, और ये देखा जा सके कि हम कॉलम कहां बना सकते हैं.

उन्होंने आगे कहा, ‘हमने पांच मीटर तक की गहराई में जाकर, भूमिगत सेवाओं की मैपिंग की. उसके बाद हमने पुलों के लिए, सबसे उपयुक्त जगह का चयन किया’.

मसलन, तिलक ब्रिज पर एमआरआईडीसी ने चार लेन के मौजूदा पुल की जगह, उसके दोनों ओर तीन-तीन लेन के दो पुल बनाने का फैसला किया, जिनमें मध्य और पश्चिमी रेलवे लाइनों के बीच केवल एक खंभा होगा, ताकि उपनगरीय रेल ट्रैफिक में कम से कम व्यवधान पैदा हो.

तिलक ब्रिज की जगह बनने वाले दो पुलों पर, 375 करोड़ रुपए की लागत आएगी.

नया बायखला रेल ओवरब्रिज बनाने के लिए भी, एमआरआईडीसी यही तरीक़ा इस्तेमाल करेगी, जिसमें मौजूदा ढांचे को तोड़ा नहीं जाएगा, और ट्रैफिक भी बाधित नहीं होगा.

लेकिन, जसवाल ने कहा कि रे रोड ब्रिज को पहले तोड़ा जाएगा, उसके बाद ही उसकी जगह नया पुल बनाया जाएगा.

मुम्बई के पुल

मुम्बई में कुल मिलाकर 300 से अधिक पुराने और नए पुल हैं, जिनका रख-रखाव कम से कम पांच अलग अलग एजेंसियां करती हैं.

अंग्रेज़ों द्वारा बनाए गए पुलों के लिए, यूके सरकार आमतौर पर महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों को पत्र भेजकर याद दिलाती है, कि पुल की जीवन-अवधि समाप्त हो रही है, और उसे मरम्मत की ज़रूरत है.

एक निगम अधिकारी ने, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, कहा कि 12 में से कुछ पुलों के लिए, जिन्हें फिर से बनाया जाएगा, मुम्बई नगर इकाई को ऐसे पत्र प्राप्त हुए हैं.

औपनिवेशिक काल के 12 पुलों को फिर से बनाने की योजना ने उस समय ज़ोर पकड़ा, जब 2018 में अंधेरी में पश्चिमी रेलवे लाइनों के ऊपर बना एक पैदल पुल गिर गया.

उस घटना के बाद पश्चिमी और मध्य रेलवे तथा बीएमसी ने, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे के विशेषज्ञों की सहायता से, मुम्बई के तमाम ओवरब्रिजों की ढांचागत स्थिरता का, अध्ययन कराने का फैसला किया.

ऑडिट के बाद, बीएमसी ने 12 पुलों को फिर से बनाने का काम एमआरआईडीसी को सौंप दिया, जो रेल मंत्रालय और महाराष्ट्र सरकार का एक संयुक्त उद्यम है, जिसका गठन जुलाई 2018 में हुआ था.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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