नयी दिल्ली, 18 मई (भाषा) दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने दिल्ली के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर उनसे राजधानी के ‘मॉर्फोलॉजिकल रिज’ क्षेत्र में विकास कार्यों पर वन विभाग द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की समीक्षा करने का आग्रह किया है।
वन विभाग के अनुसार ‘मॉर्फोलॉजिकल रिज’ रिज क्षेत्र का वह हिस्सा है जिसमें रिज जैसी विशेषताएं हैं लेकिन यह अधिसूचित वन नहीं है। यह अरावली के विस्तार का एक भाग है।
‘मॉर्फोलॉजिकल रिज’ क्षेत्र में किसी भी निर्माण कार्य के लिए दिल्ली के मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाले रिज प्रबंधन बोर्ड (आरएमबी) और केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) के माध्यम से उच्चतम न्यायालय की अनुमति आवश्यक है।
डीडीए ने ‘मॉर्फोलॉजिकल रिज’ क्षेत्र में कई परियोजनाओं पर प्रतिबंध लगाने के वन विभाग के फैसले को चुनौती देते हुए कहा है कि ‘मॉर्फोलॉजिकल रिज’ शब्द की न तो ‘‘कानूनी व्याख्या है और न ही इसकी कोई वैज्ञानिक पृष्ठभूमि है।’’
पत्र में कहा गया है, ‘‘डीडीए पहले ही भूमि के अधिग्रहण पर करोड़ों रुपये खर्च कर चुका है, जिसे बाद में विभिन्न सरकारी एजेंसियों जैसे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू), राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), दिल्ली पुलिस, भारतीय शहरी संस्थान, भारतीय विदेश व्यापार संस्थान और दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय को आवंटित किया गया है।’’
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर राजधानी के कुछ क्षेत्रों को ‘मॉर्फोलॉजिकल रिज’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने मुख्य सचिव को इस बारे में जानकारी दे दी है…जल्द ही, हम सभी दस्तावेज अपनी वेबसाइट पर डाल देंगे। अगर डीडीए इसे चुनौती देना चाहता है तो उसे उच्चतम न्यायालय का रुख करना चाहिए।’’
एक अधिकारी ने अशोक तंवर बनाम केंद्र सरकार मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला दिया जिसमें कहा गया कि ‘मॉर्फोलॉजिकल रिज’ में किसी भी निर्माण को करने के लिए आरएमबी या सीईसी के माध्यम से उच्चतम न्यायालय की अनुमति आवश्यक है।
वन विभाग द्वारा 2014 में प्रकाशित ‘‘दिल्ली रिज: एक परिचय’’ के अनुसार, 2006 के दिल्ली के भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा प्रदान किए गए भूकंपीय क्षेत्र के आधार पर ‘मॉर्फोलॉजिकल रिज’ का वर्णन किया गया है।
इसमें कहा गया, ‘‘अधिसूचित रिज के समान विशेषताएं वाले ‘मॉर्फोलॉजिकल रिज’ का पारिस्थितिक हिसाब से काफी महत्व है और इसे संरक्षित रखना चाहिए तथा अनियोजित विकास से मुक्त रखा जाना चाहिए। यह रिज के मुख्य वन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए ‘बफर जोन’ के रूप में काम करता है।’’
भाषा आशीष माधव
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