नई दिल्ली: सोमवार को भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई पर हुए आतंकी हमले के दस साल पूरे हुए हैं. इस हमले में 166 लोग मारे गए थे और 400 लोग घायल हुए थे. लेकिन इस हमले का मास्टर माइंड हाफिज़ सईद अब भी आज़ाद घूम रहा है. यहां तक कि उस पर कोई आपराधिक मुकदमा भी नहीं है.
उसके संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) अब प्रतिबंधित नहीं हैं. सईद पिछले कुछ सालों में ज़्यादा ताकतवर हो गया है. यहां तक कि वह मुख्यधारा की राजनीति कर रहा है.
पिछले कुछ सालों में सईद को कई बार गिरफ्तार किया गया. हालांकि ज़्यादातर समय यह घर में नज़रबंदी जैसा ही होता था लेकिन उसे जल्द ही छोड़ दिया जाता था. जब भी उसके संगठन पर प्रतिबंध लगाया गया वह एक नए नाम से संगठन बना लेता था. अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद उसे पाकिस्तानी सरकार और मिलिट्री का सहयोग मिलता रहा.
सईद और उसके संगठन जमात-उद-दावा को क्या इतना ताकतवर बनाता है? वह हर बार इतने गंभीर आरोपों से कैसे बाहर निकल जाता है? अमेरिका द्वारा सहायता रोक देने की धमकी के बावजूद पाकिस्तानी सरकार उसके खिलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं करती है? उसके पाकिस्तान में चुनाव जीतने पर क्या प्रभाव होगा? दिप्रिंट ने मुंबई हमले के दस साल पूरे होने पर इन सवालों की पड़ताल की.
जेयूडी और एफआईएफ का साम्राज्य
एक भारतीय जांचकर्ता का कहना है कि पाकिस्तानी सरकार द्वारा संरक्षण मिलने के प्रमुख कारणों में एक यह है कि सईद के संगठन देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. उन्होंने कहा, ‘सईद या उसके संगठनों- जेयूडी और एफआईएफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उम्मीद करना बेमानी है.’
जेयूडी और एफआईएफ दोनों खुद को धर्मार्थ संगठन होने का दावा करते हैं. ये दोनों संगठन कई अस्पताल, इंग्लिश मीडियम स्कूल, बड़ी संख्या में एंबुलेंस, सार्वजनिक पुस्तकालय चलाते हैं. इनकी औद्योगिक और बैंकिंग सेक्टर में भी कई इकाईयां हैं.
उन्होंने कहा, ‘इन संगठनों द्वारा चलाए जा रहे अल अजीज़ अस्पताल में न सिर्फ मेडिकल चेकअप मुफ्त है बल्कि मेडिसिन और दंत चिकित्सा का कोर्स भी चलता है.’
सईद के संगठनों ने न केवल नेटवर्क बनाने के लिए काम किया है बल्कि मीडिया प्रबंधन सेल के बदौलत एक अच्छी सार्वजनिक छवि भी है.
मुंबई हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा जेयूडी को दान दिए जाने पर प्रतिबंध लगाने और अमेरिका द्वारा इन्हें वाच लिस्ट (निगरानी सूची)में डाल दिए जाने के बावजूद यह स्वतंत्र रूप से काम कर रहा है. अक्सर प्राकृतिक आपदाओं के बाद राहत प्रयासों में सबसे आगे भी रहता है.
एक दूसरे जांचकर्ता का कहना था, ‘2008 में हुए हमलों के बाद सईद को लेकर ढेर सारे आरोप प्रत्यारोप हुए लेकिन वह सरकारी संरक्षण में आगे बढ़ता रहा. यह साफ है कि पाकिस्तान उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा क्योंकि वह अभी इस स्थिति में नहीं है.’
इस सबकी शुरुआत
जमात-उद-दावा को मूल रूप से मरकज़-उद-दावा-वल-इरशाद (एमडीडब्लूआई) कहा जाता था. इसे एमडीआई भी कहा जाता था.
लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), एमडीआई की आतंकवादी शाखा है जिसकी स्थापना 1985 में हाफिज़ सईद द्वारा की गई थी.
सईद के नेतृत्व में एमडीआई ने एक सैन्य इकाई भी बनाई. इस संगठन में अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों के प्रभारी कमांडर थे. भर्ती और खुफिया विभाग के लिए ज़िम्मेदार लोग थे. जिहादियों को प्रशिक्षित करने के लिए शिविर स्थापित किए गए थे और मध्य-पूर्वी देशों से धन का प्रंबंधन करने वाले अकाउंटेंट थे.
इसके मिलिट्री विंग लश्कर ने कट्टरपंथी वहाबी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए मध्य पूर्व और दक्षिणपूर्व एशिया के जिहादी संगठनों के साथ बेहतर संबंध बनाए.
1994 में जब इस संगठन ने शिक्षा, स्वास्थ्य, किसान कल्याण जैसे दूसरे धर्मार्थ कार्यों में पैसा खर्च करना शुरू किया तो पाकिस्तान सरकार भी एमडीआई (अब जेयूडी) का साथ देने लगी.
अब प्रतिबंधित नहीं
संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के तहत जेयूडी और एफआईएफ को प्रतिबंधित करने वाले एक पाकिस्तानी राष्ट्रपति के अध्यादेश को समाप्त कर दिया गया है, जिसके बाद दोनों संगठनों पर प्रतिबंध हटा दिया गया है.
प्रतिबंध हटा दिए जाने के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने नवंबर के शुरू में पाकिस्तान से औपचारिक रूप से दोनों संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाने के लिए कहा.
अमेरिका ने यह भी कहा कि प्रतिबंध को हटाने से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के तहत आतंकवाद से लड़ने के लिए पाकिस्तान ने अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की क्षमता को खतरे में डाल दिया जाएगा, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
हालांकि इसके बजाय सईद ने एक राजनीतिक दल ‘मिली मुस्लिम लीग’ इस उम्मीद से बनाया है कि यह भविष्य में देश की चुनावी राजनीति में बड़ी भूमिका निभाएगा.
दिप्रिंट से बातचीत करते हुए एक जांचकर्ता ने इसे ‘वैद्यता के लिए मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश करने का प्रयास’ कहा.
उन्होंने कहा, ‘जेयूडी और एफआईएफ के ज़रिये विभिन्न काम करके सईद ने अपना बड़ा आधार बना लिया है. अब चुनाव के ज़रिए दोनों संगठनों को वैधता दिलाने का काम किया जा रहा है. चुनाव में जीतने से सरकार और पॉलिसी निर्माण में भागीदारी मिल जाएगी.’
उन्होने आगे कहा, ‘अभी तक, वह सिर्फ बाहरी बल के रूप में कार्य कर रहा था लेकिन इस कदम के साथ, वह सार्वजनिक वैधता की तलाश में है.’
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