नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) बाहरी दिल्ली के मुंडका में एक इमारत में भीषण आग लगने के एक दिन बाद बदहवास रिश्तेदार अब भी अपने प्रियजनों की तलाश कर रहे हैं। पुलिस ने कहा है कि 29 लोगों का पता नहीं चल पाया है। इस घटना में 27 लोगों की मौत हो गई है।
दमकल विभाग के अनुसार, शनिवार की सुबह आग बुझाने के अभियान के दौरान इमारत में झुलसे हुए मानव अवशेष पाए जाने के बाद मृतक संख्या बढ़कर 30 तक हो सकती है। 12 घायलों का यहां एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि चार मंजिला इमारत के पास अग्नि सुरक्षा प्रमाण पत्र नहीं था और उसमें एक ही प्रवेश और निकास मार्ग था, जो हताहतों की बड़ी संख्या का कारण हो सकता है।
मुख्य दमकल अधिकारी अतुल गर्ग ने कहा, ‘‘इमारत में बचने का एक ही रास्ता था, यही वजह है कि इतने लोग हताहत हुए। 27 लोगों की मौत हो गई।’’ अधिकारियों ने कहा कि प्रवेश और निकास के लिए केवल एक संकरी सीढ़ी थी, जिससे जलती हुई इमारत से बाहर निकलना मुश्किल हो गया। गर्ग ने कहा कि आशंका है कि किसी वातानुकूलित उपकरण (एसी) में विस्फोट से आग लगी हो।
पुलिस उपायुक्त (बाहरी) समीर शर्मा ने कहा कि सीसीटीवी कैमरा और राउटर निर्माण एवं पैकेजिंग कंपनी के मालिक हरीश गोयल और उनके भाई वरुण गोयल के कार्यालय से आग लगने का संदेह है। दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
गर्ग ने कहा कि यह पता लगाना मुश्किल है कि शनिवार की सुबह मिले अवशेष एक व्यक्ति के हैं या उससे अधिक के। डीसीपी ने कहा कि 27 मृतकों में से सात की पहचान तानिया भूषण, मोहिनी पाल, यशोदा देवी, रंजू देवी, विशाल, दृष्टि और कैलाश ज्ञानी के रूप में हुई है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को घटनास्थल का दौरा किया। मुख्यमंत्री ने इमारत की पहली मंजिल से शुरू हुई आग में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की।
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने कहा कि घटना में लोगों की जान जाने से उन्हें ‘‘गहरा दुख’’ हुआ है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने शोक संतप्त परिवारों के प्रति भी संवेदना व्यक्त की।
जिन लोगों का अब तक पता नहीं चल पाया है उनके परिजन शुक्रवार की रात संजय गांधी अस्पताल में उनके बारे में जानकारी लेने के लिए उमड़ पड़े। उनमें से एक, अजीत तिवारी ने कहा कि उनकी बहन मोनिका (21) ने एक महीने पहले ही कंपनी के लिए काम करना शुरू किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘उसे बृहस्पतिवार को अपना पहला वेतन मिला। हमें शाम पांच बजे आग के बारे में पता चला, लेकिन यह नहीं पता था कि आग उसके कार्यालय की इमारत में लगी थी। जब वह शाम सात बजे तक घर नहीं लौटी, तो हमने उसकी तलाश शुरू कर दी।’’ मोनिका अपने दो भाइयों और एक बहन के साथ दिल्ली के आगर नगर में रहती है। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले की रहने वाली है।
एक अन्य महिला को अपनी बड़ी बेटी की तलाश करते हुए देखा गया, जो सीसीटीवी कैमरा पैकेजिंग यूनिट में भी काम करती है। महिला ने कहा, ‘‘मेरी बेटी पूजा पिछले तीन महीनों से सीसीटीवी कैमरा पैकेजिंग यूनिट में काम कर रही है। हम मुबारकपुर में रहते हैं और रात नौ बजे घटना के बारे में पता चला। उसकी बाईं आंख के नीचे एक कट का निशान है। हम उसकी विभिन्न अस्पतालों में तलाश कर रहे हैं। वह चार सदस्यीय हमारे परिवार की अकेली कमाने वाली है। उसकी दो छोटी बहनें हैं जो स्कूल में पढ़ती हैं।’’
इमारत के एक कार्यालय में काम करने वाले अंकित ने कहा कि आग लगने के समय दूसरी मंजिल पर एक प्रेरक सत्र चल रहा था। उसने कहा, ‘‘मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मैं जीवित हूं। मेरी भी जान जा सकती थी। इमारत की दूसरी मंजिल पर एक प्रेरक सत्र चल रहा था तभी हमें आग का पता चला। हमने खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए और किसी तरह भागने में सफल रहे।’’
फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी रोहिणी की निदेशक दीपा वर्मा ने कहा कि वरिष्ठ विशेषज्ञों सहित दो टीम मौके पर काम कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘वे पहचान और संग्रह के उद्देश्य से नमूने एकत्र करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि इन्हें जांच अधिकारी को सौंप दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि झुलसे हुए मानव अवशेष भी मिले हैं, इसलिए संभवत: मृतक की पहचान का पता लगाने के लिए फोरेंसिक डीएनए जांच की जाएगी।
अपराध स्थल के प्रमुख एस के गुप्ता ने कहा कि आग की जगहों पर शवों का पता लगाना, नमूने एकत्र करना और संभालना बहुत मुश्किल काम है। गुप्ता ने कहा, ‘‘मौके पर शरीर के ऊतक जैसे झुलसे हुए अवशेष अक्सर परिवर्तित होकर एक समान नजर आते हैं। हड्डियां, विशेष रूप से फीकी पड़ जाती हैं और भंगुर हो जाती हैं। उन्हें संभालना मुश्किल होता है।’’ सहायक जनसंपर्क अधिकारी, एफएसएल, रजनीश सिंह ने कहा कि पूरे स्थान की जांच में समय लगेगा क्योंकि यह एक बड़ा क्षेत्र है।
डीसीपी समीर शर्मा के अनुसार, सीसीटीवी कैमरा पैकेजिंग यूनिट के मालिकों के खिलाफ धारा 304 (गैर इरादतन हत्या के लिए सजा), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 120 (दंडनीय अपराध को अंजाम देने की योजना छिपाने) और 34 (साझा मंशा) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गयी है।
डीसीपी ने बताया कि इमारत की सभी मंजिलों का इस्तेमाल यही कंपनी कर रही है। इमारत के मालिक मनीष लाकड़ा पर भी मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि तलाश अभियान जारी है। 12 घायलों में से एक की पहचान अभी नहीं हुई है, शेष की पहाचान हो गई है।
पश्चिमी दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी सूची के अनुसार, घायलों में सतीश (38), प्रदीप (36), आशु (22), हरजीत (23), नितिन (24), अविनाश (29), संध्या (22), धनवती (21), बिमला (43), आयशा (24) और ममता (52) शामिल हैं।
भाषा सुरभि मनीषा
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