नयी दिल्ली, आठ मई (भाषा) प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण सोमवार को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जमशेद बी पारदीवाला को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर शपथ दिलाएंगे।
न्यायमूर्ति रमण की अध्यक्षता वाले उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम के दो उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश करने के दो दिन बाद केंद्रीय विधि मंत्रालय ने त्वरित रूप से अलग-अलग अधिसूचनाओं में शनिवार को उनकी नियुक्तियों की घोषणा कर दी।
न्यायमूर्ति धूलिया और न्यायमूर्ति पारदीवाला की नियुक्ति के साथ ही शीर्ष न्यायालय वापस 34 न्यायाधीशों की पूर्ण क्षमता के साथ काम करेगा। न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी के इस साल चार जनवरी को सेवानिवृत्त होने के बाद न्यायाधीशों की संख्या कम होकर 32 रह गई थी।
शपथग्रहण समारोह प्रधान न्यायाधीश के अदालत कक्ष के बजाय सोमवार सुबह साढ़े 10 बजे उच्चतम न्यायालय के अतिरिक्त इमारत परिसर के नवनिर्मित सभागार में होगा। प्रधान न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय के 11 न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाकर इतिहास रचेंगे।
उच्च न्यायपालिका के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया से अवगत सूत्रों ने कहा कि न्यायमूर्ति पारदीवाला दो साल से अधिक समय तक प्रधान न्यायाधीश के रूप में काम करेंगे।
न्यायमूर्ति धूलिया उत्तराखंड से पदोन्नत होने वाले दूसरे न्यायाधीश होंगे। वह राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्देशक और अभिनेता तिग्मांशु धूलिया के भाई हैं। उनका कार्यकाल तीन साल से थोड़ा अधिक का होगा।
न्यायमूर्ति पारदीवाला शीर्ष अदालत की शोभा बढ़ाने वाले पारसी समुदाय के चौथे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के पहले उच्च न्यायालय न्यायाधीश होंगे, जिन्हें पिछले पांच वर्षों में पदोन्नत किया गया है।
न्यायमूर्ति नज़ीर को फरवरी 2017 में उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत किया गया था।
इस साल चार जनवरी को न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी की सेवानिवृत्ति के साथ ही शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों की कुल संख्या 32 रह गई थी। उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है।
दस अगस्त 1960 को जन्मे न्यायमूर्ति धूलिया उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के गांव मदनपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने 1986 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से वकालत शुरू की थी।
सैनिक स्कूल, लखनऊ के पूर्व छात्र रहे न्यायमूर्ति धूलिया ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक और विधि स्नातक की पढ़ाई की।
न्यायमूर्ति धूलिया उत्तराखंड उच्च न्यायालय में पहले मुख्य स्थायी अधिवक्ता थे और बाद में वह अतिरिक्त महाधिवक्ता बने तथा नवंबर 2008 में उसी उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। बाद में वह असम, मिजोरम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने।
न्यायमूर्ति पारदीवाला का जन्म 12 अगस्त 1965 को हुआ था और उन्होंने 1990 में गुजरात उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण पिछले साल अगस्त से लेकर अब तक पांच न्यायाधीशों के कॉलेजियम में रिकॉर्ड 11 नामों के लिए आम सहमति बनाने में कामयाब रहे हैं। वह खुद इस साल 26 अगस्त को सेवानिवृत्त होंगे।
न्यायमूर्ति रमण ने जब पदभार संभाला था तो उच्चतम न्यायालय में नौ पद रिक्त थे और उच्च न्यायालयों में करीब 600 पद रिक्त थे। इसके बाद कॉलेजियम ने उच्चतम न्यायालय में नौ पदों पर नियुक्तियां कीं और तीन महिला न्यायाधीशों में से एक न्यायाधीश बी वी नागरत्ना पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बनेंगी।
यह साल 1950 में शीर्ष न्यायालय की स्थापना के बाद से दूसरा वर्ष होगा जब तीन अलग-अलग प्रधान न्यायाधीश देखने को मिलेंगे।
मौजूदा प्रधान न्यायाधीश का स्थान न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित लेंगे और उनका कार्यकाल दो महीने से भी कम वक्त का होगा। न्यायमूर्ति ललित के नवंबर में सेवानिवृत्त होने के बाद न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड के प्रधान न्यायाधीश बनने का मार्ग प्रशस्त होगा।
शीर्ष न्यायालय में न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव के क्रमश: 10 मई और सात जून को सेवानिवृत्त होने के साथ ही और रिक्त पद देखने को मिलेंगे। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी इस साल क्रमश: जुलाई और सितंबर में सेवानिवृत्त होंगे।
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गोला नेत्रपाल
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