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Tuesday, 7 May, 2024
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व्हाट्सएप के जरिये दाखिल और सूचीबद्ध मुकदमों की जानकारी देगा न्यायालय : चंद्रचूड़

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नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने डिजिटलीकरण की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए बृहस्पतिवार को घोषणा की कि उच्चतम न्यायालय व्हाट्सएप संदेशों के माध्यम से अधिवक्ताओं को वाद सूची और मामलों को दाखिल करने व सूचीबद्ध करने से संबंधित जानकारी साझा करेगा। उन्होंने कहा कि इसका बहुत प्रभावशाली असर होगा और इस कदम से कागज व पृथ्वी को बचाने में भी मदद मिलेगी।

प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ ने याचिकाओं से उत्पन्न एक जटिल कानूनी सवाल पर सुनवाई शुरू करने से पहले न्यायमूर्ति चंड्रचूड़ ने व्हाट्सएप को न्यायालय की सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) सेवाओं से जोड़ने की यह घोषणा की।

याचिकाओं से यह सवाल निकलकर सामने आया कि क्या निजी संपत्तियों को संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत ‘समुदाय के भौतिक संसाधन’ माना जा सकता है, जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (डीपीएसपी) का एक हिस्सा है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ”उच्चतम न्यायालय की मौजूदगी के 75वें वर्ष में हमने एक छोटी सी योजना की शुरुआत की है। इसमें बहुत असरकारक होने की क्षमता है। व्हाट्सएप हमारी रोजाना की जिंदगी में शामिल हो चुका है और इसने एक शक्तिशाली संचार सुविधा की भूमिका ले ली है। न्याय तक पहुं‍च के अधिकार को मजबूत बनाने और न्याय तंत्र में पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए उच्चतम न्यायालय अपनी आईटी सेवाओं को व्हाट्सएप के साथ जोड़ने की घोषणा करता है।”

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए कहा कि इस पहल के अंतर्गत ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ और शीर्ष अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने वाले वादियों को मुकदमे को ऑनलाइन दाखिल करने, वाद सूची, आदेश और निर्णयों के संबंध में ऑटेमेटेड संदेश प्राप्त होंगे।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि वाद सूची के प्रकाशित होने के बाद ‘बार’ के सभी सदस्यों को उनके मोबाइल फोन पर सूची प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि वेबसाइट पर उपलब्ध आदेश और निर्णय व्हाट्सएप के जरिये भेजे जाएंगे।

वाद सूची का मतलब एक तय तिथि पर अदालत द्वारा मुकदमे पर होनी वाली सुनवाई है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ”यह एक क्रांतिकारी कदम है।”

प्रधान न्यायाधीश ने शीर्ष अदालत का आधिकारिक व्हाट्सएप नंबर 8767687676 साझा किया और कहा कि इस पर कोई संदेश और कॉल प्राप्त नहीं होगा।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ”यह हमारी कामकाजी आदतों में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा और कागज के साथ ही हमारी पृथ्वी को बचाने में मदद करेगा।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ई-कोर्ट परियोजना के लिए सात हजार करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।

भाषा जितेंद्र नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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