यह विचार विमर्श कैबिनेट की 20 फरवरी की बैठक की कार्यसूची का औपचारिक अंश था. ऐसा सूचित किया गया था कि 7.9 करोड़ से भी अधिक दर्शकों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया
नई दिल्लीः कैबिनेट की बैठकें उच्च प्राथमिकता वाली राष्ट्रीय परियोजनाओं पर चर्चा के लिए होती हैं, पर कभी कभी यह उच्च महत्व की सरकारी उपक्रम का आंकलन भी करती हैं.
इस सप्ताह की कैबिनेट की बैठक की कार्यसूची में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टाऊन हाल में ‘परीक्षा पर चर्चा’ के दौरन स्कूली बच्चों के साथ परीक्षा पर हुई बात-चीत का आंकलन भी था.
कैबिनेट ने अपनी 20 फरवरी की बैठक में इस चर्चा का बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव व देश भर में इसकी उच्च दर्शक संख्या, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों सहित जिन्होनें इसका बहिष्कार करने की घोषण की थी, पर ध्यान देते हुए इस घटना के परिणाम का आकलन किया.
कैबिनेट को सूचना दी गई कि 16 फरवरी के कार्यक्रम में 7.9 करोड़ से भी ज्यादा दर्शकों ने हिस्सा लिया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छात्रों को परीक्षाओं सम्बन्धित तनाव को संभालने पर सलाह दी थी. दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि चर्चा कैबिनेट की कार्यसूची का औपचारिक हिस्सा थी.
सरकार ने यह भी आकलन किया है कि 2 घंटे लम्बे टाऊन हाल की पश्चिमी बंगाल और त्रिपुरा जैसे राज्यों में दर्शकों की संख्या उत्साह जनक थी, जबकि राज्य सरकारों ने केन्द्र के ऐसे आयोजनों का सीध प्रसारण करने का प्रबंध करने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था.
मन्त्री करेंगे विस्तार में आकलन
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पहले ही ‘परीक्षा पर चर्चा’, इसकी पहुंच व प्रभाव पर एक विस्तृत आलेख तैयार कर लिया था जिसे कैबिनेट की बैठक में संक्षिप्त रूप से सांझा किया गया.
सूत्रों के हवाले से पता चला है कि अन्य मंत्री भी प्रधानमंत्री के इस इंटरैक्टिव सत्र का अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रों और अन्य क्षेत्रों पर प्रतिक्रिया का आकलन करेंगे.
राज्य सरकरों से आयोजन में स्कूलों की सहभागिता दर्शाती तस्वीरें भेजने का आग्रह भी किया गया है.
आयोजन का विश्लेषण
सरकार ने प्रधानमंत्री के लिए 35000 से अधिक प्रश्न प्राप्त किये थे, जिनमें से कुछ का उत्तर उन्होंने नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में छात्रों से बातचीत में दिया. प्रधानमंत्री द्वारा परीक्षा सबंधी तनाव पर प्रश्नों के उत्तर देने के आयोजन का सीध प्रसारण किया गया था व विद्यालयों व उच्च शिक्षा संस्थानों में इसे देखने के विशेष प्रबंध किये गये थे.
प्रधानमंत्री ने चिन्ता, एकाग्रता, साथियों का दबाव, माता-पिता की अपेक्षाओं व अध्यापकों की भूमिका के प्रश्नों को लिया. उनके उत्तर सचिन तंदुलकर, पूर्व राष्ट्रपति ऐ पी जे अब्दुल कलाम व कनेडियन स्नोबोर्डर मार्क मैक्मैरिस के उदाहरणों से उदारतापूर्वक सजे थे. उन्होंने ‘प्रतिस्पर्धा’ (दूसरों से होड) करने की बजाय ‘अनुस्पर्धा’ (अपने से मुकाबला) पर ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया.
उन्होंने परीक्षा के तनाव व चिन्ता से निपटने के लिए आत्मविश्वास के महत्व के लिए स्वामी विवेकानन्द का भी हवाला दिया.