अम्बिकापुर, 26 अप्रैल (भाषा) छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में परसा कोयला खदान के लिए अंतिम मंजूरी देने के बाद वन विभाग ने मंगलवार को क्षेत्र में पेड़ों की कटाई शुरू कर दी जिसका स्थानीय ग्रामीणों ने विरोध किया है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने इस महीने की छह तारीख को सरगुजा और सूरजपुर जिलों में स्थित परसा कोयला खदान के लिए 841.538 हेक्टेयर वन भूमि के गैर वानिकी उपयोग को अंतिम मंजूरी दी है। यह खदान राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को आवंटित की गई है।
क्षेत्र में वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, ”परसा कोयला खदान परियोजना के लिए रामानुजनगर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत जनार्दनपुर गांव में तीन सौ पेड़ काटे गए हैं। स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के बाद काम रोक दिया गया है।”
अधिकारी ने बताया, ”इस परियोजना के लिए क्षेत्र में लगभग 1,586 पेड़ काटे जाएंगे। वरिष्ठ अधिकारियों से निर्देश मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।”
क्षेत्र के साल्ही गांव के निवासी रामलाल करियाम ने बताया कि वनों की कटाई की सूचना मिलने के बाद परियोजना से प्रभावित होने वाले साल्ही, फतेहपुर और हरिहरपुर गांव निवासी वहां पहुंच गए और इसका विरोध किया।
करियाम ने बताया कि वनों की कटाई के दौरान 50 से अधिक पुलिसकर्मियों को वहां तैनात किया गया था।
उन्होंने कहा ”हम लंबे समय से इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। हमने ग्राम सभा के फर्जी दस्तावेजों की जांच की भी मांग की है, जिसके आधार पर खनन को मंजूरी दी गई है।”
वहीं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने वन विभाग के इस कदम को ‘दुखद’ कहा है तथा आरोप लगाया है कि इससे उद्योग घरानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचला जा रहा है।”
शुक्ला ने कहा, ”यह बहुत ही दुखद है कि आदिवासियों के विरोध को अनसुना कर संवैधानिक अधिकारों को कुचलते हुए खनन प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया गया। ग्राम सभाओं के लगातार विरोध के बाद भी सरकार ने फर्जी ग्राम सभा प्रस्तावों की जांच करना उचित नहीं समझा और कारपोरेट दवाब में आधी रात को पेड़ों को कटाई शुरू करवा दी गई।”
भाषा सं संजीव संजीव रंजन
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