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Wednesday, 9 October, 2024
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प्रधानमंत्री मोदी ने टीकों को मंजूरी देने की डब्ल्यूएचओ की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित बनाने पर बल दिया

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नयी दिल्ली, 12 मई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में सुधार तथा टीकों और दवाइयों की खातिर उसकी अनुमोदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित बनाने का आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने विश्व व्यापार संगठन के नियम, विशेष रूप से ट्रिप्स (बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधित पहलू) को अधिक लचीला बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रधानमंत्री ने यह बात कोविड-19 पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा आयोजित दूसरे डिजिटल वैश्विक शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान कही। उन्होंने कोरोना वायरस से निपटने में भारत की भूमिका को रेखांकित किया और कहा कि भारत के ‘जीनोमिक्स कंसोर्टियम’ ने वायरस पर वैश्विक डेटाबेस में योगदान दिया है और वह पड़ोसी मुल्कों में भी नेटवर्क को आगे बढ़ाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में, हमने अपनी पारंपरिक दवाओं का उपयोग कोविड के खिलाफ लड़ाई के पूरक के तौर पर किया तथा अनगिनत लोगों की जान बचाई… पिछले महीने, इस पुराने ज्ञान को दुनिया के लिए उपलब्ध कराने की खातिर भारत में ‘डब्ल्यूएचओ सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन’ की नींव रखी।’’

प्रधानमंत्री ने डब्ल्यूएचओ में सुधार के साथ ही उसे मजबूत किए जाने पर बल दिया ताकि अधिक लचीला वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा ढांचा तैयार किया जा सके।

विश्व व्यापार संगठन, विशेष रूप से ट्रिप्स के नियम लचीले बनाने के प्रधानमंत्री के इस आह्वान के पहले भारत और दक्षिण अफ्रीका ने पिछले साल महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने की खातिर कोविड टीकों के उत्पादन के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों में अस्थायी रूप से छूट देने के विश्व व्यापार संगठन में एक प्रस्ताव रखा था।

उन्होंने भविष्य की स्वास्थ्य संबंधी आपात चुनौतियों से निपटने के लिए एक समन्वित वैश्विक उपाय की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इसके लिए एक दुरुस्त वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण और टीकों व दवाओं की न्यासंगत पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई का उल्लेख करते हुए कहा कि देश ने महामारी के खिलाफ एक जन-केंद्रित रणनीति अपनाई।

मोदी ने शिखर सम्मेलन के शुरुआती सत्र में कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि स्वास्थ्य से जुड़ी भविष्य की आपात चुनौतियों से निपटने के लिए एक समन्वित वैश्विक उपायों की आवश्यकता है। हमें दुरुस्त वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना चाहिए तथा टीकों व दवाओं की न्यायसंगत पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम टीकों और दवाइयों की खातिर डब्ल्यूएचओ की अनुमोदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने का आह्वान करते हैं ताकि आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर रखा जा सके। वैश्विक समुदाय के एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में, भारत इन प्रयासों में अपनी अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत ने जांच, उपचार और डेटा प्रबंधन के लिए कम कीमत वाली ‘कोविड मिटिगेशन प्रौद्योगिकी’ विकसित की है। हमने इन क्षमताओं को अन्य देशों से साझा किया है। वायरस को लेकर वैश्विक डेटाबेस के लिए भारत के ‘जेनोमिक्स कंर्सोर्टियम’ ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।’’

उन्होंने कहा कि भारत का टीकाकरण कार्यक्रम दुनिया में सबसे बड़ा है और अब तक 90 प्रतिशत वयस्क आबादी को टीकों की दोनों खुराक दी जा चुकी हैं जबकि पांच करोड़ से अधिक बच्चों को टीके दिए जा चुके हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से मंजूर चार कोविड-19 रोधी टीकों का निर्माण कर रहा है और उसकी क्षमता पांच करोड़ टीकों के उत्पादन की है।

उन्होंने कहा कि भारत ने द्विपक्षीय रूप से और ‘कोवैक्स’ के जरिए 98 देशों को टीकों की 20 करोड़ से अधिक खुराकों की आपूर्ति की है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड महामारी ‘‘जीवन, आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करती है, और खुले समाजों के लचीलेपन को चुनौती देती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में, हमने महामारी के खिलाफ एक जन-केंद्रित रणनीति अपनाई। हमने अपने वार्षिक स्वास्थ्य बजट में अब तक का सबसे अधिक कोष आवंटित किया है।’’

दूसरी शिखर बैठक में कोविड महामारी की चुनौतियों से निपटने के नए कदमों एवं मजबूत वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा ढांचा तैयार करने के बारे में चर्चा हो रही है।

अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने भी शिखर सम्मेलन को संबोधित किया।

भाषा शोभना नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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