नयी दिल्ली, तीन अगस्त (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि भारत और चीन के पास अब अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों की संख्या सबसे अधिक है तथा 10 और भारतीय स्थलों के रामसर सूची में शामिल होने से इनकी कुल संख्या 64 हो गई है।
रामसर सूची का उद्देश्य आर्द्रभूमियों का एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क विकसित करना और इसे सुरक्षित रखना है, जो इनके पारिस्थितिकी तंत्र घटकों, प्रक्रियाओं और लाभों के संरक्षण के जरिए वैश्विक जैविक विविधता की सुरक्षा तथा मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।
सूची में शामिल किए गए 10 नए स्थलों में से तमिलनाडु के छह और गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश तथा ओडिशा का एक-एक स्थल शामिल है। ये आर्द्रभूमि स्थल देश में 12,50,361 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हैं।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘इन स्थलों के सूची (रामसर) में शामिल होने से आर्द्रभूमियों के संरक्षण और प्रबंधन तथा उनके संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग में मदद मिलेगी। अब, भारत चीन के साथ संयुक्त रूप से पहले स्थान पर है।’
रामसर सूची में शामिल किए गए 10 नए भारतीय आर्द्रभूमि क्षेत्रों में तमिलनाडु का कोंथनकुलम पक्षी अभयारण्य, मन्नार की खाड़ी समुद्री जीवमंडल रिजर्व, वेम्बन्नूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स, वेलोड पक्षी अभयारण्य, वेदान्थंगल पक्षी अभयारण्य और उदयमर्थनपुरम पक्षी अभयारण्य तथा ओडिशा का सतकोसिया गॉर्ज; गोवा की नंदा झील; कर्नाटक का रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य और मध्य प्रदेश का सिरपुर आर्द्रभूमि स्थल शामिल है।
अधिकारियों का कहना है कि भारत स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष में अपनी 75 आर्द्रभूमियों के लिए रामसर मान्यता प्राप्त करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
रामसर ईरान में स्थित वह स्थान है, जहाँ 1971 में अंतरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।
भाषा
नेत्रपाल पवनेश
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