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Monday, 17 June, 2024
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पुलिस बम धमकी मिलने पर स्कूलों से बच्चों को निकालने संबंधी कदमों के बारे में बताये: उच्च न्यायालय

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नयी दिल्ली, छह मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को शहर की पुलिस से उन कदमों का ब्यौरा बताने को कहा है जो बम की धमकी मिलने पर दहशत फैलाए बिना और अभिभावकों पर कम से कम निर्भर हुए स्कूलों से बच्चों को सुरक्षित निकालने के लिए उठाए गए हैं।

उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वे हलफनामे दायर करे जिनमें वे हर जोन में स्कूलों की संख्या, बम होने की धमकी मिलने पर कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार नोडल प्राधिकारी, कार्रवाई करने में लगने वाला समय और पुलिस तथा अन्य विभागों की निगरानी में किए गए छद्म अभ्यासों की संख्या का ब्यौरा दे।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि पुलिस ने स्थिति रिपोर्ट दायर की है जिसमें बम का पता लगाने और बम निरोधक दस्ते से संबंधित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और स्कूलों में बम होने की धमकी से निपटने से संबंधित दिशा-निर्देश हैं, लेकिन उसने कई अहम पहलुओं पर आंकड़े दाखिल नहीं किए हैं।

पुलिस और सरकार द्वारा दायर किए जाने वाले हलफनामों में अभिभावकों पर कम से कम निर्भर हुए स्कूलों से बच्चों को निकालने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी हो, क्योंकि विद्यार्थियों को सुरक्षित निकालने की प्राथमिक जिम्मेदारी स्कूल और अधिकारियों की है।

अदालत ने कहा कि 10 दिन अंदर दाखिल किए जाने वाले हलफनामों में दिल्ली सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए गए विभिन्न परिपत्रों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।

न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा कि दिल्ली पुलिस यह भी बताए कि स्कूलों को बम होने की फर्जी धमकी मिलने के मामले की जांच के लिए उसने क्या कदम उठाएं हैं।

उन्होंने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 20 मई को सूचीबद्ध कर दिया है।

उच्च न्यायालय हाल के दिनों में स्कूलों में बम होने की धमकियों को लेकर चिंता व्यक्त करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिकाकर्ता अर्पित भार्गव ने 2023 में यहां मथुरा रोड पर स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) को बम से उड़ाने की धमकी के मद्देनजर अदालत का रुख किया था।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील बी. सोनी ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के लगभग 200 स्कूलों में बम होने की धमकी मिलने का उल्लेख किया, जो बाद में फर्जी निकली।

उन्होंने कहा कि पुलिस के पास केवल 18 बम निरोधक दस्ते हैं और वह जानना चाहती थीं कि वे एक साथ 200 स्कूलों तक कैसे पहुंच सकते थे जैसा कि हाल में हुआ है।

सुनवाई के दौरान शिक्षा निदेशक भी मौजूद थे।

भाषा नोमान माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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