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Sunday, 19 January, 2025
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रायसीना बंगाली स्कूल की नीलामी की अनुमति देने के डीडीए के आचरण पर अदालत ने जताई चिंता

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नयी दिल्ली, 18 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दक्षिण दिल्ली के रायसीना बंगाली स्कूल को गिरवी रखने के लिए सोसायटी को अनुमति देने के डीडीए के आचरण पर चिंता व्यक्त की और पूछा कि भू-स्वामित्व वाली एजेंसी ऐसा कैसे कर सकती है जबकि जमीन वाणिज्यिक नहीं थी तथा सामाजिक उद्देश्य के लिये दी गई थी।

उच्च न्यायालय ने कहा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को इस तथ्य से समान रूप से चिंतित होना चाहिए कि ऐसा करने से स्कूल का कामकाज स्वत: बाधित हो जाएगा जिससे स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।

उच्च न्यायालय ने डीडीए को निर्देश दिया कि वह इस संदर्भ में अपनी नीति पर पुनर्विचार करे और सुधारात्मक कदम उठाए।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने कहा, “आप स्कूलों को स्कूल की संपत्ति गिरवी रखने की अनुमति कैसे दे रहे हैं? सशर्त अनुमति से आपका क्या आशय है? यह एहसास होने कि सोसायटी (जो स्कूल का प्रबंधन करती है) राशि की ठगी करने जा रही है, आप यह कैसे कर सकते हैं? यह एक व्यावसायिक संपत्ति नहीं है, इसे एक सामाजिक उद्देश्य के लिए दिया गया है। यदि प्रबंधन संपत्ति का मुद्रीकरण करना चाहता है, तो वे पैसे लेते हैं और भाग जाते हैं, और सब कुछ – स्कूल और बच्चों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है। यह कैसे हो सकता है?”

अदालत यहां चित्तरंजन पार्क में सार्वजनिक भूमि पर बने रायसीना बंगाली स्कूल की नीलामी के खिलाफ गैर सरकारी संगठन ‘जस्टिस फॉर ऑल’ की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया कि लगभग आठ करोड़ रुपये के ऋण का भुगतान करने में विफल रहने के कारण नीलामी हो रही है और इससे लगभग 900 छात्र, शिक्षक और अन्य कर्मचारी प्रभावित होंगे।

उच्च न्यायालय ने पूर्व में अधिवक्ता खगेश बी झा और शिखा शर्मा बग्गा के माध्यम से दायर याचिका पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

पीठ ने बुधवार को कहा कि उसे ऐसे मामले नहीं मिले हैं जहां स्कूल के भूखंडों को पट्टे पर दिया गया है और ऐसी अनुमति देने के लिए डीडीए से सवाल किया है।

दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सरकार ने उस स्कूल को लेने का फैसला किया है जो वैसे भी एक सहायता प्राप्त स्कूल था और उसने इस संबंध में वित्तीय संस्थान के साथ बातचीत की है।

त्रिपाठी ने कहा कि सरकार पहले ही सोसायटी के खातों के ऑडिट के लिए कदम उठा चुकी है, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

अदालत ने कहा कि उसका विचार है कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाई गई प्राथमिक शिकायत को संबोधित किया गया और याचिका का निस्तारण हो गया है और सरकार से दो महीने के भीतर अभ्यावेदन पर कार्रवाई करने को कहा।

भाषा

प्रशांत माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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