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Wednesday, 6 November, 2024
होमदेशइंदौर के अस्पताल में व्यक्ति का शव मिला, पुलिस ने खरगोन सांप्रदायिक हिंसा में पहली मौत की पुष्टि की

इंदौर के अस्पताल में व्यक्ति का शव मिला, पुलिस ने खरगोन सांप्रदायिक हिंसा में पहली मौत की पुष्टि की

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खरगोन (मप्र), 18 अप्रैल (भाषा) मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान पुलिस ने मौत के पहले मामले की पुष्टि की है।

पुलिस ने बताया कि सांप्रदायिक हिंसा के दौरान 30 वर्षीय यह व्यक्ति लापता था।

इस बीच मृत व्यक्ति के परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने आठ दिनों तक उसकी मौत को छुपाए रखा।

पुलिस ने सोमवार को कहा कि खरगोन के आनंद नगर इलाके में फ्रीजर की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण इब्रेश खान का शव आठ दिनों तक इंदौर के एक सरकारी अस्पताल में रखा था।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि इब्रेश खान की मौत पत्थरों से सिर में गंभीर चोट लगने से हुई है।

गौरतलब है कि दस अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान खरगोन शहर में सांप्रदायिक हिंसा में आगजनी और पथराव हुआ था जिसके कारण शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था। हिंसा के दौरान पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ चौधरी को पैर में गोली लगी थी।

प्रभारी पुलिस अधीक्षक (एसपी) रोहित काशवानी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ खरगोन के आनंद नगर इलाके में सांप्रदायिक हिंसा के अगले दिन (11 अप्रैल) एक अज्ञात शव मिला था।’’ चूंकि खरगोन में फ्रीजर की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी इसलिए शव को पोस्टमार्टम के बाद इंदौर के सरकारी अस्पताल में रखा गया था।

काशवानी ने कहा कि इब्रेश खान के परिवार के सदस्यों ने 14 अप्रैल को गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा, ‘‘इब्रेश खान की पहचान के बाद रविवार को उनके परिवार के सदस्यों को उनका शव सौंप दिया गया।’’ उन्होंने कहा कि आगे जांच की जा रही है।

काशवानी ने कहा कि इब्रेश खान की मौत पत्थरों से सिर में गंभीर चोट लगने से हुई है।

हालांकि इस्लामपुर इलाके के रहने वाले इब्रेश खान के परिजन ने पुलिस पर मामले को छिपाने का आरोप लगाया है। इब्रेश के भाई इखलाक खान ने दावा कि मृतक को कुछ लोगों ने 12 अप्रैल को पुलिस की हिरासत में देखा था।

उसने आरोप लगाया कि पुलिस ने इब्रेश की मौत और उसके शव के ठिकाने के बारे में तभी बताया जब उसने मीडिया में जाने की धमकी दी।

इखलाक ने आरोप लगाया कि इब्रेश आनंद नगर इलाके में इफ्तार के लिए खाना देने गया था तब उसे एक पत्थर से मारा गया था।

उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया , ‘‘ आनंद नगर में लोगों ने मेरे भाई पर हथियारों से हमला किया और उसका सिर पत्थरों से कुचल दिया।’’

इखलाक ने यह भी दावा किया कि इब्रेश खान को कुछ लोगों ने 12 अप्रैल को पुलिस की हिरासत में दिखा था लेकिन यह गवाह गवाही देने के लिए तैयार नहीं है।

उन्होंने कहा,‘‘ रविवार की रात एक पुलिसकर्मी मेरे पास आया और मुझे बताया कि इब्रेश का शव इंदौर में रखा गया है।’’

इखलाक ने दावा किया कि इब्रेश के शरीर की स्थिति से संकेत मिलता है कि उस पर बेरहमी से हमला किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘उसकी एक आंख फूट गई थी और उसके चेहरे और पैरों पर चोट के निशान थे।’’

इखलाक ने आरोप लगाया कि पुलिस ने आठ दिनों तक उसके भाई के ठिकाने के बारे में परिवार के सदस्यों को अंधेरे में रखा।

उन्होंने दावा किया, ‘‘ पुलिस ने लापता व्यक्ति की शिकायत दर्ज करने के बाद भी मेरे भाई के ठिकाने का खुलासा नहीं किया। पुलिस ने मुझे मेरे भाई के शव के बारे में तभी बताया जब मैंने मीडिया में जाने की धमकी दी।’’

इस बीच, प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद 11 अप्रैल को हत्या का मामला दर्ज किया गया।

उन्होंने कहा कि उस समय शव की पहचान नहीं हो पाई थी और बाद में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। इसके बाद में मृतक की पहचान की गई और आगे की जांच जारी है।

हिंसा के बाद शहर में कथित दंगा आरोपियों के ‘‘ अवैध ’’ घरों और दुकानों को तोड़े जाने सहित प्रशासनिक कार्रवाई के खिलाफ कुछ संगठनों द्वारा अदालत में जाने की बात कहने के सवाल के जवाब में मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकार ने कानून के अनुसार दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई की है और जो पीड़ित हैं वे अदालत में जाने के लिए स्वतंत्र हैं।

इस बीच, खरगोन में स्थिति में सुधार के बाद सोमवार दोपहर 12 बजे तथा अपराह्न तीन बजे से दो-दो घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई। ढील के दौरान दूध, सब्जियां, किराना और दवाओं की दुकानों को खुले रहने की अनुमति दी गई। इस दौरान लोगों को बिना वाहनों का उपयोग किए आवश्यक चीजों की खरीदारी करने की अनुमति थी।

मुस्लिम मौलवियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपकर पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा दंगों के बाद चुनिंदा तौर पर लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाया और इसकी जांच हेतु एक उच्च स्तरीय समिति बनाने की मांग की।

ज्ञापन में दावा किया गया है कि हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए मुस्लिम समुदाय के करीब 200 लोगों की हड्डियां टूट गईं और इसकी जांच होनी चाहिए।

प्रतिनिधिमंडल ने दावा किया कि एक स्थानीय निवासी जिसकी कई साल पहले मौत हो चुकी है, उसके खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गयी है।

भाषा दिमो

देवेंद्र

देवेंद्र

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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