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Monday, 4 November, 2024
होमदेशसीएए के समर्थन में आए 1100 बुद्धिजीवी, शिक्षाविद- कहा देशभर में जानबूझकर डर का माहौल फैलाया जा रहा है

सीएए के समर्थन में आए 1100 बुद्धिजीवी, शिक्षाविद- कहा देशभर में जानबूझकर डर का माहौल फैलाया जा रहा है

बुद्धिजीवियों ने अल्पसंख्यकों के साथ खड़े होने और धार्मिक प्रताड़ना के कारण भाग कर आने वालों को शरण देने' के लिए कानून बनाने के लिए संसद को बधाई दी.

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नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों के ग्यारह सौ शिक्षाविदों ने शनिवार को एक बयान जारी किया. अपने बयान में इन शिक्षाविदों ने,’ भुलाए गए अल्पसंख्यकों के साथ खड़े होने और भारत के सभ्यतागत स्वभाव को बरकरार रखने’ तथा, ‘धार्मिक प्रताड़ना’ के कारण भाग कर आने वालों को शरण देने’ के लिए कानून बनाने के लिए संसद को बधाई दी.

शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों और अनुसंधान विद्वान के एक ग्रुप ने नागरिकता संशोधन अधिनियम कानून के समर्थन में बयान ​जारी किया है. यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में सताए गए धार्मिक अल्पसंख्यकों को शरण देने की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करता है.

वक्तव्य पर हस्ताक्षर करने वालो में शिक्षाविदों की सूची में मुख्य रूप से प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर शामिल है. यह सभी ​देश और विदेशी शिक्षण संस्थानों से जुड़े हुए है.

वक्तव्य में कहा गया है कि 1950 के नेहरु—लियाकत समझौते की विफलता के बाद से अलग अलग राजनीतिक विचारधाराओं के लोगों- कांग्रेस,सीपीएम आदि ने लागातार मांग की है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में जो धार्मिक अल्पसंख्यक है, जिनमें ज्यादातर दलित है उन्हें नागरिकता दी जाए.

उन्होंने कहा कि हम भारतीय संसद और सरकार को भुलाए गए अल्पसंख्यकों के साथ खड़े होने और भारत के सभ्यतागत स्वभाव को बरकरार रखने’ तथा,’धार्मिक प्रताड़ना के कारण भाग कर आने वालों को शरण देने’ के लिए संसद को बधाई देते है.

‘हम इस बात से भी संतुष्ट है कि पूर्वोत्तर राज्यों की चिंताओं को भी सुना गया और उनकों उचित रूप से संबोधित भी किया जा रहा है.’

‘हमारा मानना है कि सीएए भारत का धर्मनिरपेक्ष संविधान के साथ पूरी तरह से तालमेल रखता है और किसी भी देश के, किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से नहीं रोकता है.’

‘न ही यह किसी भी तरह के नागरिकता के मानदंडो को बदलता है. केवल तीन विशिष्ट देशों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश और आफ​गानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न से भागे अल्पसंख्यकों के लिए विशेष निवारण प्रदान करता है.’

‘हमें इस बात पर भी गहरा दुख है कि देश भर में डर और भय का माहौल जानबूझ के फैलाया जा रहा है. जिसकी वजह से देश के कई हिस्सों में हिंसा हुई है.’

समाज के हर वर्गों से हम संयम बरतने की अपील करते है. साथ ही उनसे  प्रचार, सांप्रदायिकता और अराजकतावाद के जाल में फंसने के बचे.

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