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Monday, 6 May, 2024
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दिल्ली : जेल में भीड़ की वजह से विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा करने की मांग वाली याचिका खारिज

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नयी दिल्ली, 26 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कारागारों में भीड़ के मद्देनजर विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा करने की गुहार के साथ दाखिल की गई जनहित याचिका खारिज कर दी है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता गौतम कुमार लाहा द्वारा याचिका में उठाये गये मुद्दे पर पहले ही उच्चतम न्यायालय विचार कर रहा है और ऐसे में अर्जी को स्वीकार करने का कोई औचित्य नहीं है।

पीठ ने 24 अप्रैल को पारित आदेश में कहा, ‘‘हम इस बात से संतुष्ट हैं कि चूंकि वर्तमान याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दे सीधे तौर पर डब्ल्यू.पी. (सी) 406/2013 में उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित हैं और उसपर विचार किया जा रहा है। इसलिए हमें वर्तमान याचिका पर विचार करने का कोई कारण प्रतीत नहीं होता है। तदनुसार, वर्तमान याचिका खारिज की जाती है।’’ इस पीठ में न्यायमूर्ति मनमीत पी.एस.अरोड़ा भी शामिल थे।

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि जनहित याचिका उन विचाराधीन कैदियों के हित में दायर की गई है, जो भीड़भाड़ वाली जेलों में बंद हैं। उन्होंने गुहार लगाई कि हर महीने कम से कम एक बार बैठक आयोजित करने के लिए एक समिति नियुक्त की जाए ताकि यह तय किया जा सके कि किस कैदी को संबंधित अदालत द्वारा पारित उचित आदेश के आधार पर रिहा किया जा सकता है।

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाया गया मुद्दा पहले ही उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है और याचिकाकर्ता शीर्ष अदालत से संपर्क कर सकता है।

उन्होंने अदालत को सूचित किया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा तैयार ‘ विचाराधीन कैदी समीक्षा समिति के लिए मानक परिचालन प्रक्रिया’ को उच्चतम न्यायालय ने 2018 में ही अपने रिकॉर्ड में दर्ज किया है।

भाषा धीरज मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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