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Tuesday, 1 October, 2024
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बच्चों के टीकाकरण के संबंध में वैज्ञानिक विश्लेषण पर अदालत फैसला नहीं दे सकती: उच्चतम न्यायालय

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नयी दिल्ली, तीन मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि बच्चों के टीकाकरण की सुरक्षा के संबंध में अग्रणी वैज्ञानिक विश्लेषण पर अदालत फैसला नहीं दे सकती और देश में बच्चों को टीका लगाने का केंद्र का निर्णय वैश्विक वैज्ञानिक मत तथा विशेषज्ञ निकायों के अनुरूप है।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने यह भी कहा कि आंकड़े बताते हैं कि टीके से बच्चों के लिए कोई खतरा नहीं है।

न्यायालय ने कहा, ‘विज्ञान के विशेषज्ञों की सुरक्षा और संबद्ध पहलुओं से संबंधित मामलों पर निर्णय लेते समय अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन इससे न्यायालय को विशेषज्ञ राय के बारे में अनुमान लगाने का अधिकार नहीं मिल जाता, जिसके आधार पर सरकार ने अपनी नीतियां तैयार की हैं।’’

पीठ ने कहा, ‘भारत सरकार का इस देश में बच्चों का टीकाकरण करने का निर्णय वैश्विक वैज्ञानिक मत के अनुरूप है और डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ तथा सीडीसी जैसे विशेषज्ञ निकायों ने भी बच्चों के टीकाकरण की सलाह दी है।’

केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और रोग नियंत्रण केंद्र (सीडीसी) जैसी एजेंसियों द्वारा बच्चों के टीकाकरण की सलाह दी गई है।

इसने कहा था, ‘भारत में बच्चों के टीकाकरण के पक्ष में विशेषज्ञों की राय वैश्विक मत के अनुरूप है। हमें सूचित किया गया है कि 12 मार्च 2022 तक 15 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों को कोवैक्सीन की 8,91,39,455 खुराक दी गई हैं। टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव (एईएफआई) की 1,739 छोटी शिकायतें, 81 गंभीर शिकायतें और छह अत्यंत गंभीर शिकायतें हैं।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि भारत सरकार के अनुसार, उक्त आंकड़ों से पता चलता है कि टीका बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘यदि यह न्यायालय इस तरह की विशेषज्ञ राय की सटीकता की जांच करता है तो यह न केवल हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर होगा, बल्कि खतरनाक भी होगा। जैसा कि पहले ही कहा गया है, न्यायिक समीक्षा का दायरा अदालत को इस तरह के दुस्साहस करने के लिए बाध्य नहीं करता है।”

उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ता की इस दलील को खारिज कर दिया कि इस अदालत को बच्चों के टीकाकरण के मामले में इस आधार पर हस्तक्षेप करना होगा कि यह अवैज्ञानिक है।

यह फैसला टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के पूर्व सदस्य डॉ. जैकब पुलियेल द्वारा दायर एक याचिका पर आया, जिन्होंने टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव की घटनाओं के संबंध में आंकड़ों का खुलासा करने का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया था।

भाषा

नेत्रपाल दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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