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Wednesday, 15 January, 2025
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उल्फा से माफी मांगने पर विपक्षी दलों ने असम के मंत्री की आलोचना की

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गुवाहाटी, 16 मई (भाषा) असम के एक कैबिनेट मंत्री द्वारा प्रतिबंधित विद्रोही संगठन उल्फा (इंडिपेंडेंट) के प्रमुख के खिलाफ की गई टिप्पणी के लिए माफी मांगे जाने पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता को अपनी ही पार्टी के नेताओं से बहुत कम समर्थन मिला।

कांग्रेस और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने दावा किया है कि एक गैरकानूनी संगठन से माफी मांगना उसके सामने ‘समर्पण’ और ‘घुटने टेकने’ जैसा है। भाजपा के विधायक इस मामले में अपनी टिप्पणियां व्यक्त करते हुए सतर्क रहे।

उल्फा (आई) ने शनिवार को एक बयान जारी कर चाय जनजातियों के कल्याण और रोजगार मंत्री संजय किशन से संगठन के प्रमुख परेश बरुआ के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणी के लिए माफी मांगने की मांग की थी।

समूह ने धमकी दी कि अगर मंत्री 24 घंटे के भीतर माफी नहीं मांगते हैं तो वह डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया जिलों में उनका ‘बहिष्कार’ सुनिश्चित करेंगे।

कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कमलाक्ष्य डे पुरकायस्थ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि असम के इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण होगा जब एक मंत्री ने एक गैरकानूनी संगठन से माफी मांगी। यह उसके सामने आत्मसमर्पण करने जैसा है।’’

उन्होंने कहा कि अगर किशन में अपने बयान पर कायम रहने की हिम्मत नहीं थी तो उन्हें ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था।

एआईयूडीएफ विधायक अमीनुल इस्लाम ने भी किशन के कृत्य की निंदा की और दावा किया कि यह ‘‘प्रतिबंधित समूह के सामने घुटने टेकने’’ के समान है।

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा विधायक प्रशांत फुकन ने कहा, “वह (किशन) मंत्री हो सकते हैं, लेकिन वह भी एक इंसान हैं। शायद उनकी जुबान फिसल गई थी। यह अच्छा है कि उन्होंने मामले को खींचने के बजाय इसके लिए माफी मांगी है।”

भाषा

देवेंद्र उमा

उमा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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