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बुधवार, 21 मई, 2025
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किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के समय पुलिस को कानून के तहत प्रक्रिया का पालन करना चाहिए : उच्च न्यायालय

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मुंबई, 22 जुलाई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार एक व्यक्ति को रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी बहुत कठोर और हताशाजनक स्थिति में की जाती है, इसलिए पुलिस को कानून में निर्धारित सभी प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए, अन्यथा यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।

न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने व्यक्ति की गिरफ्तारी को अवैध करार दिया, क्योंकि पुलिस ने उसे इसकी वजह लिखित में नहीं बताई थी। अदालत के 18 जुलाई के फैसले की प्रति सोमवार को उपलब्ध हुई।

पीठ ने कहा कि पुलिस को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए। अदालत ने कहा कि बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी उसे स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित करने के समान है।

यह आदेश महेश नाइक नामक व्यक्ति द्वारा अपने अधिवक्ता ऋषि भूटा के माध्यम से दायर याचिका पर पारित किया गया, जिसमें धोखाधड़ी के एक मामले में उसकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी और उसे रिहा करने का अनुरोध किया गया था।

नाइक को इस साल फरवरी में गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। नाइक ने अपनी याचिका में दावा किया कि उसकी गिरफ्तारी के समय पुलिस ने उसे दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 50 के तहत अनिवार्य आधारों के बारे में सूचित नहीं किया था।

भाषा शफीक दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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