(प्रदीप्त तापदार)
कोलकाता, 12 मई (भाषा) राजद्रोह कानून के खिलाफ संघर्ष में मुखर रहीं तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार इस ‘कठोर कानून को रद्द करने की इच्छुक नहीं है’ और वह इसे रद्द करने के बदले इसमें संशोधन कर सकती है।
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक अभूतपूर्व आदेश के तहत देशभर में राजद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर तब तक के लिए रोक लगा दी है, जब तक कोई ‘उचित’ सरकारी मंच इसका पुन: परीक्षण नहीं कर लेता। शीर्ष अदालत ने केंद्र एवं राज्य सरकारों को आजादी के पहले के इस कानून के तहत कोई नयी प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के निर्देश भी दिये हैं।
इस मामले के रिट याचिकाकर्ताओं में से एक मोइत्रा ने कहा, ‘अगर केंद्र कानून पर पुनर्विचार करने के बारे में गंभीर होता, तो वह पिछले आठ साल में ऐसा कर सकता था।’
उनका यह भी कहना था कि ‘कठोर’ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम को खत्म करने की जरूरत है।
तृणमूल सांसद ने कहा, ‘यह एक बेहतरीन फैसला है। मैं वास्तव में खुश हूं। यह मेरी या आपकी लड़ाई नहीं है। यह भारतीय संवैधानिक लोकतंत्र की जीत है। किसी भी सभ्य समाज में औपनिवेशिक युग के ऐसे राजद्रोह कानून के लिए कोई जगह नहीं है जो 1870 का है और जिसे भारतीयों की आवाज दबाने के लिए बनाया गया था।’’
उन्होंने पीटीआई-भाषा को टेलीफोन पर दिए एक साक्षात्कार में कहा कि भारत की किसी चुनी हुई सरकार का काम आज देश के नागरिकों की आवाज को दबाना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार कह रही है कि वे उचित प्रतिबंध लगाएंगे, लेकिन ये पहले से ही मौजूद हैं। इसने उन्हें मुनव्वर फारूकी के खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाने या सिद्दीकी कप्पन या अन्य को गिरफ्तार करने से नहीं रोका… देश भर में ऐसे 13,000 मामले हैं।’
तृणमूल सांसद ने कहा कि केंद्र कानून को रद्द करने के बजाय ‘पुनर्विचार शब्द का उपयोग कर रहा है और संभव है कि वह इसे रद्द करने के बदले इसमें कोई संशोधन लाए। उन्होंने कहा, ‘सरकार को असहमति, कॉमेडी, स्वतंत्र विपक्ष पसंद नहीं है, इसलिए जाहिर तौर पर यह एक प्रमुख औजार है क्योंकि राजद्रोह कानून के तहत बिना वारंट के गिरफ्तारी करने की अनुमति है।’
उन्होंने कहा, ‘अगर वे कानून से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो वे निरस्त शब्द का प्रयोग कर सकते थे। वे पिछले आठ वर्षों में ऐसा कर सकते थे।’
भाषा अविनाश नरेश
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