नयी दिल्ली, 27 अप्रैल (भाषा) मुख्यमंत्रियों संग बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विपक्ष शासित राज्यों में ईंधन की उच्च कीमतों का मुद्दा उठाए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को आंकड़ों के हवाले से दावा किया कि पेट्रोल व डीजल की सर्वाधिक कीमतों वाले 10 राज्यों में से आठ राज्यों में गैर-भाजपा दलों का शासन है।
पार्टी सूत्रों ने ईंधन की बढ़ती कीमतों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को दोषी ठहराने के विपक्ष के आरोपों का भी खंडन किया और कहा कि भारत की तरह कच्चे तेलों के आयात पर निर्भर रहने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले इनकी कीमतें देश में ‘‘अपेक्षाकृत कम’’ हैं।
उनके मुताबिक ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का संगठन) की मुद्राओं की विनिमय की दर से रुपये की तुलना की जाए तो पेट्रोल व डीजल की सबसे कम कीमत के मामले में भारत इन देशों में दूसरे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि रूस में कीमत सबसे कम है और वह कच्चे तेल का उत्पादन करता है।
सूत्रों ने कहा कि आसियान देशों (भारत, थाइलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, वियतनाम, फिलिपींस, ब्रुनेई, कंबोडिया और लाओस) में पेट्रोल के मामले में भारत पांचवा ऐसा देश है जहां कीमतें सबसे कम है और डीजल के मामले में चौथा देश है जहां कीमतें सबसे कम है।
भाजपा और उसके सहयोगी जनता दल युनाइटेड के शासन वाला बिहार और भाजपा शासित मध्य प्रदेश उन 10 राज्यों में शुमार हैं जहां पेट्रोल और डीजल की कीमतें सर्वाधिक हैं।
भाजपा सूत्रों ने कहा कि जिन तीन राज्यों में इनकी कीमतें सर्वाधिक हैं उनमें आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना हैं। उनके मुताबिक इन राज्यों में डीजल की कीमतें भी सर्वाधिक हैं।
इन राज्यों के अलावा तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और झारखंड ऐसे राज्य है जिन्होंने केंद्र द्वारा उत्पाद कर में कटौती किए जाने के बाद वैट में कमी नहीं की।
सूत्रों ने दावा किया कि उत्पाद कर में कटौती के कारण केंद्र सरकार को एक साल में एक लाख करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हुआ, वहीं सात विपक्ष शासित राज्यों ने वैट में कटौती ना कर 11,945 करोड़ रुपये का राजस्व कमाया।
केंद्र की सत्ताधारी पार्टी ने दावा किया कि केंद्र की सरकार ने अपने राजस्व का इस्तेमाल मुफ्त अनाज सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओं में किया।
मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की बैठक के बाद विपक्ष ने कोविड-19 की स्थिति पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक में पेट्रोल व डीजलों की कीमतों का मुद्दा उठाने के लिए मोदी पर ‘‘राजनीति करने’’ का आरोप लगाया और कहा कि जिम्मेदारी विपक्ष शासित राज्यों के पाले में डाल रहे हैं।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी पर पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को ‘जुमलों और ध्यान भटकाने’ की बजाय पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क की दर घटाकर उस स्तर पर लानी चाहिए जिस स्तर पर वह पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के कार्यकाल में थी।
उन्होंने प्रधानमंत्री से यह आग्रह किया कि केंद्र सरकार पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 18.42 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 18.24 रुपये प्रति लीटर की कटौती करे।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मोदी जी, कोई आलोचना नहीं, कोई ध्यान भटकाना नहीं, कोई जुमला नहीं। कांग्रेस की सरकार में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 3.56 रुपये प्रति लीटर था। मोदी सरकार में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 27.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 21.80 रुपये प्रति लीटर है।’’
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र पवनेश
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