नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) अदालतों में मौत की सजा के प्रावधान वाले मामले में सफलतापूर्वक दलील रखने के लिये अपने लोक अभियोजकों को प्रोत्साहन देने की मध्य प्रदेश की नीति से नाराज उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार से कहा कि वह इसे वापस ले या वह इस संबंध में फैसला सुनाएगा।
न्यायमूर्ति यू. यू. ललित, न्यायमूर्ति एस. रवीन्द्र भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया की पीठ ने यह तीखी प्रतिक्रिया दी। पीठ स्वत: संज्ञान लेकर ऐसे मामलों के लिए दिशा-निर्देश तय करने पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें अपराध के लिये अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान है।
पीठ को मध्य प्रदेश की उस नीति या व्यवस्था के बारे में बताया गया कि जिसमें लोक अभियोजकों को मौत की सजा वाले मुकदमों में सफलतापूर्वक दलील रखने पर पसंद की जगह पर तैनाती देकर पुरस्कृत किया जा रहा है।
पीठ ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं होना चाहिए।’’ उसने कहा, ‘‘दरअसल, इस पहलू को सजा के साथ कभी नहीं जोड़ा जा सकता है, जो लोक अभियोजक के रूप में एक व्यक्ति अदालत से हासिल करने में सक्षम है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘इसका एक हिस्सा यह है कि आप लोक अभियोजकों को बताना चाहते हैं कि आप चाहे कोई भी तरीका अपनाएं, बस परिणाम हासिल करें और दोषसिद्धि अवश्य होनी चाहिए।’’
भाषा अर्पणा दिलीप
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