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Sunday, 17 November, 2024
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घरेलू हिंसा:‘साझा घर में रहने का अधिकार’ केवल वैवाहिक आवास तक सीमित नहीं

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नयी दिल्ली,12 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं के हितों की रक्षा करने वाले एक महत्वपूर्ण फैसले में बृहस्पतिवार को ‘साझा घर में रहने के अधिकार’ की व्यापक व्याख्या की। न्यायालय ने कहा कि इसे केवल वास्तविक वैवाहिक आवास तक ही सीमित नहीं किया जा सकता है, बल्कि संपत्ति पर अधिकार के बावजूद अन्य घरों तक विस्तारित किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ पति की मृत्यु के उपरांत घरेलू हिंसा से पीड़ित एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

इस दौरान पीठ ने भारतीय महिलाओं की उस अजीब स्थिति से निपटने की कोशिश की जो वैवाहिक आवासों से अलग जगहों पर रहती हैं, जैसे कि उनके पति का कार्यस्थल आदि।

पीठ ने कहा, ‘‘ अनेक प्रकार की स्थितियां एवं परिस्थितियां हो सकती हैं और प्रत्येक महिला साझा घर में रहने के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकती है….।’’

भाषा

शोभना नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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