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Monday, 30 September, 2024
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कांग्रेस ने पवन हंस के विनिवेश पर सवाल उठाये

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नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) कांग्रेस ने रविवार को सरकार द्वारा हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता पवन हंस लिमिटेड (पीएचएल) में अपनी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दिये जाने के फैसले पर सवाल उठाये।

पार्टी ने पूछा कि सरकार ने कंपनी का ओएनजीसी में विलय करने की संभावनाएं तलाश करने के बजाय इसे एक ऐसे कंसोर्टियम को सौंपे जाने का निर्णय क्यों लिया जोकि मात्र छह महीने पुराना है।

वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया था कि सरकार ने पीएचएल में अपनी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी 211.14 करोड़ रुपये में स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड को प्रबंधकीय नियंत्रण के हस्तांतरण के साथ बेचने की मंजूरी दे दी है।

सरकार के इस निर्णय पर निशाना साधते हुए कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि अपनी वित्तीय नीतियों को सही ठहराने के लिए गलत गणना और अविवेकपूर्ण विनिवेश संबंधी फैसलों के चलते ”वे एक के बाद एक गलतियां कर रहे हैं।”

वल्लभ ने सवाल उठाया कि जब 51 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री के लिए आरक्षित मूल्य 199.92 करोड़ रुपये तय था, इसके बावजूद दो बोलीकर्ताओं ने क्रमश: 181.05 करोड़ रुपये एवं 153.15 करोड़ रुपये की बोली लगायी।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यह एक सामान्य विनिवेश लग सकता है जबकि इसमें कई ऐसी चीजें हैं जोकि ध्यान आकर्षित करती हैं, जैसे स्टार9 मोबिलिटी एक समूह है जिसमें बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड, महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड और अल्मास ग्लोबल ऑपरच्युनिटी फंड एसपीसी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह कंसोर्टियम केवल छह महीने पहले 29 अक्टूबर 2021 को गठित किया गया था।

वल्लभ ने कहा कि स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड के पास अपना एक भी हेलीकॉप्टर नहीं है जबकि बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड के बेड़े में तीन हेलीकॉप्टर हैं।

उन्होंने कहा कि अल्मास ग्लोबल ऑपरच्युनिटी फंड एसपीसी के पास भी इस क्षेत्र में काम करने का कोई अनुभव नहीं है।

वल्लभ ने कहा कि पवन हंस कर्मचारी संघ ने भी विनिवेश प्रक्रिया में रुचि दिखाई थी और यह भी सिफारिश की थी कि पवन हंस का ओएनजीसी में विलय कर दिया जाए या इसे एक सहायक कंपनी बना दिया जाए, जिसे सरकार ने दरकिनार कर दिया।

पीएचएल की 51 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री के लिए आरक्षित मूल्य 199.92 करोड़ रुपये तय किया गया था। पवन हंस की बिक्री के लिए सरकार को तीन कंपनियों से बोलियां मिली थीं। इनमें से स्टार9 मोबिलिटी 211.14 करोड़ रुपये की बोली के साथ सबसे बड़ी बोलीकर्ता के रूप में सामने आई है। बाकी दो बोलियां 181.05 करोड़ रुपये एवं 153.15 करोड़ रुपये की थी।

भाषा

शफीक नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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