चेन्नई, 20 अप्रैल (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने बुधवार को कहा कि राजनीति के लिए राज्यपाल का इस्तेमाल करने के प्रयास सफल नहीं होंगे।
विभिन्न राजनीतिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को मयिलादुथुराई में काले झंडे दिखाकर तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मामले में विपक्षी दल अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) द्वारा ‘‘राजनीति करने के प्रयास’’ का कोई नतीजा नहीं निकलेगा’’ क्योंकि यह द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) का शासन है।
इस मुद्दे को लेकर विधानसभा से बहिर्गमन करने वाले विपक्षी दल पर पलटवार करते हुए स्टालिन ने 90 के दशक में अन्नाद्रमुक के शासनकाल के दौरान तत्कालीन राज्यपाल चेन्ना रेड्डी पर कथित हमले की याद भी दिलाई और उन्हें वापस बुलाने के लिए विधानसभा में लाए गए प्रस्ताव का जिक्र किया।
उन्होंने अन्नाद्रमुक शासन के दौरान राज्यसभा सदस्य और पूर्व नौकरशाह सुब्रमण्यम स्वामी के ‘‘अपमान’’ की भी याद दिलाई। स्टालिन ने कहा, ‘‘सरकार से सवाल करने के बाद अन्नाद्रमुक सदस्यों को मेरे जवाब के लिए विधानसभा भवन में ही रहना चाहिए था। अगर जवाब संतोषजनक नहीं होता तो वे बहिर्गमन कर सकते थे।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘लगता है उन्होंने भांप लिया होगा कि मेरा जवाब क्या होगा। उन्हें अपने शासन के दौरान की बातें याद आ गई होंगी। यही सोचकर शायद उन्होंने बहिर्गमन करने का फैसला किया।’’
रवि के खिलाफ काले झंडे दिखाकर प्रदर्शन के मुद्दे पर राज्य विधानसभा में स्टालिन ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) के हवाले से कहा कि इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है कि मंगलवार को मयिलादुथुराई जिले में एक मठ की यात्रा के दौरान राज्यपाल के काफिले पर पत्थर और झंडे फेंके गए थे।
स्टालिन ने कहा कि मयिलादुथुराई में राज्यपाल रवि के खिलाफ काले झंडे दिखाकर प्रदर्शन के दौरान उन पर ‘‘धूल का एक कण भी नहीं गिरा था।’’
नेता प्रतिपक्ष के पलानीस्वामी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रमुख के अन्नामलाई ने दावा किया है कि मंगलवार को मयिलादुथुराई जिले में एक मठ का दौरा करते समय राज्यपाल के खिलाफ प्रदर्शन हुआ। स्टालिन ने आरोपों को ‘‘निराधार’’ बताते हुए खारिज कर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) ने स्पष्ट किया है कि पुलिस ने बैरिकेड लगाए थे और प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया था। बाद में, जब उन्हें गिरफ्तार कर वैन में ले जाया गया, तो बहस शुरू हो गई और उन्होंने प्लास्टिक के पाइप में बंधे काले झंडों को खोलकर फेंक दिया।’’
अन्नाद्रमुक पर निशाना साधते हुए स्टालिन ने कहा, ‘‘उन्होंने इसे राजनीति करने के एक मौके के रूप में देखा जो राजनीतिक दलों के लिए सामान्य बात है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले पर अन्नाद्रमुक समन्वयक ओ पनीरसेल्वम और संयुक्त समन्वयक पलानीस्वामी के अलग-अलग बयान इसके पर्याप्त सबूत हैं क्योंकि वे विभिन्न मामलों पर अमूमन संयुक्त रूप से बयान जारी करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘विरोध लोकतांत्रिक होने के बावजूद इस सरकार ने राज्यपाल की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए। राज्यपाल की सुरक्षा सुनिश्चित करने में यह सरकार कोई समझौता नहीं करेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘नेता प्रतिपक्ष (पलानीस्वामी) और उप नेता (पनीरसेल्वम) को लगता है कि वे राज्यपाल का इस्तेमाल करके इस मामले पर राजनीति कर सकते हैं। मैं स्पष्ट कर दूं-ऐसा बिल्कुल नहीं होगा, क्योंकि यह द्रमुक सरकार है।’’
इस मुद्दे पर भाजपा और अन्नाद्रमुक ने सदन से बहिर्गमन किया। द्रमुक की सहयोगी कांग्रेस के अलावा दोनों विपक्षी दलों ने सदन में इस मुद्दे को उठाया।
भाषा आशीष देवेंद्र
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