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सोमवार, 28 अप्रैल, 2025
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नागरिकों को धरोहर संरक्षण में सक्षम बनाने को विशेषज्ञों ने डिजिटल मंच विकसित किया

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(कुणाल दत्त)

नयी दिल्ली, 16 अप्रैल (भाषा) भविष्य में धरोहर इमारतों को तोड़े जाने से रोकने और ऐसी संपत्तियों के मालिकों, अन्य नागरिकों और युवा वास्तुकारों को उनके संरक्षण के लिए ‘सशक्त’ बनाने के उद्देश्य से विशेषज्ञों ने एक नया डिजिटल मंच विकसित किया है।

‘द रेस्टोरेशन टूलबॉक्स’ की जल्द ही शुरूआत होने वाली है जो एक ‘ओपन-सोर्स’ साझेदारी मंच है। यह ‘सर्कुलर इकोनॉमी’ की अवधारणा से प्रेरित है। यह मंच लोगों को ‘‘धरोहर इमारतों के खतरे में होने के तौर पर उल्लेखित करने’’ और पुरानी संरचनाओं को बचाने के लिए ‘‘एक अभियान शुरू करने’’ में सक्षम भी बनाता है, यदि ऐसी इमारत नष्ट होने या उन्हें ढहाये जाने का खतरा हो।

दिल्ली की रहने वाली 20 साल की अनुभवी संरक्षण वास्तुकार ऐश्वर्या टिपनिस ने इसको लेकर अफसोस जताया कि ‘जब पुरानी इमारतों के संरक्षण और मरम्मत की बात आती है तो व्यवस्था में कई खामियां होती हैं।’’

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘एक मुद्दा यह है कि कई विरासत संपत्ति मालिक, विशेष रूप से निजी मालिक, अपनी पुरानी इमारतों को छोड़ने का विकल्प चुन रहे हैं और उन्हें तोड़े जाने और नयी परियोजनाओं के लिए बिल्डर को पेश कर रहे हैं, अगर वे रखरखाव को आर्थिक रूप से व्यवहारिक नहीं पाते हैं।’’

टिपनिस ने दो साल पहले कोविड-19 की दूसरी लहर के चलते लगे लॉकडाउन के दौरान परियोजना की परिकल्पना की थी। उन्होंने कहा कि महामारी ने ‘‘हमें अपना कामकाज डिजिटल तरीके से करने की कल्पना करने के लिए मजबूर किया और इसका परिणाम यह डिजिटल टूलकिट है।’’

परियोजना पिछले दो वर्षों में विकसित हुई और समय के साथ कई भागीदार जुड़े।

‘द रेस्टोरेशन टूलबॉक्स’ का पायलट जुगाडोपोलिस (ऐश्वर्या टिपनिस आर्किटेक्ट्स) द्वारा प्लेटोनिक के तकनीकी सहयोग से विकसित किया गया है। वास्तुकार ने कहा कि पायलट को गोएथे इंस्टीट्यूट, बी फैंटास्टिक और जेडकेएम कार्लज़ूए द्वारा वित्त पोषित किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘इस परियोजना के माध्यम से, हम इस टूलबॉक्स को ऐसे मालिकों को डिजिटल रूप से पेश करना चाहते हैं और उन विशेषज्ञों के मार्गदर्शन की पेशकश करते हैं जिन्होंने हमारे मंच पर साइन अप किया है, यह सब मुफ्त है। जो लोग वास्तुकारों के साथ आगे जुड़ना चाहते हैं या उन्हें काम देना चाहते हैं, वे हमारे मंच के माध्यम से ऑनलाइन जुड़कर ऐसा कर सकते हैं।’’

भाषा अमित अर्पणा

अर्पणा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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