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Thursday, 31 October, 2024
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ब्रिटेन के 100 सांसदों ने बोरिस जॉनसन से किसान आंदोलन पर प्रधानमंत्री मोदी से बात करने को कहा

सांसदों ने बोरिस जॉनसन से कहा है कि केंद्र और आंदोलनकारी किसानों के बीच मौजूदा गतिरोध जल्द से जल्द खत्म कराने के लिए दबाव डालें.

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नई दिल्ली: ब्रिटेन में पार्टी लाइन से इतर 100 से अधिक सांसदों ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से भारत में चल रहे किसानों के आंदोलन का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष उठाने का आग्रह किया है.

पत्र में सांसदों ने जॉनसन से ‘मौजूदा गतिरोध के शीघ्र समाधान और नागरिकों के शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जताने के लोकतांत्रिक मानवाधिकार’ के लिए दबाव बढाने को कहा है. इनमें तमाम सांसद ऐसे हैं जिनके मतदाता बड़ी संख्या में भारतीय डायसपोरा के हैं और कृषि पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं.

तीन विवादास्पद कानूनों के विरोध में हजारों की संख्या में किसान एक महीने ज्यादा समय से प्रदर्शन के लिए दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हैं. नवंबर में सिंघु बॉर्डर पहुंचे आंदोलनकारियों पर पानी की बौछार की गई थी और कई राउंड आंसू गैस के गोले भी दागे गए थे.

यद्यपि किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच आठ दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है. किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया है.


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‘मतदाताओं की चिंताएं गंभीर’

5 जनवरी को लिखा गया यह पत्र स्लो सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने शुक्रवार को ट्विटर पर साझा किया. ब्रिटेन में नोवेल कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन के कारण बढ़ते संकट के बीच यह उसी दिन आया जब जॉनसन ने गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में अपनी प्रस्तावित भारत यात्रा को रद्द कर दिया था.

पत्र में कहा गया है, ‘तमाम संगठनों खासकर पंजाब और भारत के अन्य हिस्सों से संबंध रखने वालों को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे किसानों पर वाटर कैनन, आंसू गैस और बल प्रयोग किए जाने ने खासा चिंतित कर दिया था. इस मुद्दे ने प्रवासी भारतीय समुदाय, खासकर पंजाबी या सिख पृष्ठभूमि वालों या जिनकी भारत में जमीनें हैं या फिर किसी तरह से कृषि से जुड़े रहे हैं, को इस कदर आंदोलित कर दिया है कि हजारों की संख्या में लोग ग्लोबल प्रोटेस्ट में शामिल हो गए हैं जो पूरे ब्रिटेन के शहरों और कस्बों में हो रहे हैं.’

इसमें यह भी बताया गया कि ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब को पहले ही एक अन्य पत्र भेजा गया था और इस पर सांसदों को आश्वासन दिया गया था कि यह मुद्दा विदेश मंत्री एस. जयशंकर के समक्ष उठाया जाएगा. जॉनसन को लिखे पत्र में कहा गया है कि हालांकि, राब ऐसा करने में विफल रहे जब वह दिसंबर में प्रधानमंत्री मोदी से मिले.

सांसदों ने अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से पुष्ट तौर पर यह बताने को कहा है कि वह जल्द से जल्द मोदी से बात करेंगे. इसमें कहा गया है, ‘मामले की गंभीरता को देखते हुए क्या आप इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि आप निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हमारे मतदाताओं की चिंताओं, मौजूदा गतिरोध जल्द खत्म होने की हमारी उम्मीदों और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के नागरिकों के लोकतांत्रिक मानवाधिकारों पर बात करेंगे.’

जॉनसन को ‘इस मुद्दे पर गलतफहमी’

पत्र में यह दावा भी किया गया कि जॉनसन ने भारत में चल रहे विरोध प्रदर्शन को गलत समझा है. 9 दिसंबर को ब्रिटेन की संसद में स्लो एमपी ढेसी द्वारा किसान आंदोलन पर किए गए एक सवाल का जवाब देते हुए जॉनसन ने पाकिस्तान का जिक्र किया और कहा कि यह मुद्दा ‘उन दो सरकारों को निपटाना’ है.

सांसदों ने अब जॉनसन से प्रदर्शनों पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है. पत्र में लिखा है, ‘क्या आप इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी राय स्पष्ट करने के लिए प्रतिक्रिया दे सकते हैं? क्या आप वास्तव में इससे सहमत हैं कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जताना हर किसी का मौलिक अधिकार है?’

ढेसी ने बताया कि यह पत्र तमाम मतदाताओं की तरफ से अपने सांसदों से यह मुद्दा प्रधानमंत्री जॉनसन के समक्ष उठाने के लिए कहे जाने के बाद भेजा गया है. ढेसी ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि मौजूदा गतिरोध तोड़ने की हमारी उम्मीदों को वह आगे पहुंचाएंगे.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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