कोहिमा, सात मई (भाषा) यूनाइटेड डेमोक्रेटिक अलायंस (यूडीए) के अध्यक्ष टी आर जेलियांग ने कहा कि नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के 21 विधायकों का नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) में विलय एक मजबूत क्षेत्रीय पार्टी बनाने के उद्देश्य से सर्वसम्मति से लिया गया फैसला है।
उन्होंने कहा कि संविधान की 10वीं अनुसूची एक राजनीतिक दल के दो-तिहाई विधायकों को दूसरे राजनीतिक दल में विलय की अनुमति देती है।
जेलियांग ने शुक्रवार को चुमौकेदिमा जिले में संवाददाताओं से कहा, ‘‘एनपीएफ विधायकों का एनडीपीपी में विलय का निर्णय अचानक नहीं बल्कि एक मजबूत क्षेत्रीय पार्टी बनाने के उद्देश्य से सर्वसम्मति से लिया गया निर्णय है, ताकि किसी भी राष्ट्रीय राजनीतिक दल को नगालैंड में आकर फायदा उठाने और राज्य के मामलों को चलाने की अनुमति नहीं दी जाए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने इसे देश के कानून के मुताबिक किया है… यह विलय है और इसे दलबदल नहीं कहा जा सकता।’’
जेलियांग के नेतृत्व में एनपीएफ के 25 में से 21 विधायक 29 अप्रैल को एनडीपीपी में शामिल हो गए। एनपीएफ के 21 विधायकों के विलय के बाद अब 60 सदस्यीय सदन में एनडीपीपी के 42 विधायक हैं।
यूडीए अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि नगा राजनीतिक मुद्दे (एनपीआई) का सौहार्दपूर्ण समाधान निकलेगा।
जेलियांग ने कहा कि केंद्र के वार्ताकार एके मिश्रा की हाल की नगालैंड यात्रा मुख्यमंत्री नेफियू रियो, उपमुख्यमंत्री वाई पैटन, राज्यसभा सदस्य केजी केने के अनुरोध के बाद हुई थी।
उन्होंने कहा कि मिश्रा एक सप्ताह के लिए यहां थे और एनएससीएन (आईएम) के शीर्ष नेताओं और नगा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों (एनएनपीजी) की कार्य समिति के साथ-साथ नगा नागरिक संस्थाओं के साथ चर्चा की।
उन्होंने यह भी दोहराया कि, ‘‘हम केवल भारत सरकार और नगा वार्ता दलों के बीच बातचीत के सूत्रधार हैं और सीधे तौर पर वार्ता में शामिल नहीं हैं।’’
केंद्र वर्ष 1997 से एनएससीएन (आईएम) और 2017 से एनएनपीजी के साथ अलग-अलग बातचीत कर रहा है। इसने तीन अगस्त, 2015 को एनएससीएन (आईएम) के साथ ढांचागत समझौते पर हस्ताक्षर किए और 17 नवंबर, 2017 को एनएनपीजी के साथ एक सहमत स्थिति पर हस्ताक्षर किए।
भाषा सुरभि मनीषा संतोष
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