नयी दिल्ली, 18 मई (भाषा) संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए बुधवार को उच्चतम न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में 30 साल से ज्यादा जेल की सजा काट चुके ए जी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया।
मामले में घटनाक्रम इस प्रकार हैं :
21 मई, 1991 : तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली में महिला आत्मघाती हमलावर के विस्फोट में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का निधन। महिला की पहचान धनु के रूप में हुई।
24 मई, 1991: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को जांच सौंपी गई।
11 जून, 1991: सीबीआई ने 19 वर्षीय ए जी पेरारिवलन को गिरफ्तार किया। उस पर आतंकवाद और विध्वंसकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) के तहत मामला दर्ज किया गया।
28 जनवरी, 1998: टाडा अदालत ने पेरारिवलन समेत 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई।
11 मई, 1999: उच्चतम न्यायालय ने पेरारिवलन की दोषसिद्धि और सजा बरकरार रखी।
आठ अक्टूबर, 1999: उच्चतम न्यायालय ने पेरारिवलन की पुनर्विचार याचिका खारिज की।
अप्रैल, 2000: तमिलनाडु के राज्यपाल ने राज्य सरकार की सिफारिश और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी की अपील के आधार पर नलिनी की मौत की सजा को माफ किया।
12 अगस्त, 2011: पेरारिवलन ने संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद मद्रास उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की गई।
एक मई, 2012: उच्च न्यायालय ने मामले को उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित किया।
18 फरवरी, 2014: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र द्वारा दया याचिका पर फैसला करने में 11 साल की देरी के आधार पर पेरारिवलन की मौत की सजा को दो अन्य कैदियों -संथन और मुरुगन के साथ उम्रकैद में बदल दिया।
30 दिसंबर, 2015: पेरारिवलन ने संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत अपनी सजा माफ करने के लिए याचिका दायर की।
नौ सितंबर, 2018: तमिलनाडु मंत्रिमंडल ने पेरारिवलन की रिहाई की सिफारिश करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया, जिसे राज्यपाल को भेजा गया।
25 जनवरी, 2021: तमिलनाडु के राज्यपाल ने अनुच्छेद 161 के तहत पेरारिवलन द्वारा दायर याचिका को तमिलनाडु मंत्रिमंडल द्वारा की गई सिफारिश के साथ भारत के राष्ट्रपति के पास भेजा।
नौ मार्च, 2022: उच्चतम न्यायालय ने पेरारिवलन को इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए जमानत पर रिहा किया कि उसने 31 साल से अधिक समय जेल में बिताया।
18 मई, 2022: उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का इस्तेमाल करते हुए ए जी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया।
भाषा आशीष पवनेश
पवनेश
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