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Saturday, 28 September, 2024
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प्रकृति संरक्षण: उच्च न्यायालय ने प्रकृति मां को सभी अधिकारों के साथ जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया

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मदुरै (तमिलनाडु), 30 अप्रैल (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने प्रकृति के संरक्षण के लिए ‘प्रकृति मां’ को जीवित प्राणि का दर्जा देने के वास्ते संरक्षक के क्षेत्राधिकार का उपयोग करते हुए उसे एक जीवित व्यक्ति के सभी अधिकारों, कर्तव्यों और दायित्वों से लैस किया है।

उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने तहसीलदार स्तर के एक पूर्व अधिकारी की याचिका पर अपने हालिया आदेश में प्रकृति संरक्षण को व्यापक महत्व दिया है।

याचिकाकर्ता ने कुछ लोगों को ‘जंगल की सरकारी जमीन’ का पट्टा (भूमि विलेख) मंजूर किया था, जिसके लिए उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गयी थी और उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर जाने का आदेश दिया गया था। याचिकाकर्ता ने इसे निरस्त करने की मांग की थी।

ए. पेरियाकरुपन की ओर से दायर याचिका पर अदालत ने कहा कि प्रकृति के अंधाधुंध विनाश से पारिस्थितिकी तंत्र में कई तरह की समस्याएं आएंगी और वनस्पतियों और जीव-जंतुओं का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

न्यायमूर्ति एस. श्रीमती ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक पूर्व के फैसले को याद किया, जिसमें उसने संरक्षक के क्षेत्राधिकार का उपयोग किया था और गंगोत्री एवं यमुनोत्री सहित ग्लेशियर को संरक्षित रखने के लिए उन्हें कानूनी अधिकारों से लैस कर दिया था।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछली पीढ़ी ने प्रकृति मां को हमें पवित्र रूप में सौंपा है और हम इसे अगली पीढ़ी को उसी रूप में सौंपने के लिए आबद्ध हैं।’’

अदालत ने कहा, ‘‘यह प्रकृति मां को न्यायिक दर्जा दिये जाने का उचित वक्त है। इसलिए यह अदालत ‘माता-पिता के अधिकार क्षेत्र’ को लागू करके ‘मातृ प्रकृति’ को ‘जीवित प्राणी’ के रूप में घोषित कर रही है।’’

याचिकाकर्ता ने अनुशासनात्मक कार्रवाई को निरस्त करने और प्रतिवादियों को उसे पूरी पेंशन तथा मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी का बकाया साढ़े सात प्रतिशत ब्याज के साथ सेवानिवृत्ति की तारीख से भुतान करने का निर्देश देने की मांग की थी।

अदालत ने कहा कि चूंकि मेघामलाई में विवादित भूमि का पट्टा रद्द कर दिया गया था और गांव के खाते में आवश्यक प्रविष्टियां कर दी गयी थी, इसलिए सजा भी संशोधित की जानी चाहिए।

इसके साथ ही अदालत ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा को संशोधित किया जाना चाहिए।’’

भाषा सुरेश सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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